आध्यात्मिक गुरू आसाराम बापू की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब गुजरात के नवसारी जिला कलेक्टर ने चिखली आश्रम पर अवैध कब्जा करने को लेकर आसाराम बापू को नोटिस दिया है। जिलाधिकारी ने बापू को आश्रम से दो दिन में अवैध कब्जा हटाने का निर्देश भी दिया है।
इसके पहले भी आसाराम बापू के बेटे नारायण सांई को 29 दिसंबर को साबरकांठा जिलाधिकारी ने नोटिस दिया था। यहां पर जिलाधिकारी ने नारायण सांई को एक आश्रम पर अवैधकब्जे को लेकर 10 दिन का अल्टीमेटम दिया था।
जिलाधिकार द्वारा नोटिस में कहा गया है कि वह 10 दिनों के अंदर आश्रम खाली न करने की स्थिति में कार्रावाई के लए तैयार रहैं। नारायण सांई पर यह आरोप है कि गलत तरीके से उन्होंने आश्रम बनाया है।
आसाराम आश्रम की ओर से 67 हजार वर्गमीटर सरकारी जमीन पर किए गए अवैध कब्जे के मामले में कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग विरमगाम के प्रांत अधिकारी ने शुक्रवार को ठुकरा दी। अब दसक्रोई के तहसीलदार शनिवार को राजस्व की धारा 202 के अंतर्गत नोटिस भेजकर कभी भी अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई कर सकते हैं।
आश्रम की ओर से यह बताया गया था कि प्रशासन ने आसाराम ट्रस्ट को नोटिस दिया है जबकि संबंधित जमीन महिला उत्थान आश्रम की है जिसे नोटिस नहीं दिया गया है। डीएलआर की पैमाइश प्रक्रिया पर संदेह जताते हुए उसे भी चुनौती दी गई थी। मोटेरा स्थित आसाराम आश्रम द्वारा साबरमती नदी के किनारे की 51 हजार वर्गमीटर सहित कुल 67 हजार वर्गमीटर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। इस जमीन को खाली करने के लिए दसक्रोई के तहसीलदार रविन्द्रसिंह वाला ने आश्रम संचालकों को एक सप्ताह का समय दिया था।
गुरुवार को यह अवधि पूरी हो गई थी। तहसीलदार की कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए आश्रम की ओर से विरमगाम के प्रांत अधिकारी बी।एच.विहोल के समक्ष गुहार लगाई गई थी। इससे संबंधित अर्जी में कहा गया था सरकारी जमीन खुली है और उस पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया गया है। प्रांत अधिकारी ने तहसीलदार की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग ठुकरा दी। आसाराम आश्रम की ओर से अधिवक्ता निलेश त्रिवेदी ने अपनी दलील में कहा था कि नदी के किनारे की जमीन खुली है और उस पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया गया है।
आश्रम के कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में साधक आते हैं । इस स्थिति में खाली जमीन का उपयोग होता है। इस जमीन पर अनेक वृक्ष लगाए गए हैं जो पर्यावरण की दृष्टि से उत्तम है। यदि सरकार इसे अतिक्रमण मानती है तो भी उसे हटाया नहीं जा सकता। इसके अलावा पानी का बोर वहीं पर है जिसे कानूनन नहीं हटाया जा सकता।
प्रशासन की ओर से जो नोटिस दिया गया है वह संतश्री आसाराम आश्रम ट्रस्ट को दिया है जबकि उसे महिला उत्थान ट्रस्ट को देना चाहिए था। यहां तक कि डीएलआर की पैमाइश के दौरान आश्रम की ओर से मौके पर कोई मौजूद नहीं रहा जिससे यह पैमाइश भी उचित नहीं मानी जा सकती।
कृपया संगीता पुरी जी से अपनी कुंडली चेक करवा लें, कोई न कोई रास्ता निकल आएगा।
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साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।