मोदी की हकीकत परवान चढ़ती, गुजरात पुलिस का फर्जी एनकांउटर का इकरारनामा.


 सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड मामले में गुजरात पुलिस ने मंगलवार को माना कि मामले के प्रमुख गवाह तुलसी प्रजापति का एनकांउटर फर्जी था। सीआईडी के शीर्ष अधिकारी वीवी राबरी ने कहा कि हमें भरोसा है कि पुलिस ने तुलसी की हत्या की। जांच में कुछ पुलिस अफसरों के शामिल होने की बात सामने आई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी बानसकांथ जिले में फर्जी मुठभेड में मारे गए थे। इस मामले में सोमवार की रात दाहोद जिले के एसपी विपुल अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था तथा उन्हें रिमांड के लिए आज अदालत में पेश किया जाएगा। तुलसी प्रजापति हत्या मामले में यह पहली बडी गिरफ्तारी है। गुजरात पुलिस ने दिसंबर 2006 में बनासकंठा जिले के अंबाजी इलाके में तुलसी प्रजापति को एक एनकांउटर के दौरान मारने का दावा किया था। पुलिस का कहना है कि राजस्थान से गुजरात जेल लाए जाते समय उसने भागने की कोशिश की।

इससे पहले 28 अप्रैल को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोहराबुद्दीन मामले में पुलिस उपायुक्त (अपराध) अभय चुडासामा को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा इस मामले में तीन अन्य आईपीएस अधिकारियों डी.जी. वंजारा, राजकुमार पांडियान और एम.एन. दिनेश को गिरफ्तार किया गया था। ये तीनों लगभग तीन सालों से साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है।

सोहराबुद्दीन कांड के सम्बन्ध में सीबीआई ने मंगलवार को गुजरात कैडर की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गीता जौहरी और मामले के पूर्व जांच अधिकारी से पूछताछ की। इस मामले की जांच की अगुवाई कर चुके आईपीएस अधिकारी रजनीश राय और सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर जीसी रायगर से भी पूछताछ की गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पिछले हफ्ते छह आईपीएस अधिकारियों को तलब किया था।

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