शुभ लाभ हमारा दर्शन नही है,
लेकिन ज्योति पर्व दीपावली पर शुभ लाभ का महत्त्व सबसे ज्यादा है इसी कारण हमारी समाज व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है। जिसके कारण मानव ही खतरे में पड़ गया है। इस त्यौहार को मनाने के लिए लाभ को ही शुभ मानने वाले लोगो ने नकली खोया,
मिठाइयाँ,
घी,
खाद्य तेल सहित तमाम सारी उपभोक्ता वस्तु बाजार में लाभ के लिए बेच रहे है। बिजनौर जनपद में 95 कुंतल सिंटेथिक खोया व उससे बनी मिठाइयाँ बरामद हुई है । बस्ती जनपद में 4 कुंतल मिठाई,
5 कुंतल खोया रोडवेज की बस में लोग छोड़ कर भाग गए। इस तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में लाभ के चक्कर में लाखों कुंतल खोया,
मीठा,
नमकीन,
खाद्य पदार्थ को बेचा जा रहा है जिसका दुष्परिणाम यह है कि लोगों को मधुमेह,
दिल,
गुर्दा,
पथरी,
कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियाँ हो रही है और लोग अकाल मृत्यु मर रहे है । भारतीय समाज का दर्शन मानव कल्याण का दर्शन था । इसके साथ हमारी प्रकृति के साथ चलने की प्रवित्ति थी किंतु, पूँजीवाद के संकट ने हमारे सारे मूल्य बदल दिए है । लाभ ही शुभ है और शुभ ही लाभ है । समय रहते ही अगर हमने पूँजीवाद से न निपटा तो मानवीय मूल्य समाप्त हो जायेंगे ।लोकसंघर्ष परिवार की ओर से सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।। सुमन
loksangharsha.blogspot.com
’बाप बडा ना भॆय्या,सबसे बडा रूप्पॆया’-पूंजीवाद का मूल-मंत्र ही यह हॆ.
ReplyDeleteलाभ यदि शुभ मार्ग से हो यानि कि बिना किसी को हानि पहुचाए लाभ हेतु व्यवसाय करा जाए किन्तु जब मात्र लाभ ही लाभ की सोच हो येन-केन प्रकारेण तब नुक्सानदेह है
ReplyDeleteजय जय भड़ास