अंतरजाल ने मित्रता का समग्र संसार बसा दिया है, बस दिल में हसरत और संसार को अपना समझने की चाहत, बस दुनिया आपकी और आप दुनिया के।
आज मैंने फेसबुक खोला तो मेरे मित्रों का आंकडा हजार पर आ चुका था। देखा कर एक अजीब सी अनुभूति हुई, मन प्रसन्नता से भर उठा।
आज जहाँ हम सिकुड़ते सामाजिक रिश्तों के गलियारे में अपनों के लिए तरसते हैं वहीँ, अंतरजाल ने रिश्तों का महासमुद्र बना दिया है जहाँ आप अपने मन से दोस्ती स्वीकारिये और अनिक्षा हो तो कोई मज़बूरी नही,
ना लेन देन बस विचारों का प्रवाह फ़िर भी अपना सा संसार।
वास्तव में अंतरजाल पर आ कर अपना परिवार बना कर और परिवार के बढ़ते, फलते-फूलते देख कर जो आनद का अनुभव हो रहा है वो शब्दों में बयाँ नही हो सकता।
हमारी धरती हमारे लोग !
आभार अंतरजाल का !
रजनीश भाई, साइबर संसार के मित्र और साइबर संसार के शत्रुओं के बारे में बस इतना ही कहना है कि जब तक ये इस दुनिया से निकल कर भौतिक रूप में सामने नहीं आते कुछ अधूरा सा लगता है।
ReplyDeleteआपति काल परखिये चारी।
धीरज धरम मित्र अरु नारी॥
उम्मीद है ये बात साइबर मित्रों पर भी लागू होगी:)
जय हो
आप अजातशत्रु बनने की डगर पर हैं।
आपको बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeletebadhai...RAJNEESH ji............
ReplyDeletewah..tab to aapko 1000 rs humko dena chahiye bhai...plz de do...naa mat kehna aap
ReplyDeleteVery vry Congrates U Rkj Bhai
ReplyDeleteSikudte saamaajik rishtey...wah wah Rajneesh,sawa laakh ki baat kahi hai...Facebook ke dwaara jane kitni baar khushi se jhoomta hai man,hasta hai (lol) tipniyaan likhta hai,aur sab se zindagi ki chhoti badi baaton ka zikra kar karta hai.
ReplyDeleteशुभकामनाओं के साथ ढेर बधाईयां।
ReplyDeleteAaj ki Headline-
ReplyDeleteRajneesh k Jha Huvey Ek Hazaari. Wonderful. Congrats.
Namshkar!
ReplyDeleteBhai sahab, aap kaise hain,
kya aap hamse baat kar sakte hain
haan aur aap ko dher saari badhaaiyaan...1000 bhi paar kar liya...
ReplyDeletebahut-bahut badhaai........
ReplyDeletehajaron dost hone ke liye hajaron badhaaiyan apka sansaar aise hi badhata foolata rahe aasheervaad
ReplyDeletebadhai ho rajneesh ji !
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteहजारी होने पर ढेरो बधाई.
ReplyDeleteशुक्रिया मित्रों,
ReplyDeleteबस प्रेम की वर्ष होती रहे, जग अपना लगता रहे.
प्रतिक्रिया के लिए आभार