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धूर्त शिरोमणि बाबा रामदेव कर रहा है यौगिक मर्यादा से लगातार बलात्कार
बाबा रामदेव के विषय में ऐसे कठोर शब्द लिखने से बहुत सारे लोगों को लगेगा कि शायद कोई निजी दुराग्रह है। सत्य ये है कि इसने जिस कदर यौगिक मर्यादा से छेड़छाड़ कर डाली है अब वह मात्र छेड़छाड़ न रह कर बलात्कार की हद तक आ गयी है। इसने जिस तरह राजीव दीक्षित के साथ मिल कर अपनी योग की दुकानदारी की गाड़ी का गेयर बदल कर राजनीति शुरू करी है वह धूर्तता की पराकाष्ठा है। पहले आपको बताया जा चुका है कि किस तरह ये योग के नाम पर आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापारी बन बैठा, किस तरह इसने योग के प्राणायाम की आत्मा "धारणा" को बाहर निकाल कर प्राणवान प्राणायाम को निष्प्राण कर दिया है। अब तो इसने हद कर दी है कि इसने अपना साम्राज्य विस्तार करने के लिये मुस्लिम संगठनों को समझाने के स्थान पर उनके तुष्टिकरण के लिये "ॐ" के उच्चारण के बिना ही प्राणायाम करने के लिये सहमति दे दी है। मुस्लिम बंधु खुश हो जाएंगे कि चलो शारीरिक लाभ भी मिल रहा है और आस्था पर भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। लेकिन ये पूरी तरह से गलत है उन्हें इसकी उपादेयता बताए बिना ही अपनी ओर मिला लेने की नियत से उन्हीं का नुकसान करा है। वो बेचारे कभी समझ ही न पाएंगे कि आखिर क्यों विभिन्न आसनों या प्राणायामों के साथ क्यों किसी विशेष भाषा के कुछ शब्दादि जोड़े गये हैं। उनके उच्चारण से प्राणायाम करते समय क्या लाभ होता है? वैदिक सभ्यता(मेहरबानी करके इसे प्रचलित हिंदू वादी सोच से न जोड़ें) के दौरान शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में गहन शोध हुए हैं जिन्हें भले ही अब निजी स्वार्थों के कारण नकारा जा रहा है। इस दौरान उन वैज्ञानिकों को श्रृषि कहा गया। उन्होंने जो भी लिखा वह् हिंदू, मुसलमान या पारसी आदि के लिये सीमित न करके संपूर्ण मानवों के लिये बताया। ईश्वर का एक होना, निराकार होना, प्रकाश व तेज रूप में होना जैसी बातें इस्लाम व वैदिक धर्म में एक जैसी ही हैं और आगे आने पर जो कुछ भी अंतर दिखते हैं वह मात्र देश व काल के भेद के कारण हैं। यदि बाबा रामदेव सचमुच निष्ठावान है तो डा.जाकिर नाइक के सामने आकर उनसे इस विषय पर शास्त्रार्थ करे और उन्हें सहमत करें ताकि मुस्लिम बंधु भी योग की पूर्णता को जान समझ कर उससे लाभ ले सकें।
जय जय भड़ास
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