सनातन काल से योग इस देश का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसके लिए यहाँ के लोगों को न तो किसी गुरु की जरुरत रही ना ही पोंगे पंडितों की, स्पष्ट कहें तो योग विद्या भारतीयों के रक्त में बसता है जरुरत लगन और साधना करने की है।
एक नजर तस्वीर पर देखिये, सिर्फ़ योग का करामात, इसी करामत के बूते इनका नाम लिम्का बुक में दर्ज किया गया है और वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तावित किया जा चुका है। ये सिर्फ़ योग की माया है, साधना योग की ना कोई गुरु ना कोई शिष्य बस लगन और साधना। पाँच साल का अथक परिश्रम और योग का करामत की दोनों कंधे को मिला लिए।
योग को अपना धंधा और मीडिया को इस धंधे में शामिल करने वाले (बाबा) रामदेव जरा नजर मारें , वस्तुतः एक चुनौती भी कि बाबा जी मीडिया का माइक पकड़ने के बजाय इस चुनौती को भी स्वीकारो।
नमन इस देश के अद्भुत प्रतिभा को।
जय हिंद
वंदे मातरम्
bhaskar.com per dekhi thi photo achhi hai
ReplyDeleteoooooooooooooo :>
ReplyDeleteare ye photo to humne kuchh din pehle apne newspaper main print kiya tha..aapko ye kaha se mila
ReplyDeleteअरे बाप रे ...........
ReplyDeletebhai sahab ab kahne ko bacha kya hai.........
ReplyDeletewow......yog bhagye rog.
ReplyDeletehar ghar hain gar ek ramdev ho,to kitana behtar jeevan sabka ho
ReplyDeleteis it possible....???
ReplyDeleteसिर्फ़ रिकार्ड बनाने और मनोरन्जन तक के लिये इसका उप्योग है ।
ReplyDeleteसामान्य जीवन के स्वास्थ्य में इसका कोई उपयोग नहीं है ।
रामदेव जी ने व्यायाम योग का व्यासायी करण किया है । yah ek seemaa tak sahee thaaa |
स्वास्थ्य का लालच देकर लेकिन उसकी सीमायें तय नहीं की उसके ओवह dose से नुकसान के बारे मे । कई बातें हैं ।
प्रतिक्रया के लिए सभी साथी का आभार !
ReplyDeleteरामदेव का योग व्यावसायिक है मगर तस्वीर हमारे देश कि उपलब्धि बस इतना सा फर्क है,
ReplyDeleteआभार.
रामदेव के बाबा बन्ने का नाटक और योग के बेचने की हुनर पर ये शानदार तमाचा है,
ReplyDeleteनमन इस शानदार प्रतिभा को.
बधाई
bhaskar.com per dekhi thi photo achhi hai
ReplyDeleteयह योग है कि अक्रोबेत.
ReplyDeleteyog bhtut hi aachi cheej hai , ye kahna galat hai ki ramdev ji ne iska galat use kiya , hum ye kyo nahi dekhte ki unki wajah se hum apne desh ki sanskrati ko bacha paye hai, hamare desh ki kitni amulya vastuye hai jo videsho me unke naam per chal rahi hai, wo hamari hote huye hum unko apni nahi kah sakte, or deshwasiyo me ek jagrukta to laye hai, warna hum log yog ki taraf nahi balki western cultural ki taraf bhag rahe the. health k liye ye bhaut jaruri hai , bus isko apnane ki der hai
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