भारतीय रेल के कुछ कारनामे ?

एक नजर तस्वीर पर।



बंद होने का समय स्पष्ट दिख रहा है



टिकट काउंटर और रेल स्टाफ का तिलिस्म





बीते दिन भोपाल था, कार्यवश भोपाल से आगे जाना था सो शायंकाल भोपाल स्टेशन पहुंचा, टिकट के लिए लम्बी कतार थी सो मैं भी उस कतार में शरीक हो उसका हिस्सा बन गया।



हिन्दुस्तान में कोई भी स्टेशन हो टिकट खिड़की के बंद होने और खुलने का स्पष्ट समय उस पर निर्दिष्ट रहता है यहाँ भी था और उस समय को देख कर मैं भी निश्चिंत था कि मेरी बारी तो आ ही जायेगी परन्तु ऐसा बिल्कुल ना हुआ।



एक महिला कर्मचारी टिकट बना रही थी और नौ पर घडी की सुई के जाते ही वो उठ कर खड़ी हो गयी, काउंटर बंद कर दिया और अपने कार्यसमय के समाप्त होने की बात कह चलती बनी। दो घंटे से मैं उस कतार में था और मेरी बारी आने ही वाली थी, मेरे साथ कई सह यात्री भी उसी स्थिति में थे और बाकी के लंबे कतार को देखते हुए फ़िर से नए कतार में जाने की हिम्मत ना हुई।



काउंटर पर लिखे निर्देशों की माने तो ऐसा कोई प्रावधान नही की खिड़की बंद हो समय बचा हुआ है मगर यात्रियों की परवाह किसे है, ना ही कोई अन्य स्टाफ इस काउंटर पर आया और ना ही यहाँ से टिकट बनी। सभी यात्री फ़िर से नए कतार में जा खड़े हुए और मैंने जाकर कुछ तस्वीरें उतार ली।



स्टेशन प्रबंधक के अनुसार जिसकी ड्यूटी समाप्त हो चुकी है वो तो जायेंगे ही और इन लिखे हुए समय पर ना जायें दूसरी कतार से टिकट ले लें।



भारतीय रेल ......



बस जय हो.......

1 comment:

  1. jai ho

    bhartiy mansikta or bhartiy prashashn ki jai ho.

    aam si baat hai ye aajkal

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