लखनऊ के जिला मजिस्त्रेट अमित घोष की गुंडागर्दी के कारण राज्य कर्मचारियो की हड़ताल हो गयी थी। सैकड़ो राजकर्मचारियों के सर फूटे थे करोडो रुपयों का नुकसान हुआ लेकिन समयबद्द वेतनमान के तहत उनको ईनाम के रूप में सरकार सुपर टाइम स्केल में प्रौन्नति की जा रही है कृषि विभाग के जिस कर्मचारी को थप्पड़ों से पीटा था उसके ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जा चुका है । राज्य द्वारा नियमो कानूनों का उल्लंघन अब आम बात हो गयी है अमित घोष के खिलाफ कमिश्नर की जांच लंबित है जांचें इन अधिकारियों के खिलाफ चलती रहती हैं और इनको प्रोमोशन दर प्रोमोशन मिलता रहता है ये अधिकारिगण अच्छी तरह से जानते हैं कि लोकतंत्र में इनके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता है इन अधिकारियों की कार्यशैली आम आदमी की रक्षा के लिए न होकर उनका उत्पीडन करने के लिए है गाँव देहात में इन अधिकारियों की भूमिका बहुत ही निंदनीय हो जाती है । राजधानी लखनऊ के अगल बगल के जिलो में प्रशासनिक अधिकारियो ने अपनी काली कमाई से फार्म हाउस खोले है और किसानो के पास अब उपजाऊ जमीन का टोटा होता जा रहा है हजारो लाखो एकड़ जमीन के चारो तरफ दीवालें बना कर चौकीदार नियुक्त किये जा चुके हैं अच्छा यह होगा की नए जमीन दारों की जमींदारी की जांच हो तो उनके नए-नए कारनामे जनता के समक्ष आयेंगे।
सुमन
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गरीब के पास खोने के लिए उसकी जान और इज़्ज़त के अलावा कुछ नहीं होता और जिस दिन उस गरीब का ज़मीर जाग जाता है वह रक्तक्रान्ति कर बैठता है। इन पढ़े-लिखे चूतिया अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा कि ये अपनी आने वाली नस्लों के लिये कब्र खोद रहे हैं। शोषण की ये श्रंखला इनकी पीढ़ी का नाश करके ही टूटेगी
ReplyDeleteजय जय भड़ास
स्साले कोर्ट प्रशासन कुछ इने गिने चूतियों के नाम गिना कर आम लोगों का झुनझुना पकड़ा देते हैं और हमारे देश के ये नौकरशाह देश द्रोह के काम में लग जाते हैं.
ReplyDeleteघोष सरीखे पदाधिकारियों की गांड में गोबर डाल कर रेगिस्तान में दौड़ाना होगा.
जय जय भड़ास
_तिया और _ड़ जैसे शब्दों का प्रयोग और अंत में
ReplyDeleteजय जय भड़ास कहना आवश्यक है यहाँ टिप्पनी हेतु।
भड़ास शब्द भी अद्भुत है और यह जगह भी।
सुमन जी को एक अच्छे आलेख के लिए धन्यवाद।
चोरबजारी फैली हि चारो ओर-चोरी और सीना जोरी।