..कोई रोकता क्यों नही?

कोई सिर्फ़ गजरे से घर सजाना चाहता है तो किसी को आकाश ही चाहिए । किसी को कम पर संतोष नही ...सब एक दुसरे को धोखा देने में लगे है । हर कोई दिखावा ही कर रहा ...सादगी तो जैसे बहुत पीछे .....!
किसी के लिए रिश्ते नाते सब नाटक है ...इसी बहाने लूटने का मौका मिल जाता है ....ओह !अग्नि के सात फेरे का कोई मोल नही ....
देह को लाल पिला करना ही आधुनिकता हो गई ...सबको हो क्या गया है !अबूझ पहेली .....हद हो गई है ।
....कोई रोकता क्यों नही ,रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।

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