देश के हर नागरिक को एक खास पहचान पत्र : निलेकणी

इंफोसिस जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी को छोड़कर केंद्र शासन की महत्वाकांक्षी यूनिक आइडेंटिटी अथारिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले नंदन निलेकणी का कहना है कि देश के हर नागरिक को एक खास पहचान देने वाले यूनिक आईडी का सबसे पहले लाभ गरीबों को देने की कोशिश होगी।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सरकार की कई योजनाओं का जिक्र करते हुए नंदन ने भरोसा जताया कि यहां यूआईडी योजना को लागू करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। नवजातों समेत देश के 20 करोड़ बच्चों को भी योजना में शामिल कर उनको भी पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।


दिल्ली रवाना होने के पहले सर्किट हाउस पहुना में संवाददाताओं से चर्चा में निलेकणी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा लाभ सरकारी योजनाओं में मिलने वाली अरबों रुपए की सब्सिडी के दुरुपयोग को काबू करना होगा। यूनिक आइ़डेंटिफिकेशन योजना की सारी तैयारियां हो रही हैं।

यूआईडीएआई ने इसके लिए जरूरी तकनीकी तैयारियां भी कर ली हैं। अगस्त 2010 से फरवरी 2011 तक 16 अंकों वाली यूआईडी तैयार करने का काम शुरू हो जाएगा। पहले चरण में 10 करोड़ लोगों को यूआईडी जारी करने का लक्ष्य है। अगले 5 सालों में 60 करोड़ लोगों को ये विशिष्ट पहचान नंबर जारी हो जाएंगे।


वह अब तक 20 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। हर राज्य की सरकार योजना को लेकर उत्साहित है। इस बात की गुंजाइश ही नहीं है कि दो व्यक्तियों का एक जैसा डाटा हो या दो लोगों के एक ही तरह केकार्ड बन जाएं। इसे इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जा रही है।

देश के किसी भी हिस्से में केवल नाम, पहचान नंबर बताकर उस व्यक्ति के बारे में सारी सूचनाओं को मिनटों में हासिल करना संभव होगा। योजना का लाभ सबसे पहले गरीबों को मिले, यह कोशिश होग, क्योंकि गरीबों के पास आमतौर पर न तो बर्थ सर्टिफिकेट होता है, न मकान। शिक्षा भी उसके पास नहीं होती। यानि पहचान के सारे रास्ते बंद।


सरकार की सारी सुविधाएं बिना पहचान के मिलती ही नहीं। यूआईडी इन लोगों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी होगा। नरेगा जैसी योजनाओं के अलावा इस कार्ड का इस्तेमाल चुनाव के दौरान मतदाता परिचय पत्र के रूप में भी किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए चुनाव आयोग का सहमति जरूरी होगी। कार्ड के दुरुपयोग के बारे में उनका कहना था कि यह इस्तेमाल करने वाले पर निर्भर है।

बैंक खाते, स्वास्थ्य सेवा, नरेगा जैसी सरकारी योजनाओं में पहचान के लिए, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में, पैन कार्ड, पासपोर्ट तैयार करने के लिए ।


मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और अन्य अधिकारियों के साथ गुरुवार को दिनभर चली बैठकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली, धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी और च्वाइस समेत कई योजनाओं में राज्य ने आईटी का जबर्दस्त इस्तेमाल किया है। छत्तीसगढ़ चाहता है कि यूआईडी योजना को जल्द से जल्द प्रदेश में लागू किया जाए।
निलेकणी ने बताया कि छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा और अंडमान निकोबार के लिए हैदराबाद में अथॉरिटी का रीजनल सेंटर बनाया गया है। रीजनल सेंटर के अधिकारी भी उनके साथ आए थे। उन्होंने दावा किया कि योजना फूलप्रूफ है। इसमें हर नागरिक के चेहरे, दोनों आंखों और हाथ की दसों उंगलियों के निशानों को शामिल करते हुए बायोमीट्रिक डेटा तैयार किया जाएगा।

1 comment:

  1. तकनीकी जानकारी सहित सुन्दर पोस्ट कुसुम जी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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