एक अच्छा मनुष्य यदि अपने मित्र से दूर रहता
है तब भी वह अपने मित्र को अच्छे विचारों द्वारा
सहायता पहुंचा सकता है। सच तो यह है कि
अपने अन्दर किसी भी दुर्विचार को आश्रय नहीं
देना चाहिए। सदा अपने विचारों का निरीक्षण
कर, व्यर्थ और निम्न विचारों को दूर हटाया
जाय और मानसिक शक्ति की सुरक्षा की जाय।
(स्वामी शिवानन्द )
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