उच्च पदस्थ सूत्रों ने शनिवार को बताया कि हाई कोर्ट के 12 जनवरी के फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई है। यह अपील तब दायर की गई जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों में फैसले को चुनौती देने को लेकर सर्वसम्मति बनी। सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों के साथ भी सलाह-मशविरा किया और जो आधार उसने बनाए हैं, वे हाई कोर्ट में लिए गए आधारों के समान ही हैं। उसमें उसने कहा था कि सीजेआई के पास जो सूचना है, उसका खुलासा करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
अटार्नी जनरल उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री की तरफ से दलील देंगे। इस मामले के जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगाने की मांग करेगी और वह इसे वृहत पीठ या संविधान पीठ को सौंपने की दलील देगी।
सूत्रों ने कहा कि अपील काफी विचार-विमर्श के बाद दायर की गई क्योंकि शुरुआत में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों में इस बात पर मतभेद था कि अपील की जाए अथवा नहीं। एक ऐतिहासिक फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने गत 12 जनवरी को कहा था कि प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई अधिनियम के दायरे में आता है। उसने सुप्रीम कोर्ट की अपील को खारिज करते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता न्यायाधीश का निजी विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि उसे एक जिम्मेदारी दी गई है।
हाई कोर्ट के फैसले को प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन के लिए करारा झटका माना जा रहा है जो लगातार कहते रहे हैं कि उनका कार्यालय आरटीआई अधिनियम के दायरे में नहीं आता है।
न्यायमूर्ति खुद को रखें, कानूनों से दूर.
ReplyDeleteजनगण क्यों कानून को मानें- कहें हुज़ूर?
आम-खास के बीच क्यों, मानें अंतर आप?
समता का कानून क्यों सका न अब तक व्याप?
निज संपत्ति को छिपाना, अगर हुआ अपराध.
छूट मिले क्यों आपको, सके न क्यों यह साध?
न्यायपालिका बधिर है, अंधा है कानून.
इसीलिये तो हो रहा, नित्य न्याय का खून..
अब भी खुद को बदलिए, समय करे ना माफ़.
करना होगा एक दिन, खुद का भी इन्साफ..
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