मेरी परी........
हाँ वो परी ही तो थी!
मुझे वो सोनू कहा करती थी,
और में भी उसका शोनू ही तो था !
हमारी मिली जुली खनकती ,
हँसी आज भी मेरे कानों में गूंजती है,
जिसकी आवाज सुनकर मेरी आँखें बंद होती थी !
और सुबह जिसकी आवाज सबसे पहले सुनता था,
हाँ वो परी ही तो थी!
जीवन का सफ़र जारी है,
मेरा भी उसका भी,
बस नहीं है तो इतना कि,
हम हमसफ़र नहीं हैं !
परी हमसफ़र होती भी नहीं है,
सच वो परी ही तो थी !
क्या परी फिर से किसी को भी सोनू पुकारेगी ?
फिर से किसी को शोना बनाएगी ?
रजनीश के झा
bahut khubsoorat bhaw liye huye kawita....atisundar
ReplyDeletewaah ..........kamaal kar diya .........pahli hi kavita bahut bhavpoorna likhi hai lagata hi nhi ki pahli kavita likhi hai......keep writing.
ReplyDeletebahoot khoob isi tarah likhte raho
ReplyDeleteपहली कविता के लिए बधाई.
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता है ऐसे ही लिखते रहिये.
nice one rajneesh bhai
ReplyDeleteउन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थी साथ मेरे,
ReplyDeleteमुझे रोक रोक पूछा, तेरा हमसफर कहां है......।
बहुत खूब रजनीश भाई। मरहबा...।
guru ji aap to sach ka samna kra dete he har dfaaaaaaaaaaa..............akhir qooooooooo
ReplyDeletekhwaab to dost nahi,
ReplyDeletedost nahi hain khwab ki badal jaayenge,
ki hame dhoop me dekhenge to katra jaayenge,
khwaab dost nahi hain,
ki bichhudenge to yaad aayenge.
रजनीश भाई ये परी भी है और कविता भी। जारी रखें।
ReplyDeleteरियाज भाई,
ReplyDeleteप्रतिक्रया के लिए आभार, बस लिखते लिखते लिख गया और शायद कविता बन गयी,
अगर ऐसा है तो मेरे जीवन की पहली कविता होगी ये :-)
Nice attempt...Keep writing
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteaccha likh lete ho very good
ReplyDeleteRajneesh ji bahut sunder plz keep it up
ReplyDeleteRajneesh jee...ya fir sonu jee....ab kya aapko bolu.? achhi lagi...go ahed
ReplyDeleteaapki yeh rachna aatamtiyta ki sanvedna ko chhuti hai ......mubarak ...bahoot badiya hai ...yeh pryaas jaari rakhein .
ReplyDeletethi nahi,hai ,kahin nahi gai hai wo,phele thi wo sirf ankhon main aapki,ab dil main uttar gai hai wo.
ReplyDeleteare waah!!!bahut sundar
ReplyDeleteबहुत खूबसुरत आउर समबेदनशील कविता है. बधाइ पहली कविता केलिए.
ReplyDeleteपरी हमसफ़र होती भी नहीं है,
ReplyDeleteसच वो परी ही तो थी !
पहली कविता वो भी परी जैसी बहुत खूब बहुत सुन्दर मर्म को छूती कविता लिखते रहें
V.nice bro. keep it up. really well written.
ReplyDeletelike it..........
ReplyDeleteबधाई हो ......आखिर दिल के हाथों मज़बूर होकर ही सही लेकिन कविता लिखी ना। अपने इस प्रयास में आप सफल भी रहें हैं । टिप्पणीयां इस बात की गवाह हैं।उम्मीद है इसी तरह आगे भी कुछ नया पढने को मिलेगा ।
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता,
ReplyDeleteबधाई
सभी मित्रों का प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए ढेरों आभार
ReplyDeleteबहूत खूब,
ReplyDeleteसुन्दर भाव और शालीनता के साथ दर्द का वर्णन,
बहूत बहूत बधाई.
Rajneesh bhai.. Aapki Pari jaisi ek pari mere pass bhi hai.
ReplyDeletebhav puran abhivyakti dil ko chhu gayi. bahut sundar likha hai.
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