दोहे और उक्तियाँ !!



चाह  गई  चिन्ता  मिटी,  मनुआ  बेपरवाह।


जिनकों कुछ  न चाहिए,  वे साहब के साह।।


(रहीम)

1 comment:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

ब्लाग है या पोर्टल?
मैं भी ऐसा चाहता हूँ, मार्गदर्शन दें.
sahiasha.wordpress.com

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