जी हाँ प्रश्न शायद अटपटा लगे या ना भी लगे मगर है ये प्रश्न है और अपनी जगह पर उत्तर भी तलाश रहा है।
जी हाँ यशवंत सिंह "भड़ास blog" का मोडरेटर है , उसी ब्लॉग का एक संचालक मंडल हुआ करता था, संरक्षक हो या प्रधान मोडरेटर। सलाहकार हो या प्रवक्ता बाकायदा एक संगठन की तरह भड़ास ने अपना स्वरुप बनाया जिसका दर्शन आम लोगों के लिए आवाज उठाना और लड़ना था।
अब जरा एक नजर बगल के तस्वीर पर डालिए.... जी हाँ कल अचानक कुकुरमुत्ते की तरह यशवंत सिंह मेरे गूगल मेसेंजर में उगा, अपने व्यक्तित्व के मुताबिक कुछ शब्द मुझे दिए और कुकुरमुत्ते की तरह ही विलीन हो गया।
भड़ास के दर्शन के विपरीत जब इसने मिडिया की दलाली करनी शुरू की और भड़ास का उपयोग इसने इस दलाली में करना शुरू किया तो तमाम विचारवान भड़ासी ने भड़ास से कन्नी काट लिए। हमने अपनी आत्मा इस दोगले नस्ल के सफ़ेद गैंडे के पास से चुरा कर अपना भड़ास अपने पास रखा और विचारों की लडाई जारी रखी तो इस बे पेंदी के लोटे को ये बात हजम नही हुई और इस तस्वीर की तरह अनेक प्रकार के तरीके अपनाये भड़ास को मिटाने के लिए। खैर उस बात पर मैं आगे लिखूंगा अभी बात सिर्फ़ एक तस्वीर की की ब्लॉग जगत में गुडी गुडी तस्वीर बना कर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करने वाला ये गोरी चमरी वाले गैंडा की हकीकत लोगों को पता चलना चाहिए।
जय जय भड़ास
रजनीश भाई आप यकीन मानिये कि ये यशवंत सिंह के पतन से उपजी बौखलाहट है जिसके कारण वो ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने भड़ास की लोकप्रियता के चलते नोट छापने के लिये अपने व्यक्तित्त्व के कारण औयल फ़ौर मसाज स्टाइल में भड़ास फौर मीडिया बना लिया था और खुद को CEO आदि लिखने की जो पिपासा थी उसे शान्त करना चाहा और कुछ भोले लोगों को बेवकूफ़ बना कर एडवर्टाइजमेंट्स भी झटक लिये लेकिन लकड़ी की हंड़िया थी कितनी देर तक आग पर रहती सो अब इनका चारित्रिक फुसफुसापन सामने आने पर सब ढेर हो रहा है।
ReplyDeleteकुछ नहीं तो आपको ही गाली गलौज कर लिया। एक रीढ़विहीन आदमी इसके अलावा क्या कर सकता है, देने दीजिये गाली उससे भड़ासियों की सेहत और सुधरती है। वो गैंडा नहीं है आप गैंडे की बेइज़्ज़ती मत करिये
जय जय भड़ास