राठौर की अंतरिम जमानत की अर्जी नामंजूर !!

रुचिका यौन उत्पीड़न मामले में महाराष्ट्र के पुणे में पहली गिरफ्तारी हुई। यह गिरफ्तारी हरियाणा पुलिस ने की है। गजेंद्र सिंह नाम के जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है, उस पर आशु के खिलाफ झुठी गवाही देने का आरोप है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। गजेंद्र पुणे में एक होटल चलाता है। उसने हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के कहने पर ही गवाही दी थी।

हरियाणा के पूर्व डीजीपी ने सितंबर 1990 में अपने एक बयान में कहा था रुचिका एक चरित्रहीन लड़की है। जिसके कारण उसे स्कूल से भी निकाला जा चुका है।

राठौर ने यह बयान अपनी सजा कम करवाने के मकसद से दिया था। इस बात का खुलासा रुचिका की दोस्त अराधना के पिता आनंद प्रकाश ने अपने ताजा बयान में किया है। प्रकाश का कहना है कि ऐसा राठौर ने कड़ी सजा से बचने के लिए किया था। प्रकाश के इस बयान के बाद पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है। हालांकि राठौर की ओर से अब तक कोई खंडन नहीं किया गया है।


रुचिका केस की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली है। हरियाणा सरकार की सिफारिश पर सीबीआई राज्य के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के खिलाफ धारा 306 के तहत केस चलाएगी।


राठौर को गिरफ्तार न करने के मामले में पंचकूला के पुलिस अधिकारी मनीष चौधरी ने कहा कि हमारी जांच जारी है, हम मामले से संबंधित हर पहलू पर विचार कर रहे हैं। हम जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते। एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार उन्होंने राठौर के खिलाफ दर्ज एफआईआर की प्रति सीबीआई को भेजने की सिफारिश कर दी है। इसलिए हिरासत में उनसे पूछताछ का औचित्य नहीं बनता।

शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र व जिला जज संजीव जिंदल ने राठौर की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज करते हुए उसके अपराध को बेहद बुरा प्रभाव छोड़ने वाला बताया। गौरतलब है कि 21 दिसंबर को राठौर को रुचिका के साथ छेड़छाड़ के 19 साल पुराने मामले में एक कोर्ट ने छह महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। राठौर पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया था।

रुचिका की सहेली आराधना ने सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करते हुए राज्य के अधिकारियों पर राठौर की मदद करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि हम जल्द से जल्द राठौर को जेल के अंदर देखना चाहते हैं।




3 comments:

  1. चलो अच्छा है.
    देर से ही सही शुरूआत तो हुई. इस गबाह के ब्यान जल्दी से जल्दी मैजिस्ट्रेट के सामने कलमबद्ध कर क्रास-प्रक्रिया पूरी कर ली जानी चाहिए. वर्ना 19 साल फिर निकल जाएंगे.
    इस जर्जर न्यायव्यवस्था से मीडिया अच्छा काम ले रहा है.

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  2. ये काम अच्छा हुआ..कम से कम लग रहा है कि न्याय मिलेगा/

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  3. रूचिका के परिवार का अन्धकार दूर तो हुआ,बेशक 19साल बाद,बहुत से लोग इस प्रकार के अपराध के विरूध न्याय नहीं पा सके ।

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