थोड़ी सी व्यस्तता के चलते लिख नहीं पा रहा था। डा.रूपेश की साइट आयुषवेद हैक हो गयी ये देख कर गुस्सा आया कि ऐसे भी कमीने लोग हैं जो इस तरह के उपक्रमों पर हमला करते हैं। डा.साहब को चाहिये कि बेलापुर के साइबर पुलिस सेल में जाकर उन मोटे हो रहे पुलिस वालों से कुछ मेहनत करवाएं जो मुफ़्त की पगार लेकर इंटरनेट पर न जाने क्या क्या देखते बैठे रहते हैं। दूसरी बात एक और सामने आयी है कि अब लोग पोस्ट्स पर टिप्पणियां देने में हिचकिचाते हैं खास तौर पर जब कोई विवादित पोस्ट हो। अरे भड़ासियों ये भड़ास है यहा विवाद न सुलझेंगे तो कहां सुलझेंगे? प्रवीण जी ने जमाने बाद एक पोस्ट लिखी है वो भी अपनी दुकान के एडवर्टाइजमेंट के लिये कि आप जाकर इनके ब्लाग के सदस्य बन जाएं इन्होंने लिंक के ऊपर जो हाइपर करा है वह इनके ब्लाग की सदस्यता की लिंक है। जैसे ही आप इस लिंक को क्लिक करेंगे इनके ब्लाग के सदस्य बन जाएंगे। प्रवीण जी शायद भड़ास से जिस किसी भी स्वार्थ के कारण जुड़े हैं पर ये नहीं जानते कि ब्लागिंग ही क्या भड़ास पर तो वर्चुलल स्पेस के साथ साथ फिजिकल स्पेस की भी सारी समस्याओं पर मदद करी जाती है। सुमन जी कस कर लिख रहे हैं साधुवाद। अनूप मंडल जी की नयी पोस्ट सचमुच माइंडब्लोइंग है।
आशा है दीवाली सही गुजरी होगी,बच्चे वगैरह पटाखों से जले न होंगे, महीने का बजट न लड़खड़ाया होगा। जेब में माल है तो हर रात दीवाली हो और हर दिन ईद......।
जय जय भड़ास
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