बीच बीच में ये चंदन नाम का महामक्कार व्यक्ति ट्राई(TRI) की भी बात कर लेता है कि अमुक नियम तो सरकार ने बनाया है ताकि अपनी काली करतूतें ये सरकारी नियमों के ऊपर धकेल सकें। इस चंदन की धूर्तता का सबसे बड़ा प्रमाण तो भाईसाहब और टाटा के बीच हुए ई मेल द्वारा करा पत्राचार है जिसमें भाईसाहब ने बिलकुल स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि आप मेहरबानी करके मुझे फोन न करें बल्कि जो बात कहनी या बतानी है वह ई-मेल करें लेकिन इसके बावजूद इसने जैसे ही ये भांप लिया कि अब इनका भांडा फूट जाएगा अगर ये अपनी करतूत लिख कर दे देंगे लेकिन इस पूरे प्रकरण में जिस नोडल आफ़िसर शगुना शेट्टी का नाम टाटा की वेबसाइट पर लिखा है उसने एक आम उपभोक्ता को तवज्जो देने की जरूरत न समझी। ये इस बात का प्रमाण है कि ये अधिकारी किस तरह फोकट की पगार लेकर कुर्सी गर्म कर रही है। इस बात को भड़ास के मंच पर लाने की आवश्यकता इसलिये महसूस हुई क्योंकि ये रास्ता तो इन कपटियों ने खुद दिखाया है। यदि भाई इन पर उपभोक्ता अदालत में मुकदमा कर भी देते तो बरसों बरस के बाद ये कुछ पैनाल्टी भर कर बरी हो जाते और ऐसे तो कई मुकदमे इन पर चल रहे होंगे तो एक और सही क्या फ़र्क पड़ता है।
जय जय भड़ास
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