ऐसे बीती जिंदगी किसी के प्यार के बिना।
जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना ॥
कोरे सपने रंग को तरसे
तरुबाई तरसे मधुबन को -
रूप चांदिनी को मन तरसे
सुधि तरसे आलिंगन को-
सुधि तरसे आलिंगन को-
ऐसे योवन का बसंत है बहार के बिना।
जैसे कोई प्रेम सुहागिनी हो श्रींगार के बिना॥
सारांश यहाँ ......आगे पढ़े
सुमन भाई, सारांश तो ये है कि किसी के प्यार बिना सामान्य आदमी पगला जाता है और उस सनक में भड़ास पर आकर उगलने लगता है :)
ReplyDeleteजय जय भड़ास