मुनव्वर आपा ने जिस तरह से मेहनत करी है और नस्तालिक लिपि में ब्लागिंग करने का साहस जुटाया है वह निःसंदेह प्रशंसनीय है। भड़ास के मंच ने लोगों को अपने भीतर दबी कुचली कुंठाओं तक को बाहर उगल कर निर्मल हो जाने का मार्ग दिया है वह सचमुच चमत्कारिक प्रभाव युक्त है। चाहे मुनव्वर आपा हों या मनीषा दीदी इन लोगों को इनके लौह दायरों से बाहर ला पाना भड़ास पर ही संभव हो पाया। जाहिर सी बात है कि इसमें सारे भड़ासियों का एक दूसरे के प्रति असीमित प्रेम आधार बनता है।
सारे भड़ास परिवार की तरफ़ से आदरणीय मुनव्वर आपा को बधाइयां। मुंबई में ये पत्रिका अब तक नहीं आयी है। शायद कल परसों तक आ जाए।
जय मुनव्वर आपा
जय जय भड़ास
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