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जहाँ चीन का सकल घरेलु उत्पाद ९% और भारत का ७.५% तक हो और उसका डंका सारी दुनिया पीटे तो ऐसा लगता है (आम जन मैं) कि ये जी.डी.पी का मतलब कुछ तो है जो आंकड़ों की जुबानी आर्थिक सफलता की कहानी बताती है। वैसे २००९-२०१० पूरी दुनिया को आर्थिक रूप से हिला देने वाला साल था जिसने लेहमन ब्रोदेर्स जैसे नामचीन संस्थान को कौड़ियों के दाम मैं बिकवा कर छोड़ा। सिर्फ हिन्दुस्तान और चीन ही ऐसे देश की श्रेणी मैं थे जिसपर आर्थिक मंदी का कहर सामान्य से कम था। वैसे समस्याए कम ज़रा सी भी नहीं थी परन्तु आंकड़ों के हवाले से हम मज़बूत अर्थव्यस्था साबित हुए ।
मज़बूत अर्थव्यवस्था और आंकड़ों की फान्देबाज़ी का फायदा आम जन की जिंदगी पर पड़ता है क्या? अर्थशास्त्री अपनी भाषा मैं ज्ञान देते हुए दीखेंगे कि हाँ धीरे धीरे समाज का हर तबका फायदे मैं रहता है। कैसे? कितने धीरे (समयमें) ? शायद जवाब ना मिले क्योंकि ये खेल कागजी और अंकगणित का है जिंदगी का नहीं।
कुछ उदाहरण भारत के संदर्भ:-
- कृषि उत्पाद मैं ज़बरदस्त गिरावट - कारण- ख़राब मानसून।
- नौकरी मैं कटौती - कारण- दुनियाभर मैं मंदी
- निर्यात मैं कमी - कारण- विदेशी आर्थिक स्थिति के चलते मांग मैं कमी।
- मंहगाई मैं ज़बरदस्त बढ़ोत्तरी - कारण- बाज़ार मैं सामान कम पैसा ज्यादा।
मन्मोह्नोमिक्स के बाद नितिकोनोमिक्स का कमाल!
उत्तर भारत भयंकर सर्दी के चपेट मैं है इसीलिए हम मैं से अधिकतर घर मैं चाय के चुस्की और पकोड़ों के स्वाद के साथ टी.वी पर समाचार या फिर अखबार पढना पसंद करते हैं। पिछले हफ्ते एक ब्रेकिंग न्यूज़ आया कि सकल घरेलु उत्पाद दर के मामले मैं बिहार सिर्फ गुजरात से पीछे। विकास दर ११.३% बताया गया ......हम बिहारियों कि शाम यादगार बनने वाली थी...खतरनाक खबर अगर कोई हो सकता है तो इस खबर से ज्यादा और कोई खबर नहीं हो सकता।
कहाँ के आंकड़े हैं? कैसे संभव हुआ? किस चमत्कारी बाबु ने इस नंबर को गीना और बुना? वैसे कुछ भी कहें खबर से दिल को कुछ ठंढक मिली, अब कम से कम कुछ दिनों तक मीडिया बिहार को कुछ अछे वजह से खबर मैं रखेगा (अपहरण और हत्या के खबर से परे) परन्तु फिर बात बाबा की (गाँधी बाबा) याद आई कि धोखे मैं किसको रखना है.......जनता को? मीडिया को? दुसरे राज्य के लोगों को ? या फिर खुद को?
वैसे अर्थशास्त्र कि थोड़ी सी समझ है (स्नातकोत्तर तक पढ़ा है) इसीलिए सकल घरेलु उत्पाद (जी.डी.पी) का थोडा सा ज्ञान है........अर्थव्यवस्था मैं ११% का विकास दर मतलब कोई कि "धोखे मैं ना रहे युद्ध स्तर पर विकास का काम हो रहा है......."
बिहार मैं कैसे २००९-१० मैं ११.३% ?
- पिछले साल किसी भी नए उद्योग कि स्थापना नहीं?
- बिहार का बिजली उत्पादन (साल ०९-१०) - ० मेगा वाट
- नए रोज़गार के अवसर - नगण्य
- सड़क निर्माण (कुछ हद तक )
- नए योजना (रोज़गार और आधारभूत ढांचागत विकास)- नगण्य
- सरकारी वेतनमान (पांचवी)
वैसे चलते चलते नितीश जी और उनके आर्थिक सलाहकार तथा आंकड़ों को बधाई की भले ही क्षणिक परन्तु राष्ट्रीय स्तर पर सारे बिहारियों को कुछ अच्छा सुनने और पढने को मिला।
जाते जाते नज़र डालिए इन बच्चों पर जो आने वाले समय मैं शायद आई.ऐ.एस बने या फिर आंकड़ों का खेल खेलें परन्तु आज भी इन्हें स्कूल का काम ऐसे करना पड़ता है:
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