बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत " बाल विकास खज़ाना " नामक एक अनोखा सहकारी बैंक है जो बच्चों द्वारा ही चलाई जा रही है । यहाँ गरीब बच्चे अपनी कमाई से पैसे बचाकर जमा भी करते हैं और उन्हें छोटे मोटे रोज़गार के लिए क़र्ज़ भी दी जाती है ताकि वे खुद के रोज़गार शुरू कर सकें ।
१६ वर्षीय आशना के पिता की दूकान उनकी बीमारी की वजह से बंद हो गई थी । उनके परिवार का सहारा आशना ही थी । उसने "बाल विकास खज़ाना" से अपने बल बूते पर 2500 क़र्ज़ लिया और अपने पिता के बंद कारोबार को फिर से शुरू करवाया। आज उसके पिता फिर से तजिया बनाते है ।
इस अनोखे बैंक का मैनेजेर मोहम्मद करीम है । यहाँ बच्चे चाहे वे रद्दी उठाते हों या कारखानों में छोटे मोटे काम करते हों , वे अपनी कमाई में से कुछ पैसे बचाकर इस बैंक में जमा करते है । जरूरत पड़ने वे यहाँ से क़र्ज़ भी ले सकते हैं।
इस बैंक में दो तरह के क़र्ज़ की व्यवस्ता है , पहला " कल्याण" और दूसरा विकास ", जिसे अलग अलग श्रेणी तय कर दी जाती है ।
मुस्कान नामक रद्दी उठाने वाले बच्चे का कहना है कि अपनी कमाई का आधा हिस्सा वह अपनी माँ को देता है और आधा बाल विकास खजाना में जमा करता है ।
उन बच्चों का साहस और आत्म विश्वास देख ऐसा लागता है भगवान उनकी मदद अवश्य करेंगे और वे सफल भी होंगे ।
फिर बिहार ने अपनी प्रतिभा दिखायी ! मन खुश हो गया।
ReplyDeleteजानकर बेहद ख़ुशी हुई....
ReplyDeletebahut achha lga blog par aisi jankari padhkar .dhnywad .
ReplyDeleteun bachho ko dher sari shubhkamnaye .