mahoday saprem nanaskarm, Aap ki bhadas dekhi aur kafee pasand ayi, atah yadi aap ki aaghyan ho to main in main se kuchh chunindah articles apne pakshik samachar patr " JANHIT VIJAY " main prakashit karoon,, pushchah..article ke lekhak ke nam ke sath ukt article apne samachar patar main prakashit kar sakta hoo? ( sabhar ke sath)... dhanyavad
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आप को भड़ास पसंद आया ये विचित्र सा सुख देने वाली बात है क्योंकि हमारा उगला हुआ भी किसी के खाने के काम आ जाए ये बात डा.रूपेश कहा करते हैं तब तो सार्थकता है हमारी उल्टी करी वमन की वरना सब व्यर्थ....।
ReplyDeleteआदरणीय आपने अपना परिचय नहीं दिया कि समाचार पत्र कहां से निकलता है,आपका नाम क्या है आदि। एक बात ध्यान रखिएगा कि कई पोस्ट्स किसी न किसी विवाद के संदर्भ और प्रसंग से जुड़ी रही हैं इसलिये यदि आप आगे-पीछे की बातों का उल्लेख करे बिना पोस्ट लेंगे और बताएंगे कि भड़ासी ये विचार रखते हैं तो ये सत्य अधूरे से होंगे ये ध्यान रखें वैसे हमारे भड़ास परिवार में मनीषा दीदी का "अर्धसत्य" भी जुड़ा है।
मुझे आशा है कि संचालक द्वय भाई रजनीश झा और डा.रूपेश श्रीवास्तव जी को कोई आपत्ति न होगी।
जय जय भड़ास
srimanji
ReplyDeleteloksangharsha k lakh perkasit kary.
suman
loksangharsha
भाई धन्यवाद इस बात के लिये कि आपको भड़ास में कुछ भी पसंद आया। शेष मुनव्वर आपा ने कह ही दिया है। अब तो आपने देख लिया कि सुमन भाईसाहब ने भी लोकसंघर्ष के बारे में अनुमति दे दी है। हमारा कोई कापीराइट नहीं है भला दर्द,चीख और रचनात्मकता का भी कापीराइट हो सकता है?
ReplyDeleteजय जय भड़ास