डॉक्टर साहब ,
महाजाल के सुरेश चिपलूणकर जी उस सोच और विचारधारा के है जिसको हिटलर की नाजी विचारधारा कहते है । भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ज़माने से यह विचारधारा काफ़ी फली- फूली और पनपी है इस विचारधारा का सम्बन्ध मानवीयता से जरा भी नही है । यह लोग हिटलर के उस कुकृत्य को भी सही ठहराते है जिसमें हजारो लाखों लोगो को गैस चैम्बर्स में डाल कर मार डाला था । हजारो लाखो लोगो के ऊपर तमाम सारे सर्जिकल प्रयोग किए गए थे और वो सारे के सारे लोग मर गए थे । हिरोशिमा और नागासाकी के ऊपर बम गिराने वालो की विचारधारा से यह लोग ओतप्रोत है । आज की परिस्थिती में यह लोग जाति भाषा धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाकर इस देश के टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहते है । न इनका मानवता से कोई लेना- देना है न इस देश से ।
गाँधी वध क्यों ? इस किताब का बेचना इनका परम कर्तव्य है । साधारण सी बात है किसी बात से सहमत होना असहमत होना अलग बात है लेकिन उसको मार डालना और उस अपराध को जायज ठहराना उनकी फितरत है और अब इस विचार धारा के लोगो ने देश में काफ़ी स्कूल खोल कर अपनी गन्दी विचारधारा का प्रचार प्रसार बच्चो के बीच में कर रहे है ।
सुमन
महाजाल के सुरेश चिपलूणकर जी उस सोच और विचारधारा के है जिसको हिटलर की नाजी विचारधारा कहते है । भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ज़माने से यह विचारधारा काफ़ी फली- फूली और पनपी है इस विचारधारा का सम्बन्ध मानवीयता से जरा भी नही है । यह लोग हिटलर के उस कुकृत्य को भी सही ठहराते है जिसमें हजारो लाखों लोगो को गैस चैम्बर्स में डाल कर मार डाला था । हजारो लाखो लोगो के ऊपर तमाम सारे सर्जिकल प्रयोग किए गए थे और वो सारे के सारे लोग मर गए थे । हिरोशिमा और नागासाकी के ऊपर बम गिराने वालो की विचारधारा से यह लोग ओतप्रोत है । आज की परिस्थिती में यह लोग जाति भाषा धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाकर इस देश के टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहते है । न इनका मानवता से कोई लेना- देना है न इस देश से ।
गाँधी वध क्यों ? इस किताब का बेचना इनका परम कर्तव्य है । साधारण सी बात है किसी बात से सहमत होना असहमत होना अलग बात है लेकिन उसको मार डालना और उस अपराध को जायज ठहराना उनकी फितरत है और अब इस विचार धारा के लोगो ने देश में काफ़ी स्कूल खोल कर अपनी गन्दी विचारधारा का प्रचार प्रसार बच्चो के बीच में कर रहे है ।
सुमन
ईस विचारधारा को नजदीक से जानकर तो देखिये। यह जाती-बन्धनो को तोड़ने वाली व भारत को अखण्ड़ बनाने वाली व समय से पूर्व समाज को सचेत करने वाली है।
ReplyDeleteहालाँकी ईसके राजनितिक पहलू का में भी विरोधी हूँ।
भाई सुमन साहब आपने और डा.साहब ने जो बात कही है वह सामान्यतः हर आदमी की समझ में नहीं आती। लोकतंत्र की अवधारणा को तोड़-मरोड़ कर ये लोग भीड़तंत्र बना रहे हैं इन लोगों को लगता है कि इनके हितों में जो बात है उसके समर्थन में जो कुछ भी हो वह सही है। शिक्षा से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र इनके लिये अखाड़ा है। आपको साधुवाद
ReplyDeleteजय जय भड़ास
सुमन भाईसाहब आप इन राक्षसी सोच के लोगों का दुःसाहस तो देखिये कि अपनी नीचता को दुनिया के सामने रखते हैं और उसे सही बताने के लिये अपने ही जैसे धूर्तों की फौज इकट्ठा कर लेते हैं। डा.साहब के ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि वे सेक्युलर हैं तो ये इनकी दुष्टता है ऐसा नहीं है कि ये सेक्युलर का अर्थ न जानते हों लेकिन जो नहीं जानते उन्हें तो भ्रमित कर ही सकते हैं। ये सचमुच राक्षस हैं और आप देख सकते हैं कि संजय बेंगाणी इसके पक्ष में आकर हिंदुत्त्व का गाना गा रहा है जबकि वो है जैन राक्षस...
ReplyDeleteजय नकलंक देव
जय जय भड़ास
भाई सुमन,
ReplyDeleteआज हमारे देश में सबसे बड़ा विषाद ये जाति पाति मजहब और कौम का ही तो है, जिसका जहर फैलाकर अपने अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए ये लोग कुछ भी कर गुजर जाएँ. इनकी इस विचारधारा की पोल तो वाकई में खुल गयी है और इसका परिणाम इस बार के लोकसभा चुनाव में सभी ने देखा, आधी चड्ढी वाले अपनी चड्ढी सम्हालते नजर आये,
पता नहीं कब समझ आएगा की इस देश की अस्मिता भगवा नहीं हरा नहीं बल्की तिरंगा है.
जय जय भड़ास