किसी ने कहा
वह मेरा दोस्त है
मेरे बचपन का साथी
हम साथ पढ़े और बढे हैं
क्या इस उम्र मे अब
ऐसा साथी बन सकता है
मैं बोली यह न है सच
साथी या दोस्त
कब कहाँ मिल बन जाए
कहना बहुत मुश्किल है
हाँ सच्चा दोस्त
केवल किस्मत वालों
को ही मिलता है
चाहे बचपन मे मिले
या बुढापे मे।
साभार : - कुसुम ठाकुर।
साथी या दोस्त
ReplyDeleteकब कहाँ मिल बन जाए
कहना बहुत मुश्किल है..sahi kaha hai...dost kismat walo ko milte hai par unhe ahsaas nahi hota ki woh etne kismat wale hai...sunder kavita..
nice
ReplyDeletebilkul sahee kahaa aabhaar
ReplyDeletekya baat kah di .
ReplyDeleteसुंदर रचना.
ReplyDeleteमित्रता को समेटने के प्रति सुन्दर भाव और विचार,
ReplyDeleteआभार
Sundar Abhivyakti hai , Mitrata ke liye achchhe bhaav ko Prastut karti hai
ReplyDeleteDhanyabad
प्रतिक्रिया के लिए सभी साथी का आभार.
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