हमारा देश करप्शन की कू में चलता है,
जुर्म हर रोज़ नया एक निकलता है।
पुलिस गरीब को जेलों में डाल देती है,
मुजरिमे वक्त तो हाकिम के साथ चलता है।।
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हर तरफ दहशत है सन्नाटा है,
जुबान के नाम पे कौम को बांटा है।
अपनी अना के खातिर हसने मुद्दत से,
मासूमों को, कमजोरों को काटा है।।
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तुम्हें तो राज हमारे सरों से मिलता है,
हमारे वोट हमारे जरों से मिलता है।
किसान कहके हिकारत से देखने वाले,
तुम्हें अनाज हमारे घरों से मिलता है।।
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तुम्हारे अज़्म में नफरत की बू आती है,
नज़्म व नसक से दूर वहशत की बू आती है।
हाकिमे शहर तेरी तलवार की फलयों से,
किसी मज़लूम के खून की बू आती है।।
- मो0 तारिक नय्यर
भाई सिर्फ़ रिरियाना और समस्याएं बताने की शायरी से काम नहीं बनने वाला इस देश में, कलम से लिखने के साथ उसे पिछवाड़े घुसा देना भी शुरू करना होगा और स्याही निकाल कर मुंह काला कर देना होगा वरना ये ऐसे ही खून पीते रहेंगे और हम स्वैच्छिक रक्तदान करते रहेंगे
ReplyDeleteजय जय भड़ास