कल शिव सेना के कार्यकारी प्रमुख ऊद्धव ठाकरे की उपस्थिति में हजारों की संख्या में शिवसैनिकों ने एकत्र हो कर अजमल कसाब को सरेआम फांसी पर लटका दिया। इस बात की खबर मैं एक उर्दू समाचार पत्र में एक दिन पहले ही पढ़ चुका था कि शिवसेना के लोग ऐसा करने वाले है।
आप सबको ये बात अजीब लग रही होगी कि क्या इन सियारों की टोली में इतना साहस है कि ये महामहिम राष्ट्रपति जी से भी ज्यादा सुरक्षा में रहने वाले हमारे परमप्रिय राष्ट्रदामाद अजमल कसाब का कुछ बिगाड़ सकते हैं? इन लोगों ने क्या करा कि घासफूस का एक पुतला बना कर उसे फांसी पर लटका कर अपनी औकात बता दी कि इन फुसफुसे लोगों में कितना दम है। चिरकुटों में अगर इतना ही साहस है तो जैसे हाल ही में न्यूज चैनल के कार्यालय पर हमला करा था, जैसे बाबरी मस्जिद तोड़ी थी वैसे ही इकट्ठा होकर सरेआम सड़क पर खींच कर उस सुअर के जने को बोटी-बोटी कर डालो तब लगे कि तुम्हारी पिछाड़ी में दम है लेकिन तुम चूतिये क्या कर सकते हो हमें पता है कभी हिंदू-मुस्लिम की बात करके बकबक करना और कभी हिंदी मराठी के नाम पर चिरकुटही मारपीट। इससे ज्यादा करने की अगर दम होती तो दोनो रजुआ और बलुआ मिल कर अपनी सेनाएं लेकर जाते आतंकियों से लड़ने लेकिन उस समय तो टट्टी में दुबके बैठे थे पादने तक की आवाज नहीं आ रही थी , एक सप्ताह बाद तो मुंह में जुबान लौट कर आयी थी।
साले कसाब को फांसी देंगे..........
अबे चिरकुटों ध्यान रखो कि अगर एक बार फिर किसी आतंकी ने पेला मुंबई को तो हो सकता है कि तुम सब मुंबई छोड़ कर विदेश न भाग जाओ कायरों!!!!!
अगर सांकेतिक ही सब कुछ करना है तो चैनल पर हमला क्यों कराया, हिंदी बोलने वालों का संकेत में विरोध कर...
लेकिन पता है कि ये सब करने से कुछ नहीं बिगड़ेगा अगर कसाब को छू भी लिया तो आतंकी इन सियारों की खाल में भूसा भर कर मुंबई में वीटी स्टेशन के बाहर लटका देंगे इसलिये बस बकर बकर करो वरना पता है न कि तुम्हारा क्या होगा पोंगे सैनिकों के महापोंगे सेनापतियों....
जय जय भड़ास
"राष्ट्रदामाद अजमल कसाब"!!!
ReplyDeleteबजा फ़रमाया आपने!
आज ही अखबार में पढ़ा है, मुए की सुरक्षा पर साढ़े आठ लाख रोज़ पुज जाते हैं!
अजी ये रजुआ और बलुआ मिट्टी के ही बने हैं।
ReplyDeleteसही कान खींचे आपने, धन्यवाद
प्रणाम
भाई आपने सही लिखा है,जिस्मानी तौर पर तो नहीं लेकिन ये कसाब के पुतले को फांसी देने वाले निःसंदेह ही वैचारिक हिजड़े हैं। आपने सच लिखा है कि ये गरीबी की मार से पहले ही मरे हुए उत्तर भारतीयों का सांकेतिक विरोध नहीं करते क्योंकि पता है कि वे बेचारे कुछ कर नहीं सकते लेकिन कसाब के आका तो चूं-चां करने पर इसी बकरीद पर जिबह कर दें
ReplyDeleteजय जय भड़ास