आर्यावर्त ख़बरों चर्चाओं और आलेखों के अलावे उक्तियों और दोहों का नया कड़ी डालने जा रहा है जो कि जारी रहेगा, आप लोगों से सुझाव और विचार का हमेशा स्वागत रहेगा.
इसी कड़ी में शुरुआत हम आज से ही करते हैं.
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोडिए, जब लग घट में प्राण।।
(तुलसीदास)
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
ReplyDeleteहिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी