आज़ादी बचाओ आंदोलन हुआ भ्रष्ट, बन गया भारत स्वाभिमान ट्रस्ट

जैसा कि आजकल योगगुरू बाबा रामदेव आजकल योग छोड़ कर राजनेताओं की शैली में एक सफल वक्ता की तरह बोल रहे हैं तो सह्ज ही उत्सुकता होती है कि ये बातें तो एक जमाने में "आज़ादी बचाओ आंदोलन" के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित बोला करते थे। धीरे-धीरे कुछ कैसेट्स और ’दाल रोटी’ नामक पत्रिका से पहचाने जाने वाले राजीव दीक्षित और बाबा रामदेव के बीच में एक विलीनीकरण हुआ जैसा कि दो कार्पोरेट कंपनियों में हुआ करता है। दोनो कंपनियां लाभ की शर्तों पर ही इस तरह का विलीनीकरण स्वीकारती हैं। बाबा रामदेव जब शारीरिक स्वास्थ्य की बातें करके लोगों को बड़े ही औद्योगिक अंदाज में प्राणायाम सिखा रहे थे उसी दौरान उनके कैम्प में आगमन हुआ राजीव दीक्षित का जिन्होंने बाबा रामदेव और नेपाली बालकृष्ण को ये समझा लिया कि देश में आंकड़ों का खेल खेलो जो ज्यादा सफल है। इस संधि के बाद रामदेव कैम्प से आचार्य कर्मवीर आदि बाहर धकेल दिये गये क्योंकि अब समीकरण आध्यात्मिक न रह कर कूटनीतिक हो चले थे। रामदेव के भीतर भी पहले ही कीड़े तो थे ही जिन्हें राजीव दीक्षित के आंकड़ों के खेल ने पनपने का वातावरण प्रदान कर दिया।
जय जय भड़ास

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