पागलो वाली हरकत मत करो

क्या भाई सुमन इन बातो से सहमत है ?
क्या भड़ास के मंच पर सभी बुद्धिजीवी इस बात को तार्किक तरीके से अनूप मंडल से पूछना नही चाहेगे ?
क्या ये धार्मिक अन्ध्विश्वशो को परचारित करने का तरीका नही है ?
क्या भाडाश का मंच इस पारकर की अनर्गल बातो को ढोता रहेगा ?
क्या स्वत्रंत्रता की अभिव्यक्ति किसी भी ग्रुप को अनर्गल तथ्यों से परे की बात को सभी पर थोपने की इजाजत देता है ?
क्या लोक्संघर्ष पत्रिका अभी भी अनूप मंडल की विवेकी बातो का समर्थन करता है ?
मै आज इस खुले मंच पर खुल कर अनूप मंडल को चुनोती देता हु की यदि वो इस बात को सिद्ध कर दे की भाई सुमन को दिल का दौरा किसी तांत्रिक क्रिया के द्वारा पड़ा है तो मै अपनी हार मान लूगा/
और यदि आप सिद्ध करपाए तो अपना काला मुह के साथ अपनी काली जबान को ले कर भड़ास मंच से चले जाओ /


राक्षसों बाज आओ अपनी हरकतों से वरना मारे जाओगे और अमित इतने मद में चूर है कि खुद काल को तलाश रहा है। कोणहै मेरा काल जरा ये भी तो बता दो , तुम अपने आप को काल समझने की ग़लत फहमी पाल रहे हो तो , पाले रहो /

पागल बहुत है इस जहाँ मे ,कोण उन को समझाए ।,
जो भी उन को समझाए , वो भी पागल कहाए

1 comment:

  1. भाई अमित
    आपने सयमशील रहकर जैन दर्शन को लोगो के सामने रखा॥ यह उत्तम प्रयास है।
    मैने पहले भी अपना यह मत रखा था आज फिर दोहराना चाहता हू कि जो भी बन्धु इस विज्ञानिक युग मे तन्त्र मन्त्र की बाते करता है वहॉ शिक्षा का घोर अभाव है। जब तक अशिक्षित वर्ग को प्रायप्त शिक्षा नही मिलती तब तक इस तरह के अन्धविश्वास समाज मे पनपना लाजमी है।
    कोई व्यक्ति/समाज/सगठ्न तब तक विकास नही कर सकता जब तक वो पढ लिख अच्छा आदमी नही बनता। वैसे अनपढ भी गाली गलोज नही करते होगे? जहॉ तक मेरी नॉलेज मे है।

    जैनघर्म कोई व्यक्ति विशेष के लिए नही है। मै तो यहॉ तक मानता हू कि जैन को धर्म की बजाय प्राणी मात्र के लिऍ सम्पुर्ण जीवन जीने की कला माना जाना चाहिऐ। जैन दर्शन मे कही पर भी इसे धर्म कि सज्ञा नही दी गई है। आत्मा का कल्याण शब्द जैन दर्शन मे कई बार आता है। इसका अर्थ हुआ जहॉ जीवन है वहॉ आत्मा है। आत्मा शरिर मे वास करती है। जिसे हम देख नही सकते। तो फिर कल्याण आत्मा के निवास का करना है। निवास अर्थ शरीर। शरीर से समबन्धित सभी इन्दियो को शिक्षत करना ।

    पक्का पानी (उबला हुआ) सुर्य अस्त के पहले भोजन करना, तप जप उपवास करना, इत्यादि (यह उदारहण रुपये के पॉच पैसे है) विज्ञानिक इस बात को पक्का कर चुके है कि जैन दर्शन या धर्म जो कह ले पुरा जीवन विज्ञान जैन धर्म के आधार पर है।
    इसलिए दुनिया भर मे कर्मणा जैनो की सख्या सैकडो है।
    मैने हजारो परिवार जैसे सिख, सिन्धी, मुसलिम भिल मीणा, कुम्हार, राजपुत, चमार, ह‍रिजन, कोई भी कोम है वो जैन दर्शन का पालन करते हुए कर्मणा जैन बने है।
    जैन परिवार मे जन्म लेकर भी अगर आचरण जैन दर्शन के मुताबिक नही, तो वह सिर्फ नाम मात्र के लिए जैन है। कोई भी धर्म को मानने वाला व्यक्ति हो, अपने अपने धर्म का पालन करते हुऍ अगर जैन दर्शन, जैन मत, पर अपनी खान पान, चरित्र को को ढाल दे तो वह भी जैन है। जैसे कोई भी धर्म सम्प्रदाय का व्यक्ती लॉयन्स कल्ब जॉयन करता है तो उसके नाम के आगे लॉयन्स अमित, लॉयन्स जफर अली खॉ इत्यादि नाम होते है। क्यो कि उपरोक्त सदस्य लॉयन्स के नियमो का पालन कर उसे सहर्ष स्वीकार करता है उसी तरह ही जैन भी एक क्लब है। वहॉ आत्मा के कल्याण के लिए जुडा जा सकता है। रुस जैसे मुसलिम देशो मे भी सैकडो जैन है।

    किसी व्यक्ती के जैन धर्म के अपक्ष मे सिर्फ एक बार बोलने के कारण अटैक आ गया ? तो इस अटैक की सुचना देने वाले भाई साहब के इस बेहुदा तर्क को एक बार मान ले, तो उन्होने तो जैन धर्म को भद्दी भद्दी गालिया दी है, ऐसे मे जैन को गालिया देने वाले मान्यवर भाईसाहब, को तो अभी परलोक मे होना चाहिए था?????
    भाई रणघिर सिहजी सुमनजी हमारे आदरणीय है। और वो जल्दी ही स्वास्थ्यलाभ प्राप्त करे यह प्रभू से प्रर्थना है।
    जयजिनेद्र
    महावीर बी सेमलानी
    आभार/मगलभावानाओ सहित
    मुम्बई टाईगर

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