नई लोकसभा के पहले संयुक्त अधिवेशन को आज राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने संबोधित किया। ये संबोधन सरकारी एजेंडे के लिए था जो की रिवाजानुसार ही था। राष्ट्रपति ने सरकार के संभावित कार्यप्रणाली का जिक्र किया और मुद्दों के बाबत सरकार की नीति भी रखी और आगामी सौ दिन के एजेंडे बताये।
सरकार के मुखपत्र होने वाले राष्ट्रपति के इस संबोधन से एक बात स्पष्ट हो गयी की सरकार विपक्ष को मुद्दा विहीन कर देना चाहती है, उन सभी विषयों पर एक नीति थी जो विपक्ष ने उठाया था या जिसको लेकर वो आम जन के बीच गए थे, तो क्या सोनिया नीत मनमोहन सरकार की पहली प्राथमिकता विपक्ष का सफाया करना है ?
विगत चुनाव में एनडीऐ का सबसे प्रमुख मुद्दा आतंरिक सुरक्षा था और नयी सरकार ने आतंरिक सुरक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया है और अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले रखा है।
सरकार ने महिला आरक्षण को सांसद में लाने की बात को भी रखा जिसे विपक्ष बहुत पहले से उठाता रहा है और इस मुद्दे पर भी अपनी प्रतिबद्धता जता कर विपक्ष का मुहँ बंद करने की कोशिश कर दी है।
विपक्ष का हंगामेदार मुद्दा यानि की विदेश में जमा काले धन के लिए भी कारवाही शुरू यानि के ये मुद्दा भी विपक्ष के हाथ से गया।
राष्ट्रीय सम्पदा गंगा नदी के लिए एक स्पष्ट नीति बना कर अन्य नदियों के बारे में भी स्वैच्छिक राष्ट्रीय युवा कोरयानी की यहाँ भी विपक्ष की बोलती बंद।
असामरिक क्षेत्रों से संबंधित सभी सूचना जनता के दायरे में लाना यानि की यहाँ भी विपक्ष को पटखनी।
और सबसे बड़ी बात की सभी कार्यों के लिए सौ दिन का लक्ष्य और इन सौ दिनों के बाद मंत्रियों को प्रधानमंत्री को जवाब के साथ जनता को भी अधिकार की कार्य की प्रगति का क्या स्तर है एक ऐसा तीर जिसके बाद विपक्ष को सभा में सिर्फ़ अपने मुद्दे तलाशने के लिए बैठना होगा।
तो क्या सरकार अपने संभावित भविष्य को तलाशते हुए विपक्ष का सफाया करते हुए अपने भविष्य की योजना निर्धारित कर रही है ?
जो भी हो अभिभाषण से एक बात स्पष्ट हो गयी है की मनमोहन सिंह कार्य के प्रति गतिशील हैं और विकास के मुद्दे पर किसी भी मंत्री को ढिलाई नही मिलने वाली है और कार्य की प्रगति की रिपोर्ट भी समय पर पी एम् ओ को चाहिए और सबसे बड़ी बात की आम जन सरकार के दिए हुए समय दायरे के बाद कभी भी सरकार से कार्य की स्थिति के बाबत प्रश्न पूछ सकती है
मनमोहन ने अपनी राजनैतिक दूरदर्शिता से जहाँ कार्यों को तवज्जो पर बल दिया है वहीँ कार्यों में चौतरफे मुद्दे को शामिल कर विपक्ष को धराशायी भी कर दिया है की विपक्ष बैठ कर मुद्दे तलाशे !
मनमोहन सरकार की प्रगतिशील सोंच तो पहले दिन से ही सामने थी.. आज उन्होंने उसे संसद के अभिभाषण में रख कर साफ़ भी कर दिया है.. अब इंतज़ार है अगले सौ दिन का जिसके बाद हमें वास्तविकता पता चलेगी.. अभी तो इतना भरोसा टुटा हुआ है जो याकिन नहीं कर पा रहा हूँ .... इतना टुटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा.. कुछ यही हाल है आम जनता का
ReplyDeleteविपक्ष के मुद्दों पर ही सही, काम तो हो।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
soch to sabki bahut hoti hain aur mudde bhi magr amal mein kitne laye jate hain aur phir poore kitne hote hain,aam janta ka kitna bhala hota hai .........dekhne wali baat yeh hai.
ReplyDeleteIts been a decade ...that I am out of India ....and in Indian Plitics ?? There is nothing to say or appreciate about it other than full of CRAP !!!!
ReplyDeleteBut as Gentleman ...and leader I always admire Dr Manmohan singh , India can't have better PM than him ....
Good work Rajnees !!!
ab manmohan singh ko kaam to karnaa hi padega ek asha ki kiran dikhai to de rahi hai magar 100 din me kuchh hoga aisa nahin lagata aabhaar
ReplyDeleteJanta ko to sirf kaam se matalab hai chahe wo vipaksh ko mudda vihin karake kare ya mudda bana ke.
ReplyDeleteबड़े भाई,
ReplyDeleteमुद्दा हो या न हो क्या फर्क पड़ता है, फर्क तो तब परे जब काम हो और लोग हर नयी सरकार से काम काज की ही आशा रखते हैं देखिये क्या होता है.
काम का आंकलन सौ दिन बाद तब तक बस देखने है की क्या होता है.
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