आज सुबह से सोच सोच कर परेशान हूं बचे खुचे बालों का अस्तित्व भी खतरे में हैं। खोपड़ी में जितना भेजा है पिछले कई दिन से उबल रहा है। मैं ये सिद्ध करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं कि भड़ासियों की खोपड़ी में भी भेजा होता है। वैसे मैं अखबार नहीं पढ़ता हूं लेकिन अगर कोई मुफ़्त में लाकर दे देता है तो पढ़ लेने में हर्ज़ ही क्या है। दो एक दिन पहले अंग्रेजी के एक अखबार में चीफ़ जस्टिस औफ़ इंडिया का साक्षात्कार छपा था जिसमें कि उन्होंने कहा है कि हर आदमी यकीन करता है कि जुडीशियरी में कोई भ्रष्टाचार नहीं है। अब उनके इस बयान को मजाक समझूं या कुछ और क्योंकि अगर हर आदमी यकीन करता है तो भड़ासी आदमी नहीं हैं क्योंकि हमें तो पूरा यकीन है कि लोकतंत्र के हर खम्भे में भ्रष्टाचार है चाहे वह कार्यपालिका हो या विधायिका या फिर न्यायपालिका। हमें पता नहीं है कि राष्ट्रपति आदि को मज़ाक करने का अधिकार है या नहीं। जस्टिस अंकल ने अगर ये बात कही है तो क्या आप सबको भी ऐसा लगता है कि हर आदमी इस बात पर यकीन करता है या अंकल सिर्फ़ कुछ लोगों को ही इंसानों में गिनते हैं?
जय जय भड़ास
nice
ReplyDeleteसुमन जी सिर्फ़ बुखार की दवा से काम नहीं चलेगा आपको लोकसंघर्ष की स्पष्टबयानी से काम लेना होगा। भड़ास में है साहस तो डा.साहब ने लिख डाला आप कम से कम इस लिखे पर कुछ तो कहिये। आपके स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर हम सब आपके इस सर्वव्यापी कमेंट की भावना का सम्मान करते हैं लेकिन यहां इतना कह देना काफ़ी नहीं है यदि आप न लिख सकें तो लोकसंघर्श के अन्य कलम बहादुरों से स्याही उलटवाइये
ReplyDeleteजय जय भड़ास
भ्रष्टाचार का पहला अखाडा ही हमारी जुडीसियरी है, ये महाशय क्या कहते हैं क्या सुनते हैं ये ही जाने मगर देश की आधी आबादी काले कोर्ट वाले कौवों की कावं कावं से जूझ रही है और ये काँव काँव करते भ्रष्टाचार के चरम पर जा चुके है.
ReplyDeleteजय जय भड़ास