नाज़ फाउंडेशन की संस्थापक बाई जी अंजली गोपालन इतनी करुणा से भरी हैं कि भड़ासी उन्हें ंडवत प्रणाम करना चाहते हैं। परेशानी बस इतनी है कि बाई जी की करुणा का क्षेत्र मात्र प्राणियों की जांघों के बीच के कलपुर्ज़े ही हैं। बाई जी को विषमलैंगिक संबंधों में कुछ खासियत नहीं प्रतीत होती है। इसलिये उन महान लोगों पर अपनी करुणा बरसा दी जो कि पिछाड़ी के उल्टे तवे पर आमलेट बनाना पसंद करते हैं। बाई जी को उन मासूम युवतियों पर भी गजब का नाज़ है जो कि आपस में ही "न सूत न कपास जुलाहे से लट्ठम लट्ठा" वाली तर्ज़ पर यौन-मशक्कत(ये शब्द हिंदी और उर्दू के नाजायज़ संबंधों की पैदाइश है) करती रहती हैं। मुझे बेकार में ही गलतफ़हमी है कि बाईजी के महान व्यक्तित्त्व की फ़ाउंडेशन भी विषमलैंगिक नहीं है जिसपर उन्हें इतना नाज़ है कि उन्होंने नाज़ फाउंडेशन ही बना लिया इन बातों पर नाज़ करते बैठने के लिये। इनकी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के हाल ही में समलैंगिकता के पक्ष में दिए गए फ़ैसले से बाई जी काफ़ी उत्साहित हैं। हो सकता है कि इसी उत्साह में आकर बाई जी अगली याचिका पशु-प्रेमियों के लिये कोर्ट में डाल दें। न...न....न....; आप गलत मत समझिये ये पशुप्रेमी मेनका गांधी के पशुप्रेमियों से थोड़े अलग होंगे। ये वो पशुप्रेमी होंगे जो कि अपनी यौन कुंठा के निराकरण के लिये पशुओं का प्रयोग करते हैं। हो सकता है कि विद्वान वकीलों की दलीलों से प्रभावित होकर जज अंकल फैसला सुना दें कि जब हमारे देश का कानून उन मासूम पशुओं को मारकर खा जाने से नहीं रोकता तो फिर उनकी मारने या उनसे मरवाने(क्या??? ये तो आप सब बखूबी जानते हैं इसलिये नहीं लिख रहा) में क्या आपत्ति है, जब हत्या अपराध नहीं है तो बलात्कार अपराध कैसे हो जाएगा? इसलिये मैं सोच रहा हूं कि अब जब खूसट हो चला हूं तो कोई पचास-पचपन साल की लड़की(हा...हा...हा... लड़की!!!) भी शादी को हामी भरे तो उसकी नजर मेरे ३५०० रु. की जमापूंजी के सेविंग बैंक एकाउंट पर ही होगी लेकिन अगर कोई कुतिया,बकरी या सुअरिया शादी की इच्छुक होगी तो वह मात्र आश्रय और भोजन चाहेगी। अंजली बाई जी! क्या आपकी नजरों में कोई कुतिया,बकरी या सुअरिया है(गधी या घोड़ी तो अपने बस की न होगी भाई....) तो भड़ास पर अवश्य सूचित करें। शादी तय होते ही सारे भड़ासियों को बारात का न्योता भी देना है तो जरा समय दे दीजियेगा।
जय जय भड़ास
किर्पया डॉ साहब के साथ मेरे लिए भी तलाश लीजिये गा , कम से कम गुरु जी के साथ एक चेला भी सही ..........:)
ReplyDeleteगुरू जी,बकरी ही तलाशिये भाभी जी के तौर पर उनका दूध आप चाय काफ़ी बनाने में प्रयोग कर सकते हैं। मेरे लिये तो रास्ता ही बंद कर दिया है ससुराल वालों ने इस तरह की चाय का:)
ReplyDeleteक्या अंजली गोपालन गो-पालन करती हैं अगर करती हों तो गुरू जी की शादी के लिये बकरी पालन भी शुरू करके वैवाहिक मार्ग प्रशस्त करें। ईश्वर इनकी आत्मा को शांति दे।
जय जय भड़ास
GAJAB KI POST HAI GURUJI..SABDON KA ITNA SATIK MISHRAN KI BAT SIDHE DIL ME NASTAR KI TARAH CHUBH JAYE..APKI AISI HI LEKHNI JAN FUNK DETI HAI..NYOTE KA INTZAR KAR RAHA HUN..UDHAR SE GREEN SIGNAL MILE TO HAME BHI SUCHIT KARIYEGA
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