दिनांक २८-२९ अगस्त्त को मुंबई में बान्द्रा स्थित आर.डी.नेशनल कालेज मे एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करा गया। यह संगोष्ठी आर.डी.नेशनल कालेज, मुंबई-जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यू.जी.सी.) के समेकित सौजन्य से आयोजित हुई। इस आंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का विषय था "समाचार : बदलता स्वरूप एवं उभरते आयाम" । इस संगोष्ठी में विषय से संबद्ध अनेक प्रकाण्ड विद्वान एवं पुरोधा आमंत्रित करे गये। उपस्थित विद्वानों में डा.विजय खोले(कुलगुरू मुंबई विश्वविद्यालय), डा.मंजुला देसाई(प्राचार्या : आर.डी.नेशनल कालेज मुंबई),डा.अच्युतानंद मिश्र(कुलगुरू माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल), श्री संजय रानडे(विभागाध्यक्ष जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग,मुंबई विश्वविद्यालय,कलीना), श्री विश्वनाथ सचदेव(वरिष्ठ पत्रकार,पूर्व संपादक-नवभारत टाइम्स, संपादक : नवनीत),प्रो.राममोहन पाठक(निदेशक, मदनमोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान वाराणसी), श्री नीलकंठ पारटकर (पी.टी.आई. मुंबई भाषा प्रभारी), डा.हरीश अरोड़ा(दिल्ली), श्री यशवंत सिंह(दिल्ली),डा.राजम नटराजन(मुंबई,संपादक : कुतुबनुमा), श्री भुवेन्द्र त्यागी(मुख्य उपसंपादक नवभारत टाइम्स, मुंबई), डा.रामजी तिवारी(वरिष्ठ समीक्षक, पूर्व अध्यक्ष : हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय) समन्वयक : गरवारे इंस्टीट्यूट आफ़ जर्नलिज़्म,मुंबई), डा.सतीश पाण्डेय( हिंदी विभागाध्यक्ष : के.जे.सोमैया कालेज, मुंबई), प्रो.संजीव दुबे, श्री आलोक भट्टाचार्य(कवि/वरिष्ठ पत्रकार), श्री मिलिंद खांडेकर(मुख्य कार्यकारी अधिकारी: स्टार माझा मराठी चैनल),डा.प्रद्न्या शुक्ल(शोध निर्देशक,मुंबई) , डा.निर्मला त्रिपाठी(व्याख्याता सोफ़िया कालेज मुंबई) आदि ने विषय पर अपने विचारों व अनुभवों को बांटा।
देश से बाहर से डा.अलका घनपत(मारिशस), श्री सुमन कुमार घई(केनेडा), सुश्री देवी नांगरानी(न्यू जर्सी, अमेरिका), श्री गौ़स पीरज़ादा(पाकिस्तान) के प्रपत्र पढ़े गये।
बहन डा. संगीता र.सहजवानी(हिंदी विभागाध्यक्ष:आर.डी.नेशनल कालेज,मुंबई) एवं डा.सुंदर राजदीप जी के संयोजन चातुर्य ने इस विशाल संगोष्ठी में जिसमें कि सैकड़ॊ की संख्या में विद्यार्थी भी थे, अत्यंत कुशलता पूर्वक पूर्ण कराया। संयोजक द्वय के अत्यंत मिलनसार और प्रेमल स्वभावके कारण ऐसा प्रतीत ही न हुआ कि हम पहली बार मिल रहे हैं और मैं बहन संगीता सहजवानी को आदर से दीदी का संबोधन दिये बिना न रह सका। इस महासंगोष्ठी में मुझे भी भड़ास के माडरेटर के तौर पर आमंत्रित करा गया था जिसमें कि मुझे अपना पत्र पढ़्ने का सौभाग्य मिला जिसका विषय था " पत्रकारिता बनाम समाचार व्यवसाय"। आप सब यकीन मानिये कि भड़ास की धमक पूरे समय वहां गूंजी। सभी ने जम कर भड़ास निकाली। एक अफ़सोस रहा कि पत्रकारिता के पुरोधा नवतकनीक से अन्जान दिखे यानि ब्लागिंग उन सबके लिये परग्रहीय (एलियन) तकनीक थी। आगे की पोस्ट में मैं वहां हुई भड़ासाना चर्चाओं को बाताउंगा और साथ ही बताउंगा कि जो आगे खड़े दिग्गज हैं उनका क्या हाल है, वे क्या सोचते हैं मीडिया के बारे में :)
जय जय भड़ास
Guruji..agali post ka intazar rahega. VARANASI ke Prof. Ram Mohan Pathak Ko bahut achchhi tarah janta hu..in logo ke bare janne ki jigyasa apne badha di hai kripya agali post jaldi kariyega.
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