Here Latest News Of Bollywood Actress and Dubai Cultures , and much more Free , People News Plz Write Comment Your Information in comment Box
स्कूलों में ग्रेडिंग सिस्टम नही सिस्टम में ग्रेडिंग की सोचिये
एक बार की बात है, पूरब देश में शिक्षा को लेकर बड़ी बहश चली। बहश भी ऐसी की हर कोई शामिल, छोटा बड़ा मंझला कोई नही छुटा। चारों ओर घोर चिल्ल-पों की आवाज आने लगी , कभी रंगीन शीशे के पीछे बैठकर ग्रेडिंग सिस्टम का गुडा- गडित समझाना तो कभी बहस बाजी करके इसके फायदे नुकसान गिनना। ठीक इसी वक्त पूरब देश की सरकार को एक ऐसा चश्मा मिला जिससे पहनते ही सबकुछ दिखाने लगता था। जैसे आप गूगल पे सर्च मारो तो कुछ न कुछ मिल ही जाता है। ठीक वैसे ही इस चश्मे को पहनने के जो देखना चाहे वह दिखाने लगता था। किसी ने ये चश्मा शिक्षा मंत्री जी को पहनने वास्ते दे दी। मंत्री जी चश्मा पहना और बोले मुझे गाँव के प्रिमरी और मिडल स्कूल का हाल चल दिखाओ। चश्मा थोड़ा वजनदार लगाने लगा क्यूंकि इसपर अब गाँव देहात के स्कूलों का विजुअल आने लगा था। चश्मे के भारीपन से नाक थोडी नीची हुई और आंखे झुक गयीं। मंत्रीजी देखते क्या है की एक लड़का जिसे जोर से सुसु आ गई थी , एक खेत की तरफ़ दौडा जा रहा है फिर सही जगह मिलते ही हरहरा दिया। अब मंत्री जी क्या देखते हैं की स्कूल में चार-पॉँच शिक्षक एक साथ बैठकर दाना चबा रहे हैं और देश के हालिया मसले पर खुलकर अपने विचार दे रहे है। अब मंत्री जी देखते हैं की स्कूल के सारे बच्चे खूब मस्ती कर रहे हैं, हो-हल्ला से वहां का वातावरण किसी चिडिया घर की भांति सुंदर दिखाई दे रहा था। तभी मंत्रीजी की नज़र पड़ती है की स्कूल का चपरासी चार पॉँच लड़कियों को लेकर मिड दे मिल तैयार कर रही है ये लड़किया इसी स्कूल की छात्र है । मंत्री जी की घड़ी में सवा ११ का समय है। अब क्या देखते हैं की पडोश के रामबचन की दो भैंस स्कूल में चली आ रही है। ये उनका रोज का काम है, भैसे रोज दोपहर स्कूल में ही बिताती हैं, चाहरदीवारी के पैसे से प्रधान जी मोटर साईकिल खरीद ली है और मास्टरजी जी ने छोटा सा गौसाला बना लिया है। सो भैसे आराम से स्कूल में घुस जाती हैं। मंत्री जी भैसों में ऐसे खोये की १२ बज गए । अब क्या देखते है की करीब ३०-४० बच्चे हाथ में कटोरा कटोरी थाली लिए स्कूल में आ रहे हैं। ये नाम तो लिखा चुके हैं पर पढने नही आते , इन्हे सरकारी वजीफा भी मिलता है कट-कटा के कई हिस्सेदार होते है। मंत्रीजी देख रहे हैं ,बच्चे लाइन बनाकर बैठ गए । मास्टरजी छडी लेकर लाइन लगवा रहे है। स्कूल १० बच्चे मिलकर सबको खिचडी परोस दिए । यहाँ रोज खिचडी बनती है, क्योंकि और भी खाने वाले भूखे है जो इनके हिस्से की रोटी खाते हैं। १ बज गए मंत्री जी के चपरासी ने कहा - हुजुर लंच पर क्या लेंगे। अक्सर मंत्रीजी की लिस्ट लम्बी होती है इसीलिए तैय्यारी के लिए पहले पूछा जाता है। आर्डर लेकर चपरासी चला गया । मंत्रीजी फिर चश्मा चढा लिए..फोकस उसी स्कूल पर..हवा तेज चलने लगी धुल मिटटी उड़कर खिचडी में जा रही है। बच्चे मौज से खा रहे है, इधर मास्टरजी लोग एकसाथ बैठे बाटी चूरमा बना था , प्रधान द्वारा नियुक्त रसोइया सिर्फ़ मास्टर जी लोगों के लिए खाना बनाता है। मास्टर जी लोग घी में डूबा बाटी दबा के खा लिए..मंत्री जी की नज़र बच्चों पर गई स्कूल लगभग खली होने वाला है। ज्यादातर बच्चे अपना झोला झाड़ रहे हैं। २ बजने वाले थे चश्मा उतरना पड़ा मंत्रीजी का लंच तैयार थी। अनमने ढंग से भोजन निबटा मंत्रीजी को चश्मा पहनना पड़ा। लगभग ३ बजने को है दो मास्टर जी तो अन्दर जा के लेट लिए और बाकि बचे ने मेज पर पैर फैला दिन के तारे गिनने में मशगुल । जो बच्चे बच गए थे उनको पढ़ रटने का आर्डर मिल चुका था। मंत्री जी का मानना है की ग्रेडिंग लगाने से रटंत पढ़ाई से मुक्ति मिल जायेगी ..पर ये पुरा सच नही है। जिन्हें बचपन से ही रटने की आदत है..खैर मंत्रीजी मंत्रीजी हैं, अब क्या देखते हैं की मास्टर जी सोकर उठे और चार-पॉँच को पकड़ लिया ..बोले एक बाल्टी पानी लौ मुह धोना है। बच्चे चले गए ..अब मंत्री जी की घड़ी में ४ बजने को है। स्कूल के सारे बच्चे दौड़ रहे हैं अपने अपने घरों की तरफ़ ..मंत्री जी बहुत कुछ देख चुके है , मन उकता गया होगा, तभी मंत्रीजी का पीऐ टीवी चला गया। न्यूज़ चैनल पर गाँव की बच्चियां नीली पोशाक पहने खुशी से स्कूल की तरफ़ भागती हैं और बक्ग्रौंद में गाना बजता है। स्कूल चले हम.....
धांसू है भाई एकदम सत्य है
ReplyDeleteजय जय भड़ास