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पहले राज ठाकरे अब शिवराज सिंह चौहान से बिहारी नेतागण नाराज़......क्योँ,???
कल शिवराज सिंह चौहान की एक जनसभा मैं वो आम जन को संबोधित करते हुए निजी उद्योगपतियों को बता रहे थे की " अगर आप हमारे यहाँ (मध्य प्रदेश) मैं उद्योग लगाते हैं तो आपको पहले यहाँ की बेरोजगारों को Training देना होगा और फ़िर उन्हें ही काम भी देना होगा, ऐसा नही चलेगा की आप फेक्ट्री यहाँ लगाएं और काम करने वाले बिहार से आयें"। शिवराज को अपना भाषण पुरा किए हुए घंटा भर भी नही बिता था की बिहार के दो महारथियों का भावना और देशप्रेम से ओतप्रोत वक्तव्य आना प्रारम्भ हो गया। वैसे मीडिया ने भी (जिसमे ७५% से अधिक बिहारी ही हैं) अपने तरफ़ से कोई कसर बाकी नही रखी मामले को टूल देने मैं..... ऐसा क्या कह दिया शिवराज सिंह ने? या कहें की क्या ग़लत कहा उस राज्य की मुख्यमंत्री ने जो ख़ुद बेरोजगारी से बुरी तरह लड़ रहा है। वैसे संविधान हमें ये अधिकार देता है की हम कहीं भी जा कर नौकरी कर सकते है और अपने आशियाना बना सकते हैं परन्तु सवाल यह ही की अगर हमारे घर पर अगर कोई संसाधन (रोज़गार)उपलब्ध है तो मुझे प्राथमिकता क्योँ ना मिले? बिहार मैं एक ज़माने मैं कई चीनी की मिलें थी और उसमे ९५% से अधिक सिर्फ़ बिहारी ही नौकरी करते थे.....आज अगर बिहार की सरकार कोई रोज़गार का संसाधन उपलब्ध कराये और उस का फायदा मराठी, मद्रासी, गुजराती या फ़िर किसी अन्य राज्य के लोगों को ही मिले तो क्या बिहार की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी....या फ़िर बिहारी जनता उतना ही देशप्रेम दिखायेगी जितना अभी दिखा रही है...... हद हो गई बेशर्मी की ..... हमारे मुख्यमंत्री चाहे निवर्तमान हों या भूतपूर्व "भावना के नाम पर जनता को अपने पाले मैं गोलबंद करने के लिए आनन फानन मैं भड़काऊ बयान देने से बाज़ नही आते" पर आख़िर क्यों? पिछले ३० सालों से बिहार के शासकों ने रोज़गार के नाम पर कुछ नही किया है, इतने बड़े और उपजाऊ धरती के प्रधान होने के वावजूद भी अगर उनसे विकास का प्रश्न पूछा जाए तो एक ही गाना सुनने को मिलता है " बिहार केन्द्र की उपेक्षा का शिकार है और केन्द्र सरकार हमें वित्तीय मदद नही दे रही है" । आप भिखारी हैं क्या? आपको कोई मदद क्यों दे? आपकी औकात अगर राज भार चलाने की नही है तो बंद करिए अपनी राजनितिक दूकानदारी । Revenue को बढ़ाना आपकी ज़िम्मेदारी है ना की केन्द्र सरकार की, चुनाव आप अपने बूते पर लड़ते हैं और बड़े बड़े सब्जबाग दिखाकर लोगों से वोट भी मांगते हैं , क्योँ? केन्द्र सरकार से भीख मांगने के लिए, या फ़िर दुसरे राज्यों पर देशप्रेम के नाम से लड़ने के लिए? राज ठाकरे का मराठियों के लिए लड़ना या फ़िर शिवराज सिंह चौहान का मध्य प्रदेश के लोगों के नाम पर उद्योग लगाने की बात करना किसी भी कोने से असंवेधानिक नही कहा जा सकता ..... मैं एक बिहारी हूँ लेकिन तंग आ गया हूँ अपने राज्य के निक्कमे राजाओं से .......चाहे नीतिश हो या लालू या फ़िर कोई और......लेकिन इनके निक्कमेंपन की सज़ा दुसरे राज्य जिनके शासक कुछ कर रहे हैं को क्यों मिले......
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