बहन फरहीन नाज आप सिर्फ एक बात जान लीजिए मुझे उस दिन बहुत खुशी होगी जिस दिन हिंदू मुस्लिम् सिख इसाईं जैन या कोई भी मजहब के लोग आपस में मिल कर अपने सुख दुःख को बाटे ,क्या वो दिन हमारे भारत के लिए महान नहीं होगा जिस दिन कोई हिंदू व्यक्ति आप की हज कमेटी को , कोई मुस्लिम्व्यक्ति अमरनाथ यात्रा बोर्ड को चलाएगा , फिर कोई जातिवाद पर्तिरोध ही नहीं होगा क्योकि हम एक दूसरे के धरम के प्रति सहिष्णु हो जाये गे , और जैन धरम हम सभी को सहिष्णु सिखाता है इसलिए जैन लोग हर किसी के धार्मिक कार्यों में तन मन से पूर्ण सहयोग करते है ,जब हमारे देश में हर धर्म दूसरे धरम को पूरा सम्मान देगा ,फिर ये दंगे फसाद , आपश में लड़ना , अंतरजातीय विवाह की परेशानी , सब कुछ गायब हो जायेगा ,क्या आप नहीं कहते ऐसा हो , और रही बात आस्था की तो ये सिर्फ हमारे देश में ही है की जहा इतनी सारी आस्थाए होते हुए भी हम सभी एक दूसरे के साथ है , अब मानसिक रूप से दिवालिया अनूप मंडल के लोग हर तरफ सिर्फ जैन धर्म को इस संसार में सब कुछ कामो के लिए जिमेदार मानते है ,तो इस बात के लिए इन बव्कुफो को क्या कहे , आप खुद ही सोचो वकील साहब को दिल का दौरा पड़ा और उस के लिए भी जिमेदार जैन ? २१ वी शताब्दी में रहते हुए ये विचार ? अब आप सिर्फ ये बताये की क्या कोई भी व्यक्ति किसी पुरे समाज का पर्तिबिम्ब होता है , यदि ऐसा है तो बिल लादेन एक मुस्लिम ही है , तो क्या सारे मुस्लमान को आतंकवादी मान लेना चाहिए ?
आपने भी आज तक अपने खुदा को और मैंने अपने भगवान को कभी भी इस संसार में उस रूप में नहीं देखा जिस रूप में उसे बताया गया है , ये तो सिर्फ आस्था की बात है की आप अपने खुदा को अपने मन से याद करते हो और मै अपने भगवान को अपने मन से, पर क्या ये दोनों अलग है ?
nice post...
ReplyDeleteजरा अपनी उपस्थिति मुसलमानों के कार्यक्रम में भी दर्शाइये जब वे बकरीद पर अपनी आस्था के अनुसार अपनी खुशी में बेज़ुबान बकरे को काट कर उसका माँस आपस में बाँट कर भाईचारा निभा रहे हों तब पता चलेगा कि आप सचमुच जितने हिंदुओं के प्रति सहिष्णु हैं उतने मुसलमानों के प्रति भी।
ReplyDelete@Dhiraj Shah एक ने कही तो दूजे ने मानी तो गोरख कहें दोनो ज्ञानी......:)
यकीन मानिये यदि कोई भड़ासी या अनूप मंडल के लोग मेरी पोस्ट पर टिप्पणी देंगे भी तो मैं उसे आपको दिखाने के बाद डिलीट कर दूंगी
जय जय भड़ास
बहन फरहीन नाज आप ने जो बात बकरीद की कही है , मुझे याद आ रहा है कुछ समय पहले हमारी दिल्ली में महावीर जयंती और आप का कोई त्यौहार जिस में आप बेजुबान बकरे या कोई और प्राणी को अपनी आस्था अनुसार काटतेहै , एक साथ एक ही तारीख पर पद गए थे ,तब दिल्ली की जमां मस्जिद द्वारा उस दिन कोई भी बलि नहीं दी गयी थी , अगर इस पार कर हम सभी एक दूसरे के धर्मो को आदर दे तो ,हमारे बीच का वंनासय नाम का सब्द फिर सिर्फ सब्द्कोश में ही मिले गा
ReplyDeleteकॉमेडी कर रहे हैं भाई या बकरीद शब्द याद नहीं आ रहा है दूसरी बात कि आप मेरे नाम से कयास लगा रहे हैं कि शायद मैं भी बकरीद पर बकरा मारती हूँ या मुनव्वर सुल्ताना भी ऐसा करती होंगी तो आप गलत सोच रहे हैं। आप जिस प्रकार हिन्दुओं के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं क्योंकि आप सभी के धर्मों के प्रति सहिष्णु हैं तो फ़िर बकरीद पर क्या तकलीफ़ है आप भी बकरा काटने में शामिल होइये न उनके न काटने की बात कर के तो आप उनकी आस्था की बुनियाद ही हिला रहे हैं। रही बात एक दिन महावीर जयंती और बकरीद साथ ही पड़ने पर कुछ लोग बकरा न काटें तो इसमें आपकी सहिष्णुता नहीं बल्कि मुसलमानों की सहिष्णुता दिख रही है।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
भाई यहाँ तो काफी गरमा गरम चर्चा हो चुकी है अब मुझसे चूक तो हो ही गयी लेकिन वाकई बेहतरीन बहस निकल गयी फरहीन काफी दिनों बाद धमाका किया बाकी कैसा चल रहा है और अमित अनूप तो पुराने मित्र हैं देखना है कब एक दूसरे के साथ बैठ कर दूरियां मिटायेंगे....
ReplyDeleteआपका हमवतन भाई ...गुफरान सिद्दीकी ( अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या फैजाबाद )