अभी अभी रविश कुमार कसबे में बिहारी होने का गर्व और बिहार विकाश की गाथा गा रहे थे वहीँ अपने गाँव से लौट कर आये अजय कुमार झा ने ग्रामीण बिहार की हकीकत को तस्वीरों से बताया, दोनों अलग कहानी कहती है। जहाँ अजय जी ने गाँव कि हकीकत पर रोशनी डाला और अपने दर्द को बयां किया वहीँ रविश जी अपने मीडिया हॉउस के कर्मठ और महिमामंडन करने वाले पत्रकार की भूमिका निभा गए।
पहले तस्वीरों से इस हकीकत को जानते हैं।
विभिन्न मदों का ब्यौरा, अगर इस ब्योरे पर जाएँ तो मधुबनी वासी को अपने अस्पताल से इतर और कहीं जाना ही ना पड़े।
सदर अस्पताल का मुख्य द्वार, नि:संदेह स्वस्थ्य मधुबनी की कहानी कहता है जहाँ रोगी और रोग दोनों से त्रान मिल चुका हो !
भवन द्वार पर बड़े बड़े शब्दों में उद्घाटनकर्ता नितीश जी का नाम लटक रहा है और बंद द्वार आम लोगों का मूंह चिढ़ा रहा है
ये आइना है उस विकास का जिसमें आम आदमी अपनी तस्वीर नहीं देख सकता, विकास के नाम पर लाखो के वारे न्यारे हुए और उस वारे न्यारे के मुनाफाखोरों में से सरकार के अलावे मीडिया ने भी अपना हिस्सा लेकर महिमा मंडन किया, क्या आम आदमी इस विकाश का हिस्सा बन सका।
रविश बाबु आप लोगों को बिहारी होने पर गर्व होना ना सिखाएं ना बताएं, मीडिया के द्वारा महिमा मंडन और संभावित विज्ञापन के बड़े बाजार में अपनी हिस्सेदारी को सुनिश्चित करने के लिए बेपेंदी के लोटे कि तरह लुढ़कती मीडिया का हिस्सा बनिए। चाहे नितीश मंडन हो या कुछ ही दिन पूर्व जब यु पी ए की सरकार बनने वाली थी तो दिग्गी राजा के साथ मिल कर राहुल और सोनिया मंडन की चापलूसी करना हो ऎसी व्यथा है जो कठघरे में लाती है।
आंकड़े से इतर बिहार का आम आदमी कहाँ है..............
GDP से बड़ा कोई भ्रम नहीं
ReplyDeleteआम आदमी को तो कभी भी सही जानकारी नहीं मिल पाती है ! वह तो मिडिया के आईने से ही देखता है !
ReplyDeleteअच्छी तुलना लाएं हैं आप, आखिर सच्चाई की तस्वीरें जुटाना इताना आसान भी नहीं
ReplyDeleteसभी सरकारी विभागों का यही हाल है!
ReplyDeleteरजनीश भाई आपके तस्वीर में सच्चाई है...आलोचना अपनी जगह है, पर वास्तव में बिहार में बदलाव आया है, यह मेरा अनुभव कहता है...१४ महीने बाद मैंने बिहार की यात्रा की और मुझे परिवर्तन नज़र आया, मेरे पास दिखने कोई चित्र नहीं है, पर लोग अब विकास की भाषा समझने लगे हैं, जहाँ कोई तंत्र सुचारू ही नहीं था वहां परिवर्तन को धरातल पर आने में थोड़ा वक़्त तो लगता ही है..
ReplyDelete