(इन सभी तस्वीरों में आप देख सकते हैं उन तमाम भड़ास परिवार के लोगों को जैसे हमारे डॉ.रूपेश श्रीवास्तव,मुनव्वर आपा,फ़रहीन नाज़,गुफ़रान सिद्दिकी,सोना अक्का जो कि 24कैरेट सोना नाम से लिखती हैं,देवी,ग्रेसी,प्रियंका,मनीषा दीदी,बादशाह बासित,आयशा धनानी, दिव्या रूपेश को.....)
भड़ास के मूल दर्शन को समझ लेने वाले लोग इस बात को भली प्रकार समझ चुके हैं कि सत्यतः ये पत्रा जो कि परिस्थितियों से लेकर घटनाओं के प्रति मात्र अपनी खास शैली में प्रतिक्रियाएं देने के लिये कुख्यात है महज एक
ऑनलाइन पत्रा(ब्लॉग) नहीं है। अपनी लघुता के एहसास के कारण परिस्थितियों को न बदल पाने की कुंठा से अंदर ही अंदर सुलगन की अभिव्यक्ति भड़ास है जो कि कभी गालियों में व्यक्त हो जाती है और कभी उस मुक्के के रूप में जो कि दीवार पर किचकिचा कर पूरी ताकत से मार दिया जाता है जिसमें दीवार का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन हाथ जरूर दर्द करता रहता है। यही दर्द है जो कि आस है इस बात कि हमने प्रयास करा है दीवार ढहाने का और यदि ऐसे ही कई करोड़ मुक्के बिना रुके दर्द की परवाह करे दीवार पर पड़ते रहेंगे तो शायद रोशनी और हवा के लिये एक छेद तो बन ही जाएगा। भड़ास की अभिव्यक्ति में मात्र कोसना धिक्कारना ही नहीं रहता बल्कि सार्थक बदलाव का विमर्श भी रहता है। मुनव्वर आपा से अभी एक सप्ताह पहले ही मुलाकात हुई थी और भूमिका,सोना अक्का,देवी, दिव्या(ये सभी बच्चे भड़ास से जुड़े लैंगिक विकलांग सदस्य हैं जिन्हें अभिव्यक्ति के लिये भड़ास पर पूरे आदर व प्रेम के साथ हमारे बड़े भाईसाहब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी ने पढ़ना-लिखना सिखा कर अपने कम्प्यूटर पर ही ब्लॉगिंग भी सिखाई है ये सब मनीषा नारायण दीदी से जुड़े हैं और पिता के नाम के स्थान पर भाईसाहब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी का नाम लगाते हैं) वगैरह तो अक्सर ही मिल जाते हैं। हम सब जानते हैं कि भड़ास मात्र एक सामुदायिक पत्रा नहीं बल्कि एक विराट ऑफ़लाइन परिवार भी है।
जय जय भड़ास
आपने सत्य लिखा है कि भड़ास अब मात्र एक पत्रा नहीं बल्कि एक विराट परिवार है जो कि अमर हो चुका है। हम सब इस दुनिया में आते जाते रहेंगे हमारे नाम,हमारी पहचानें बदलती रहेंगी लेकिन भड़ास पर कमजो्रों की गुस्साई अभिव्यक्ति हमेशा बनी रहेगी.... ये बात तो भाई रजनीश झा कहते हैं
ReplyDeleteजय जय भड़ास
main aapse poori tereh sehmat hoon. Mujhe garv hai ke main aap jaise logo ko janti hoon.
ReplyDelete:)
छाया दीदी,हमें भी इस बात में गर्व महसूस होता है कि हमारा कुनबा इतना सघन है कि हम बारिश में भीगते बंदे के आँसू देख पाते हैं। आशा है कि आप भी इस परिवार की ऑफ़लाइन विराटता को जीना चाहेंगी, डॉ.रूपेश जैसी एलियन शख्सियत से भी मिलना चाहेंगी(हम अधिकाँश लोग मानते हैं कि वो एलियन हैं उनमें मनुष्यों जैसी बातें शायद वो अभिनय से पैदा करते हैं)और मनीषा दीदी तो बस्स्स्स्स्स कमाल की हैं..
ReplyDeleteकभी जब परेशान हों(ईश्वर न करे कभी ऐसा हो) तो डॉ.रूपेश श्रीवास्तव को फोन कर लीजियेगा फिर देखिये को वो इंसान बात करते करते कैसे दर्द चूस कर खत्म कर देता है और जब आप फोन रखते हैं तो हंसते हुए विदा लेते हैं(इसीलिये हम सब उन्हें "जादू" जैसा एलियन मानते हैं)
जनाब का मोबाइल नं.सुरक्षित रख लीजिये...
9224496555 और ब्लड ग्रुप भी O+ev ......
जब चाहें पी सकते है जो चाहे पी सकता है:)
जय जय भड़ास
हम सबके सब यहीं हैं किधर जाएंगे लेकिन इस बीच कुछ घटनाओं से मन इतना खिन्न रहा कि यदि भड़ास निकलती तो शुद्धतम देसी गालियों में तो खुद को किसी तरह कंट्रोल कर रखा था कि जब कुछ समय बाद दिमाग शान्त होगा तभी लिखना बेहतर होगा वरना एक बार फिर से हमारे डॉ.साहब को लोग कोसने लगेंगे कि आप जानबूझ कर गन्दी शब्दावली से चर्चा में आना चाहते हैं जबकि ये तो संसार के विचित्रतम व्यक्ति हैं जिन्हें न पैसा चाहिये न प्रसिद्धि और न ही शान्ति....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
अजय भाई यकीनन ही हमारा भड़ास परिवार जितना सक्रिय ऑनलाइन है उससे कहीं अधिक ऑफ़लाइन सक्रिय है अब देखिये कि मैं भी इस परिवार का सक्रिय सदस्य हूँ लेकिन कम ही लिख पाता हूँ। भाईसाहब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी की शख्सियत का ही जादू है और भाई रजनीश झा जी का प्रेम कि भड़ास परिवार दिनोंदिन बढ़ रहा है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारा ’कुनबा’और फले-फूले...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
यदि ऐसे ही कई करोड़ मुक्के बिना रुके दर्द की परवाह करे दीवार पर पड़ते रहेंगे तो शायद रोशनी और हवा के लिये एक छेद तो बन ही जाएगा। भड़ास की अभिव्यक्ति में मात्र कोसना धिक्कारना ही नहीं रहता बल्कि सार्थक बदलाव का विमर्श भी रहता है।
ReplyDeleteसही कहा जी आपने और जो लोग भडास पर आते हैं वो भी ये बात समझते हैं।
आप सब को प्रणाम