लोकतंत्र

लोकत्रंत के कंगूरों के कलश दिख रहे काले काले ।

हम भी तो हैं ढीले ढाले।

हमें चाहिए कंगूरों पर हम चढ़ जाए

कलशउतारें जो हैं काले ,

उन्हे पोछ दे जो मटमैला रंग लिए हैं ।

आख़िर जो भी कल आएगा ,

दृष्टीउठाकर कंगूरों को ही देखेगा ,

कौंन पूछता है की कैसे नींव बनी थी ।

गारे में है कौंन सम्मिलित ?

किस मिटटी की ईंट बनी थी ,

कितनी तेज आग की ज्वालाओं में इसको गया पकाया ,

राजगीर था कौंन ?

सजा कर एक एक ईंटे ,

जिसने यह नीव जगाई ।

कौंन श्रमिक था ?

जिसने अपना खून -पसीना बहा -बहा कर ,

रात -दिन था एक कर दिया ।

इन बातो पर चंद मिनट गर बातें होंगी ,

अहो भाग्य यह ,

जो भी आया कंगूरों की चमक -दमक में खो जाता है ।

चंद मिनट
के लंच डिनर में
लाखों लाखों खा जाता है
उन्हें बताना होगा हमको ,

अन्तरिक्ष में सोने वालों ,

आज भी ऐसे दिन हीन है ,

जो दाना तो देख न पाते ,

पी कर के वह अपना आंसू ,

फटा हुआ अखबार बिछा कर फुटपाथों पर सो जाता हैं ।

विजय विनीत मो।

न.९४१५६७७५१३

for the world

main apko batana chahta hu k hum jain dharm k logo ko rakshas kahe hain kyunki vo log rakshasi pap kar rahe hain. ravan ne jo pap chalaya tha vo tha indrajal usko sanicharji mahraj ne jahir kiya,fir harnaksyap ne jo pap chalaya uska nam rakshasi pap jisko narsinghji mahraj ne jahir kiya uske bad karun badshah ne jo pa chalaya usko kafiri vidya jisko guru nanakji ne pes kiya.or aaj ka yug kaliyug hai vo bhi pap ka ek nam hai jisko sad anopdasji mahraj ne apni kitab jagathitkarani k dwara jahir kiya.maine apke bhadas pe jo comment kiye vo apne display nahi kiye.apko jyada janana hain to hame sampark kare.in banio ko lanka ke dhed kahte hai. asli bato k jawab dijiye.is comment ka jawab dijiye fir hum apko juth or such ke bare me batayenge.

टाइम्स ग्रुप के अखबारों की पत्रकारिता पैमाने

मुंबई में हिंदुस्तान टाइम्स(अंग्रेजी), नवभारत टाइम्स(हिंदी),उर्दू टाइम्स(उर्दू) अखबार देखा करता हूं। इनके संपादक समाचार छापते हैं इस बात को देख कर कि किस तबके के लोगों को किस तरफ मोड़ा जा सकता है। अंग्रेजी वाला गे और लेस्बियन लोगों की कुत्तई को इतना महत्त्व दे रहा है जैसे कि देश में उससे ज्यादा महत्त्व पूर्ण कुछ नहीं बचा है। हिंदी वाला राजनैतिक कोल्हू से निकला तेल इसको-उसको लगाते नहीं थकता और उर्दू वाले ने तो लगता है कि कसम खा रखी है कि वो बस ऐसी ही बातें देगा जिससे कि मुस्लिमों के असुरक्षा की भावना जागी रहे; जैसे कि बजरंग दल के लोग कर रहे हैं शस्त्राभ्यास या बजरंग दल के लोगों ने करा हाजी मलंग की दरगाह पर हमला या आर.एस.एस. करा रही है देश में मुसलमानों पर हमले और साध्वी ठाकुर जो कि मालेगांव आदि के बम धमाकों की आरोपी है वो इनकी फ़ेवरेट है उसकी बड़ी तस्वीरें प्रकाशित करी जाती हैं ताकि मुस्लिम जन आतंकित बने रहें और असुरक्षित महसूस करते रहें। लेकिन यही खबर हिंदी और अंग्रेजी वाले सूंघते तक नहीं वहीं उर्दू वाला समलैंगिकता के मुद्दे पर नहीं छापेगा वरना हो सकता है लोग अखबार ही पढ़ना बंद कर दें।
पता नहीं साली निष्पक्ष पत्रकारिता का चेहरा इन मुखौटों के पीछे किधर गुम हो गया है?
जय जय भड़ास

डेढ़ सौ साल पुराने संविधान में बस पुनर्विचार के लिये दफ़ा 377 ही बची है???

बड़ी खुशी के साथ वो लोग बौद्धिकता की बातें करने लगे जिन्हें कि गुदामैथुन और मुखमैथुन आदि करने के शौक ने पागल बना रखा है। साले अपने बिलों में से निकल कर डेढ़ सौ साल पुराने कानून पर पुनर्विचार करने के लिये सामने आ रहे हैं कि समलैंगिक संबंधों को कानूनन जायज़ कर दिया जाए। बस संविधान में और कुछ पुनर्विचार या समीक्षा के लायक नहीं है मुंबई के राजठाकरे से लेकर बाल ठाकरे तक के गुर्गे हगने मूतने तक की बातों पर सड़क पर उतर कर नंगनाच करने लगते थे लेकिन इस तरह की परेडों को रोकने के लिये कोई आगे नहीं आता, जबकि वेलेन्टाइन डे पर जितने भी समाज के ठेकेदार हैं लोगों को सताने पीटने निकल पड़ते हैं तालिबानियों के हिंदुस्तानी संस्करण बन कर। इस पूरे मामले में मीडिया का खास तौर से प्रिंट मीडिया का सबका बहुत ही विशेष बनियापे भरा रवैया रहा है। कल मत रोना भड़ासियों जब तुम्हारा बेटा किसी सुरेश या रमेश से शादी कर ले या बेटी किसी बबली या मोना से।
जय जय भड़ास

वो साला NGO वाला देश के लोकतंत्र में भुस भरना चाहता है

एक बार मुंबई में एक ब्लागर मीट रखी गयी। अंग्रेजी में टर्राने वाले सारे लोगों में हिंदी बोलने वाले देसी ठर्र गंवार भड़ासी भी पहुंच गये। वही हुआ जो हमेशा होता है। हम तो वही करते हैं जो हमें सही लगता है बुरे,जिद्दी,जाहिल और बुद्धू जो ठहरे....बीच बीच में उठ कर हिंदी में रेंक देते थे। सबने अपनी अपनी ढपली बजाकर विदेशी राग अलापा और पगले भड़ासी अवधी,बुन्देली,मगही जैसे राग अलापते रहे। असर हुआ कि मीट कत्म होते होते सब टोडी बच्चे हिंदी,मराठी और गुजराती बोलने लगे। इसी मीट में एक सेशन रहा "असोका" नाम के एक NGO के प्रतिनिधियों का भी जो कि अपनी अपनी पेलते रहे कि हम ये, हम वो, हम सौदागर हैं, हमारे चौदाघर हैं वगैरह वगैरह......(भौं भौं...)। उनमें से एक ने जो बोला वो अब तक दिल में चुभा था लेकिन आज उस बंदे का ट्विटर पर रोल देख कर चरित्र समझ में आ गया। उसने बड़े मार्मिक अंदाज में कहा था कि मैं जब छोटा था तो मेरे अंकल ने मेरे साथ कुकर्म करा था इसलिये आप सब इस बात पर नजर रखें कि बच्चों का यौनशोषण न हो,इसने एक बात और कही कि यदि सभी लोग एक NGO की तरह कार्य करने लगें तो हमें सरकार की जरूरत ही न पड़ेगी।
अब इसकी बात समझ में आ रही है क्योंकि ये पट्ठा मुंबई में हुए गे और लेस्बियन लोगों के सम्मान परेड की वकालत कर रहा है। ये विदेशों से पैसा पाने वाले NGO भारतीय जीवन मूल्यों से बलात्कार करने में नहीं चूकते। दूसरी बात कि ये बड़े ही बौद्धिक तरीके से लोकतंत्र की धारणा को ध्वस्त करने की साजिश का भी हिस्सा हैं। जब हम सब दिमागी तौर पर इनके गुलाम हो जाएंगे और हमारे जीवन मूल्य ही नष्ट हो जाएंगे तो इन्हें हम पर अधिकार करने के लिये किसी हमले की जरूरत ही नहीं रहेगी क्योंकि हम में से ही न जाने कितने लोग इनकी वकालत में उठ खड़े होंगे। न जाने कितनी सेलिना जेटलियां और अशोकराव कवि सामने आ जाएंगे।
जय जय भड़ास

इनसे क्यों न आतंकित रहे...... ये भी आतंकवादी हैं।

देश में नक्सलवाद ने आग लगा रखी है। एक ही सनकी सोच जो कि शायद अलग-अलग मुखौटों में मौजूद है कभी कश्मीर में अलगाववाद के रूप में पगला कर सामने आ जाती है और कभी अजमल आमिर कसाब के नाम से बेमकसद आतंक को लेकर भारतीयों को डरा देती है। मार्क्स, लेनिन, कसाब के आका और माओ अगर एक एक जीवन भारत में रह लेते तो शायद समझ पाते कि यहां के अत्यंत भोले और "चूतिया" लोग अब तक दिमागी तौर पर इतने मजबूत नहीं हुए हैं कि लोकतंत्र समझ सकें। मैने अपनी आंखो से देखा कि मेरे शहर नई मुंबई में यहां के बाहुबली विधायक विवेकानंद पाटिल के जन्मदिन के पोस्टरों में लोग "रायगड चा राजा" यानि रायगड का राजा लिख रहे हैं। अब तक राजा महाराजा वाली सोच के पिछलग्गू सामंतवादी परंपराओं को जिलाए रखे हैं। जो इन्हें राजा नही स्वीकारते उनकी तो हवा तंग करने के लिये पूरे शहर में लगे इनके विशाल होर्डिंग ही काफ़ी हैं जिनके आगे एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार के प्राणी की हलक सूख जाती है कि कितना विराट व्यक्तित्त्व है यही सामाजिक संरक्षण दे सकता है और वो भी अनचाहे उसी धारा में शामिल हो जाता है। ये भी साला एक किस्म का बेहद हरामीपन से भरा आतंकवाद है कि जन्मदिन पर लगाए गय होर्डिंग्स का मैंने मूल्यांकन करा(जितना मैं देख सका) तो वो पच्चीस लाख से ऊपर थे। जनता ये पैसे एकत्र करके सड़क क्यों नहीं बनवा लेती या गटर की समस्या हल क्यों नहीं कर लेती? नहीं करेगी, जनता डरी हुई है इन नराधमों के आतंक से........ क्योंकि ये "केन्द्रीय व्यापार संकुल बेलापुर" यानि बेलापुर सी.बी.डी. का नाम बदलवा कर " विवेकानंद नगर रखाने के लिये उत्पात करते हैं बसों की दिशा पट्टिकाओं पर जबरन नाम लिख देते हैं और इनका कुछ नहीं होता तो जनता इनसे क्यों न आतंकित रहे...... ये भी आतंकवादी हैं।
जय जय भड़ास

मेरा सवाल

तुने मुझे जिंदगी में शामिल कर तो लिया है
पर क्या तुने मुझे मुकम्मिल दिल दिया है
या फिर लेकर मेरे नाम का कोई धागा
तुने अपने किसी पुराने जख्म को सिया है

कब्रिस्तान में फंक्शन था

मेरी हड्डी वहाँ टूटी,

जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.


मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,

उसका पेट्रोल ख़त्म था।


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वो तो प्रेम दीवानी हो ली

वो तो प्रेम दीवानी हो ली.

सतरंगा ये इन्द्रधनुष
आज उतर पृथ्वी पर आया
अपने हाथ बढा कर ले लो
रंग प्यार के सारे लाया....


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कलयुग मे न आना कनहैया .......

कलयुग में अब ना आना रे प्यारे कृष्ण कन्हैया
तुम बलदाऊ के भाई यहाँ हैं दाउद के भैया।।......


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आप के यहाँ छिपकली है ?

आपका घर है ?
tv है
कौन से channel
आते है
Table है
Chair भी होगी?
आपके घर मे
छिपकली है
बिल्ली है
कुत्ता क्यो
नही है
Audio है के
cd के dvd?
Home theater
क्यो नही है
नल है
पानी आता है
Fridge है

बड़ा है के छोटा?


ठंडा करता है


ice बनता है


कौन सी
company का है


तो दूसरी.company. का
क्यो नही है ?


Fan है के अक ?
कूलेर क्यों
नही है ?

Phone
नही है
है अच्छा.

फिर तो इन्टरनेट भी होगा ?

चलता है क्या ?


ब्लॉगर पर account भी होगा ??


तो REPLY करने मैं bill आता है क्या?

लो क सं घ र्ष !: मुंद जाते पहुनाई से


परिवर्तन नियम समर्पित ,
झुककर मिलना फिर जाना।
आंखों की बोली मिलती ,
तो संधि उलझते जाना॥

संध्या तो अपने रंग में,
अम्बर को ही रंग देती।
ब्रीङा की तेरी लाली,
निज में संचित कर लेती॥

अनगिनत प्रश्न करता हूँ,
अंतस की परछाई से।
निर्लिप्त नयन हंस-हंस कर,
मुंद जाते पहुनाई से ॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

लो क सं घ र्ष !: संघी कारसेवको से कांग्रेस को बचाएँ राहुल -2

वास्तव में कांग्रेस में अपना आशियाना बनाकर आगे अपनी पार्टी को शक्ति एवं उर्जा देने की भाजपा की परम्परा रही है। वर्ष 1980 में जब उस ज़माने के कांग्रेसी युवराज संजय गाँधी के अनुभवहीन कंधो की सवारी करके कांग्रेस अपनी वापसी कर रही थी और दोहरी सदाशयता का दंश झेल रहे भाज्पैयो को अपनी डूबती नैय्या के उबरने का कोई रास्ता नही सूझ रहा था तो संजय गाँधी द्वारा बने जा रही युवक कांग्रेस में अपने कार्यकर्ताओ को गुप्त निर्देश भाजपा के थिंक टैंक आर.एस.एस के दिग्गजों द्वारा देकर उन्हें कांग्रेस में दाखिल होने की हरी झंडी दी गई। परिणाम स्वरूप आर.एस.एस के नवयुवक काली टोपी उतार कर सफ़ेद टोपी धारण कर लाखो की संख्या में दाखिल हो गए। कांग्रेस तो अपने पतन से उदय की ओर चल पड़ी , मगर कांग्रेस के अन्दर छुपे आर.एस.एस के कारसेवक अपना काम करते रहे और इन्हे निर्देश इनके आकाओं से बराबर मिलता रहा । यह काम आर.एस.एस ने इतनी चतुराई से किया की राजनीती चतुर खिलाडी और राजनितिक दुदार्शिता की अचूक सुझबुझ रखने वाली तथा अपने शत्रुवो पर सदैव आक्रामक प्रहार करने वाली इंदिरा गाँधी भी अपने घर के अन्दर छुपे इन भितार्घतियो को पहचान न सकी। इसका एक मुख्य कारण उनका पुत्रमोह भी था परन्तु संजय गाँधी के एक हवाई हादसे में मृत्यु के पश्चात इंदिरा गाँधी ने जब युवक कांग्रेस की सुधि ली और उसके क्रिया कलापों की पर गहरी नजर डाली तो उन्हें इस बात का अनुमान लगा की कही दाल में काला जरूर है । बताते है की इंदिरा गाँधी युवक कांग्रेस की स्क्रीनिंग करने की योजना बनाकर उस पर अमल करने ही वाली थी की उनकी हत्या १९८४ में उन्ही के सुरक्षागार्ङों द्वारा करा दी गई । उसके बाद हिंसा का जो तांडव दिल्ली से लेकर कानपूर व उत्तर प्रदेश के कई नगरो में सिक्ख समुदाय के विरूद्व हुआ उसमें यह साफ़ साबित हो गया की आर.एस.एस अपने मंसुबू पर कितनी कामयाबी के साथ काम कर रही है। राजीव गाँधी ,जो अपने भाई संजय की अकश्मित मौत के पश्चात बेमन से राजनीती में अपनी मान की इच्छा का पालन करने आए थे, जब तक कुछ समझ पाते हजारो सिक्खों की लाशें बिछ चुकी थी करोङो की उनकी संपत्ति या तो स्वाहा की जा चुकी थी या लूटी जा चुकी थी । लोगो ने अपनी आंखों से हिन्दुत्ववादी शक्तियों को कांग्रेसियों के भेष में हिंसा करते देखा , जिन्हें बाकायदा दिशा निर्देश देकर उनके आका संचालित कर रहे थे । सिखों को अपने ही देश में अपने ही उन देशवासियों द्वारा इस प्रकार के सुलुक की उम्मीद कभी न थी क्योंकि सिख समुदाय के बारे में टू इतिहास यह बताता है की उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए ही शास्त्र धारण किए थे और विदेशी हमलावरों से लोहा लिया था । देश में जब कभी मुसलमानों के विरूद्व आर.एस.एस द्वारा सांप्रदायिक मानसिकता से उनका नरसंहार किया गया तो सिख समुदाय को मार्शल फोर्स के तौर पर प्रयुक्त भी किया गया ।

राजीव गाँधी ने अपने शांतिपूर्ण एवं शालीन स्वभाव से हिंसा पर नियंत्रण तो कर लिया परन्तु एक समुदाय को लंबे समय के लिए कांग्रेस से दूर करने के अपने मंसूबो को बड़ी ही कामयाबी के साथ आर.एस.एस अंजाम दे चुकी थी । देश में अराजकता का माहौल बनने में अहम् भूमिका निभाने वाले आर.एस.एस के लोगो ने अब अवसर को उचित जान कर उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश व राजस्थान को अपना लक्ष्य बना कर वहां साम्प्रदायिकता का विष घोलना शुरू किया और धीरे-धीरे इन प्रदेशो में मौजूद कांग्रेसी हुकुमतो को धराशाई करना भी शुरू कर दिया।

फिर राजीव गाँधी से एक भूल हो गई वह यह की 1989 में नारायण दत्त तिवारी ने उन्हें यह सलाह दी की हिंदू भावनाओ को ध्यान में रखते हुए अयोध्या से ही लोकसभा चुनाव की मुहीम का गाज किया जाए और भाजपा व विश्व हिंदू परिषद् के हाथ से राम मन्दिर की बागडोर छीन कर मन्दिर का शिलान्याश विवादित परिषर के बहार करा दिया जाए। यह सलाह आर.एस.एस ने अपनी सोची समझी राद्निती के तहत कांग्रेस के अन्दर बैठे अपने कारसेवको के जरिये ही राजीव गाँधी के दिमाग में ङलवाई थी । नतीजा इसका उल्टा हुआ , 1989 के आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल उत्तर प्रदेश में चारो खाने चित्त हुई बल्कि पूरे उत्तर भारत, मध्य भारत, राजस्थान व गुजरात में उसकी सत्ता डोल गई और भाजपा के हिंदुत्व का शंखनाद पूरे देश में होने लगा । अपने पक्ष में बने माहौल से उत्साहित होकर लाल कृष्ण अडवानी जी सोमनाथ से एक रथ पर सवार होकर हिंदुत्व की अलख पूरे देश में जगाने निकल पड़े। अयोध्या तक तो वह न पहुँच पाये, इससे पहले ही बिहार में उनको गिरफ्तार कर लालू, जो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री थे, ने उन्हें एक गेस्ट हाउस में नजरबन्द कर दिया । उधर अडवानी जी की गिरफ्तारी से उत्तेजित हिन्दुत्ववादी शक्तियों ने पूरे देश में महौल गर्म कर साम्प्रदायिकता का जहर खूब बढ़-चढ़ कर घोल डाला , इस कार्य में उन्हें भरपूर समर्थन उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सहाबुद्दीन , इलियाश अहमद आजमी व मौलाना अब्दुल्ला बुखारी जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम नेताओं के आग उगलते हुए भासनो से मिला।

क्रमश:
-तारीक खान

लो क सं घ र्ष !: छाया पड़ती हो विधु पर...


खुले अधर थे शांत नयन,
तर्जनी टिकी थी चिवु पर।
ज्यों प्रेम जलधि में चिन्मय,
छाया पड़ती हो विधु पर॥

है रीती निराली इनकी ,
जाने किस पर आ जाए।
है उचित , कहाँ अनुचित है?
आँखें न भेद कर पाये॥

अधखुले नयन थे ऐसे,
प्रात: नीरज हो जैसे।
चितवन के पर उड़ते हो,
पर भ्रमर बंधा हो जैसे॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"

लो क सं घ र्ष !: संघी कारसेवको से कांग्रेस को बचाएँ राहुल

दो दशक पश्चात उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बनवास समाप्ति की पि अल पुनिया को मिली ऐतेहासिक जीता । में भाजपा वोट बैंक-मुस्लिम, दलित व ब्राहमण को कदम एक बार फिर उसकी और मुड रहे है । कांग्रेसी अपनी इस सफलता पर फूले नही समां रहे है ,परन्तु साथ ही आर.एस.एस नाम का एक घटक वायरस दबे पाँव कांग्रेस को स्वस्थ होते शरीर में दोबारा पेवस्त हो रहा है , यदि कांग्रेस हाईकमान समय से न जागा और केवल सत्ता प्राप्ति को नशे में चूर आँखें बंद करके ऐसे तत्वों को पार्टी में दाखिले पर रोक न लगे तो कांग्रेस का हश्र वाही होगा जैसा की नब्बे को दशक में हुआ था की न राम मिला न रहीम और अंत में ब्याज को रूप में दरिद्र नारायण भी उससे रूठ गए।

15 वी लोकसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस को पूरे देश में अद्वितीय सफलता हाथ लगी है , तो वही देश की राजनीति का makka कहे जाने वाले prant उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने दो दशक उपरांत अपने अच्छे दिनों की वापसी को संकेत भी दे दिए है। उसने 21 सीटें प्राप्त करके समाजवादी पार्टी को बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को रूप में अपना स्थान बनाया है । जबकि प्रधानमन्त्री का सपना अपनी आँखों में संजोये सुश्री मायावती को २० सीटो को साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा और पी.एम इन वेटिंग की पार्टी भाजपा को चौथा स्थान उस प्रान्त में प्राप्त हुआ जहाँ उन्हें नब्बे को दशक को प्रारम्भ में सत्ता प्राप्ति की चाभी मिली थी।

कांग्रेस की इस जीत का सेहरा यद्यपि कांग्रेसी अपने युवा कमांडर राहुल गाँधी के सर बाँध रहे है । परन्तु क्या अकेले राहुल गाँधी के करिश्माती व्यक्तित्व के चलते कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता में यह उछाल आया है ? इस प्रश्न पर विचार करना अति महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस को जो सफलता इस बार के संसदीय चुनाव में मिली है उसका यदि गंभीरता से विश्लेषण किया जाए टू हम पाते है की जहाँ-जहाँ भाजपा हाशिये पर सिमट गई है वहीं कांग्रेस को सफलता अधिक प्राप्त हुई है । सुल्तानपुर की सीट पर बाष्प के मुस्लिम उम्मीदवार ताहिर खान के जितने की प्रबल आशा थी परन्तु ज्यों - ज्यों चुनाव आगे बढ़ा कांग्रेसी उम्मीदवार संजय सिंह की स्तिथि मजबूत होती गई । इसका मुख्य कारण है भाजपा का सिमट जाना। इसी प्रकार बाराबंकी सीट पर पी.एल पुनिया को मिली ऐतिहशिक जीत में भाजपा के वोटो का उनकी और स्विंग होना मुख्य कारण रहा , कांग्रेस को २५ वर्ष बाद यह सीट दिलाने में ,तो वहीं भाजपा के लिए सदैव प्रतिष्ठा की रह मानी जाने वाली फैजाबाद सीट पर भी भाजपा का दुर्गत बन गई और लल्लू सिंह को तीसरा स्थान मिला कांग्रेस का निर्मल खत्री ने जमाने का बाद यहाँ कांग्रेस का तिरंगा लहराया उनकी जीत यहाँ और दरियाबाद रुदौली विधान सभाओ का मुस्लिम वोटो का समर्थन उनके पास था तो वहीं अयोध्या समेत अन्य भाजपा का गढ़ वाले क्षेत्रो से भी निर्मल खत्री को अपार समर्थन मिला इसी तरह, श्रावस्ती बहराइच की सीटें जो कांग्रेस जीती तो उसमें भी मुख्य भूमिका आर.एस.एस वोटो की थी यहाँ तक की गोंडा की सीट बेनी बाबू ने यहाँ तेज़ कर दिया होता और उसके जवाब में हिंदू वोटो का ध्रुवीकरण बेनी बाबू की और हुआ होता टू कांग्रेस को यह सीट कदापि मिलती

सपा से या बसपा से सीधी लडाई में कांग्रेस थी और भाजपा का उम्मीदवार कमजोर था भाजपा का वोट कांग्रेस के पक्ष में स्विंग हुआ, चाहे वह कुशीनगर की सीट रही हो या डुमरियागंज की, चाहे वह झाँसी की सीट रही हो या प्रतापगढ़ कीकेवल रामपुर एक ऐसे सीट थी जहाँ सपा के पक्ष में भाजपा का वोट स्विंग हो गया और जो जयाप्रदा पूरे चुनाव भर आंसुओं से रोती रही वह अन्त्तोगोत्वा विजयी होकर अब मुस्कुरा रही हैयहाँ गौरतलब बात है की भाजपा के राष्ट्रिय महासचिव मुख्तार अब्बास नकवी की जमानत तक जब्त हो गईउन्हें शर्मनाक शिकस्त का का सामना करना पड़ावह पार्टी जिसको भाजपा अपना शत्रु नम्बर 1 मानती रही और उसके पक्ष में अपना वोट स्थानांतरित करना एक बड़ी योजना का हिस्सा थाबताते है की आजम खान के हौसलों को पस्त करने के लिए अमर सिंह ने संघ से मदद यह कह कर मांगी की यह उनके मान-सम्मान की बात है , तुम हमारी मदद करो हम केन्द्र में तुम्हारी सरकार बनाए में तुम्हे मदद करेंगेयह बात समझ में भी आती हैवरना इतनी आसानी से भाजपा अपने चहेते वफादार मुस्लिम नेट की दुर्गत यू बनवातीयह बात और है कि भाजपा का सौदा अधूरा रह गया और पि.ऍम इन वेटिंग वेटिंग रूम में बैठकर वेटिंग ही करते रह गए और कांग्रेस कि गाड़ी दिल्ली पहुँच गईऐसी नौबत आई कि राजग को सत्ता में अमर सिंह कि सेवाएँ लेनी पड़ती

क्रमश:
- मो. तारीख खान

खोया बच्चा अल्तमश मिल गया, शुक्रिया भड़ास.....

मिल गया गुम हुआ बालक अल्तमश शेख
आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले भड़ास पर अल्तमश शेख नाम के बच्चे के गुम हो जाने की खबर दी गयी थी। भड़ास के महाघुमक्कड़ भड़ासियों की मुंबई घुमंतू टीम में से एक को बालक मिल गया जिसे लाकर मानखुर्द में उसकी नानी के हवाले कर दिया गया। बच्चा स्कूल न जाने के कारण नानी के डांटने से घर से भाग गया था और लगभग एक सप्ताह से मुंबई में ही भटक रहा था। अब नानी भी खुश और नाती भी खुश क्योंकि अब बच्चे की भी भटक-भटक कर हवा तंग हो चुकी है और नानी ने भी कसम खा ली है कि बिना मां-बाप के बच्चे को पीटेंगी नहीं। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी खोए-बिछड़े अपने परिवार से मिल जाएं। नानी जी भड़ासियों का शुक्रिया करते नहीं थक रही हैं।
जय जय भड़ास

सांप को दूध पिलाने वाले



Angry_cow =>मेरे बच्चों, अब मैं तुमको और दूध नहीं पिला सकता । केन्द्र सरकार की बुरी नज़र अब मेरे तबेले पर भी पड़ने लगी है ।


जैसे ही केन्द्र सरकार ने भाकपा (माओवादी) पार्टी को आतंकवादी संगठनों की सूची में डाला वैसे ही वामदलों को मिर्गी के दौरे आने लगे । नक्सली आंदोलन आज से 40 साल पहले वामदलों की बदौलत परवान चढा था । आज भारत के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में नक्सलिस्ट कहर बरपा रहे हैं । पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई. एस. आई. भी इनको अपना सगा सम्बन्धी मानकर मदद करती रहती है । जितना नुकसान भारत का पाकिस्तान अपनी आतंकी गतिविधियों से नहीं कर रहा है उससे ज्यादा जान-माल की क्षति भारत को नक्सली पहुंचा रहे हैं । इन सांपों को पाला और दूध पिलाया वामदल ने पश्चिम बंगाल में । नक्सली आंदोलन की वजह गरीबी, असंतुलित विकास और मदमस्त, नवाबी, कठोर, अड़ियल, बेपरवाह प्रशासन था, लेकिन पिछले 40 सालों से पश्चिम बंगाल (जहां कि इस आंदोलन ने जन्म लिया) में तो वामदलों का ही शासन है । यानी की नक्सली आंदोलन की मुख्य वजह तो यही महानुभाव थे और वो वजहें आज 40 साल बाद भी अगर जिंदा हैं तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उस रोग का इन्होंने कोई इलाज नहीं किया बल्कि फुंसी को कैंसर बन कर पड़ोसी राज्यों में भी फैलने दिया ।

वामदल और नक्सलियों का खतरनाक गठजोड़ बहुत पुराना है । पश्चिम बंगाल में पिछले 40 साल से जिन कमुनिस्टों का राज चल रहा है उसकी दो ही बैसाखियां है । नं0 1 नक्सली, नं0 दो बंग्लादेशी घुसपैठिये । इन दोनों की मदद से ये 40 साल से राज्य में शासन करते चले आ रहे हैं । नक्सली गुंडों की बदौलत ये बूथ कैप्चर करवाते है और फर्जी बंग्लादेशी नागरिकों को वोटर बना कर वोट पड़वाते हैं । अपनी सरकार बनी रहे यही मुख्य मुद्दा है बाकी भारत देश और लोकतंत्र तो इनकी निगाह में दो कौड़ी की भी हैसियत नहीं रखते ।

भारत के महान वामदल । दस हज़ार साल से निरंतर चली आने वाली विश्व की एकमात्र सभ्यता, संस्कृति जिसे दुनिया एक प्रकाशपुंज के रूप देखती है, उस महान देश के महान इतिहास, संस्कृति से इनका कोई लेना देना नही है, सब कूड़ा कर्कट है इनकी समझ से । विचारक भी इनको इस देश में नहीं मिले, मजबूरीवश आयात करने पड़े । कार्ल माक्र्स, लेनिन, माओ । राष्ट्र और राष्ट्रवादिता दोनों ही इनके लिए ढकोसला है । राम और कृष्ण इनके लिए किताबी कहानी से ज्यादा और कुछ भी नहीं । धर्म अफीम की पुड़िया है । अगर इतने ही बड़े सेकुलरवादी हो तो बंगाल में दुर्गा पूजा बंद करवा दो और बेलूर मठ को आग में झोंक दो । सुभाषचंद्र बोस को कुत्ता कहने वाले और देश के बंटवारे के लिए जिन्ना का समर्थन करने वाले ये मीर जाफ़र और जगत सेठ की जायज़ संताने हैं । एक पाकिस्तान बना चुके हैं, दूसरे के लिए नक्सली आंदोलन को पाल पोस रहे हैं । चीन से इनको आर्थिक और वैचारिक दोनो ही खुराकें मिलती हैं ।

जैसे ही केन्द्र ने माओवादी (भाकपा) को आतंकवादी संगठन घोषित किया वामदलों ने एक नई बहस को परवान चढाना शुरू कर दिया कि आतंकवाद की परिभाषा क्या होती है ? ये वो लोग हैं जो कि अलगाववादी संगठनों को प्रश्रय और संरक्षण देते हैं और फर्जी राजनीति करते हैं । इनमें और कश्मीरी अलगाववादियों में बाल बराबर भी अंतर नहीं । अब बेचारे बडे़ धर्म संकट में पड़े हुय हैं । जिन नक्सली गुंडों कीं की मदद से चुनाव जीतते रहे अब उन्हीं पर प्रतिबंध लगाने के लिए केन्द्र सरकार दबाव डाल रही है । अब क्या करें ? माओवादी कोई चीनी का खिलौना तो नहीं कि जब तक चाहाउससे खेला और जब चाहा मुंह में डाल कर गुडुप कर लिया । इनकी दशा देखकर मित्रों अवधी की एक कहावत याद आती है जो कि इनपर एकदम सटीक बैठती है ”पूतौ मीठ, भतारौ मीठ, के कर किरिया खाऊं ।"

एसी कोच में बीड़ी का सुट्टा

हमारे देश को अंग्रेज पोंगा पंथियों का देश कहा करते थे। ये सच भी लगता है क्योंकि यहाँ दिखावट का ही जलवा है। जैसा दिखा दीजिये, लोगों को चुतिया बना सकते हैं। जैसा की हाल ही में पकड़े गए दशियों ठगों ने किया था। एक साधारण चोर थे लेकिन उन्होंने लोगों को ऐसा दिखाया की वे चोर नही बल्कि ईश्वर के दूत हैं जो यहाँ पर आप जैसे लोगों के दुःख हरने के लिए आए हैं। लोगो ने जो देखा उसे सच माना और ईश्वर के दूत को सब कुछ सौप दिया। जब तब इन महाठागो का सच सामने आता तब तक तो कितने लोगों का कल्याण हो चुका था। ये तो रही ठगों की बात कहने का तात्पर्य यह है की जो दीखता है वह बिकता का जुमला ही आजकल चल रहा है। आजकल क्या ये आदिकाल से ही चलन में है। कुछ इसी तरह का प्रपंच हमारी राजनैतिक पार्टियों, तथाकथिक सामाजिक संगठनों और इन्ही जैसे लोकहित को समर्पित मंचों का भी होता है। बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स पर आम आदमी के झुर्रीदार चेहरों पर हँसी बिखेरना और उसके नीचे अपनी पार्टी, संगठन और जनहित मंचों का लेबल लगा देना इनका दिखावटी काम है । पर असल में ये लोगो को भ्रमित करके अपना उल्लू सीधा करते हैं। ये भी किसी ठग से कम नही होते, हाँ ये अलग बात है की इन ठगों पर कोई कानूनी कार्वाही लोकतंत्र को बचाने के नाम पर नही हो पाती। क्यूंकि आखिरकार ये देश की राजनितिक पार्टियाँ और उनकी वफादार संगठन जो ठहरे! एक रोचक प्रसंग याद आता है, एक बार मैं अपनी मगज़िने के काम के सिलसिले में बनारस जा रहा था। मैं स्लीपर में अपना रेजर्वेसन कराया। लेकिन ठीक जाने वाले दिन ही पता चला की जिनका इंटरव्यू मैं लेने जा रहा हूँ वे अलाहाबाद से बनारस इसी ट्रेन से जायेंगे । उनके पीअ से रेकुएस्ट की तो उसने ट्रेन में ही इंटरव्यू का समय निर्धारित करवा दिया । इलाहबाद में मैं उनके एसी कोच में घुस गया । महाशय मिले और बहुत गर्मजोशी से उन्होंने इंटरव्यू दिया , मेरा काम बन चुका था और मैं गाड़ी रुकने का इंतजार करने लगा। तभी उनके एक दोस्त जो उसी कोच में यात्रा कर रहे थे , अचानक आ पहुंचे और दुआ- सलाम करके पास में ही बैठ गए। थोडी देर बाद उन्होंने अपने कुरते की जेब में हाथ डाला और एक बीड़ी का बण्डल निकल लिया । सबकी तरफ़ बीड़ी दिखाई और भारतीय परम्परा के अनुसार मुझसे भी पूछा की लेंगे ? मैंने नही में उत्तर दिया मगर मुझे हैरत होने लगी की एसी कोच में सफर करने वाला बन्दा बीड़ी क्यों पी रहा है । इनके जैसे लोग तो बढ़िया क्वालिटी की सिगरेट पीते हैं। शायद वह व्यक्ति भी मेरी मनोदशा समझ रहा था। हम जैसे छोटे लोगों की ये सबसे बड़ी बीमारी है की मन की बात को चेहरे से बयां कर ही देते हैं। जबकि बड़े लोग इसमे माहिर होते हैं। खैर उस व्यक्ति ने मेरी तरफ़ मुखातिब होकर कहा मैं समझ रहा हूँ की आप क्या सोच रहे हैं। मैंने गर्दन भर हिलाई , उसने कहा- देखिये हम सर्वहारा के हित की रक्षा करने वाली पार्टी के नेता हैं। हम गरीबों और मजलूमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोग हैं। भले ही अब हम एसी में रहते हो एसी में खाते -पीते हो लेकिन हमें अन्तः गरीब ही दिखना पड़ता है। ये बीड़ी भी इसी दिखावट के लिए ही है, क्योंकि आप अच्छी तरह जानते हैं की हबडा ब्रांड बीड़ी गरीब लोग ही पीते हैं। इसलिए मैं सबकुछ छोड़ सकता हूँ पर बीड़ी पीना नही , अरे येही तो हमारा ट्रेड मार्क है इसके बिना हमारी क्या औकात। इसी बीड़ी के ही दम पर आज हम बड़ी-बड़ी गाड़ियों से चलते हैं , फाइव स्टार होटल्स में हमारी मीटिंग्स होती हैं और तो और हमारा फाइव स्टार रहन-सहन भी इसी बीड़ी की बदौलत ही है। इतने में गाड़ी रुक गई और मैं चुप-चाप अभिवादन करके वहां से निकल लिया , लेकिन मैं बहुत कुछ समझ चुका था । शायद आप भी कुछ न कुछ समझ ही रहे होंगे.......
जय भड़ास जय जय भड़ास

भड़ास और उसके संचालक

आज कुछ दिनों से जब से मैंने भाई मुनेन्द्र के सवाल को चित्र सहित सेमलानी जी से अपनी पूर्ण भडासी विनम्रता के साथ पूछा था की इन दोनों चित्रों के पीछे क्या रहस्य है तो वो बात तो खुली नही हाँ ये जरूर हो गया की भड़ास के मंच पर अनूप मंडल और जैन धर्म के मानने वालों के बीच घमासान छिड़ गया। भड़ास के माडरेटर्स को कोई क्या चूतिया बनाएगा हम दोनों तो रेडीमेड पक्के चूतिया हैं तभी तो भड़ास चला पा रहे हैं। आप सब भाई रजनीश झा की मेरे ऊपर लिखी पोस्ट "चुतिओं का सरदार गुम हुआ'' पिछली पोस्ट में जाकर देख लीजिये , यकीनन हम भडासी अगर चूतिया न हों तो ऐसी बातें क्यों करें जिन बातों पर फुसफुसाहट करने में भी लोगों की फटती है। लेकिन एक बात तो सत्य है कि आप सब इन मुद्दों पर कहीं दूसरी जगह विमर्श नही कर सकते।
अमित भाई ! भड़ास किसी का बंधुआ नही है ये मात्र वो व्यवस्था है जिसके तहत वो लोग भी भड़ास पर पोस्ट कर सकते हैं जो भड़ास के सदस्य नही हैं इसके लिए बस सीधे सबसे ऊपर दिए इ-मेल पते पर अपना लेख भेज देना होता है और वो पूरी लोकतांत्रिक गोपनीयता को समझते हुए भड़ास के नाम से प्रकाशित होता है। इसमे प्रेषक का नाम नही पता चलता यदि कोई अपना नाम गुप्त रखना चाहे तो वो इस का सहर्ष प्रयोग कर सकता है। अभी बस इतना ही आप दोनों जारी रखिये लेकिन भड़ास कि भडासी सीमा के अन्दर रहकर.........
जय जय भड़ास

लो क सं घ र्ष !: जलते है स्वप्न हमारे...


वक्र - पंक्ति में कुंद कलि
किसलय के अवगुण्ठन में।
तृष्णा में शुक है आकुल,
ज्यों राधा नन्दन वन में॥

उज्जवल जलकुम्भी की शुचि,
पंखुडियां श्वेत निराली।
हो अधर विचुम्बित आभा,
जल अरुण समाहित लाली॥

विम्बित नीरज गरिमा से
मंडित कपोल तुम्हारे।
नीख ज्वाला में उनकी ,
जलते है स्वप्न हमारे॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

आने वाली पीढियां हमें एक दिन गाली देंगी ...

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2050 तक ग्लेशियरों के पिघलने से भारत, चीन, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों में आबादी का वह निर्धन तबका प्रभावित होगा जो प्रमुख एवं सहायक नदियों पर निर्भर है।ग्लोबल वार्मिंग आज पुरे विश्व की प्रमुख समस्या बन चुकी हैयह किसी एक देश से सम्बंधित होकर वैश्विक समस्या है ,जिसकी चपेट में लगभग सारे देश आने वाले है
भारतीयों के लिए गंगा एक पवित्र नदी है और उसे लोग जीवनदायिनी मानते हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदियों में परिवर्तन और उन पर आजीविका के लिए निर्भरता का असर अर्थव्यवस्था, संस्कृति और भौगोलिक प्रभाव पर पड़ सकता है। गंगा तब जीवनदायिनी नही रह पायेगीबाढ़ और सूखे का प्रकोप बढ़ जाएगा
जर्मनी के बॉन में जारी रिपोर्ट Searh of Shelter : Mapping the Effects of Climate Change on Human Mitigation and Displacement में कहा गया है कि ग्लेशियरों का पिघलना जारी है और इसके कारण पहले बाढ़ आएगी और फिर लंबे समय तक पानी की आपूर्ति घट जाएगी। निश्चित रूप से इससे एशिया में सिंचित कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा तबाह हो जाएगा। यह रिपोर्ट एक भयावह स्थिति को प्रर्दशित करता हैसमय रहते ही चेत जाने में भलाई है , नही तो हम आने वाली भावी पीढियों के लिए कुछ भी छोड़ कर नही जायेंगे और यह उनके साथ बहुत बड़ा धोखा होगा

अहिंसा का मतलब - सारे धर्मो का नजरिया

जैन धर्म
1. अहिंसा परम धर्म है | किसी भी जीव की हिंसा मत करो, हिंसा करने वाले का सब धर्म-कर्म व्यर्थ हो जाता है |
2. संसार में सबको अपनी जान प्यारी है, कोई मरना नहीं चाहता, अतः किसी भी प्राणी की हिंसा मत करो |


सनातन (हिन्दु) धर्म
1. जातु मांस न भोक्तव्यं, प्राणै कण्ठगतैरपि - (काशीखण्ड, 353-55)
प्राण चाहे कण्ठ तक ही क्यों न आ जाए, मांसाहार नहीं करना चाहिए |
2. जो व्यक्ति सौ वर्षो तक लगातार अश्वमेघ यज्ञ करता है और जो व्यक्ति मांस नहीं खाता है, उनमें से मांसाहार का त्यागी ही विशेष पुण्यवान माना जाता है | (महाभारत अनु. पर्व 115)
3. जो व्यक्ति अपने सुख के लिए निरपराध प्राणियों की हत्या करता है, वह इस लोक और परलोक में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं कर सकता | (मनुस्मृति, 5-45)
4. जो लोग अण्डे-मांस खाते है, मैं उन दुष्टों का नाश करता हूँ | (अर्थर्ववेद, 8-6-93)
5. जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं | वे सचमुच राक्षस की तरह दिखाई देते हैं | (महाभारत, अनु. पर्व, अ.117)

ईसाई धर्म
1. पशु वध करने के लिए नहीं हैं |
2. मैं दया चाहूँगा, बलिदान नहीं |
3. तुम रक्त बहाना छोड़ दो, अपने मुंह में मांस मत डालो |
4. ईश्वर बड़ा दयालु है, उसकी आज्ञा है कि मनुष्य पृथ्वी से उत्पन्न शाक, फल और अन्न से अपना जीवन निर्वाह करे |
5. हे मांसाहारी! जब तू अपने हाथ फैलायेगा, तब मैं अपनी आँखे बन्द कर लूंगा | तेरी प्रार्थानाएँ नहीं सुनूंगा; क्योंकि तेरे हाथ खून से सने हुए हैं | - ईसा मसीह

इस्लाम धर्म
1. हजरत रसूल अल्लाह सलल्लाह अलैह व वसल्लम ताकीदन फरमाते हैं कि जानदार को जीने व दुनिया में रहने का बराबर व पूरा हक है | ऐसा कोई आदमी नहीं है जो एक गौरैयां से छोटे कीड़े की भी जान लेता है | खुदा उससे इसका हिसाब लेगा और वह इन्सान जो एक नन्हीं सी चिड़िया पर भी रहम करता है, उसकी जान बचाता है, अल्लाह कयामत के दिन उस पर रहम करेगा |
2. कोई भी चलने वाली चीज या जानदार, अल्लाह से बनायी है और सबको खाने को दिया है और यह जमीन उसने जानदारों (प्राणियों) के लिए बनायी है |
3. आदमी अपनी गिजा (खाने) की तरफ देखे कि कैसे हमने बारिश को जमीन पर भेजा, जिससे तरह-तरह के अनाज, अंगुर, फल-फूल, हरियाली व घास उगती है | ये सब खाने किसके लिए दिये गये है - तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के लिए |
4. क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह उन सबको प्यार करता है, जो जन्नत में है, जमीन पर है- चांद, सूरज, सितारे,पहाड़, पेड़, जानवर और बहुत से आदमियों को |
5. खुदा से डरो | कुदरत को बर्बाद मत करो | अल्लाह हर गुनाह को देखता है, इसलिए दोखज और सजा बनी है |
- जानवरों के लिए इस्लामी नजरिया, मौलाना, अहमद मसारी |

बौद्ध धर्म
1. जीवों को बचाने में धर्म और मारने में अर्धम है | मांस म्लेच्छों का भोजन है | -भगवत बुद्ध
2. मांस खाने से कोढ़ जैसे अनेक भयंकर रोग फूट पड़ते है, शरीर में खतरनाक कीड़े पड़ जाते हैं, अतः मांसाहार का त्याग करें | -लंकावतार सूत्र
3. सारे प्राणी मरने से डरते है, सब मृत्यु से भयभीत है | उन्हें अपने समान समझो अतः न उन्हें कष्ट दो और न उनके प्राण लो | - भगवान बुद्ध

पारसी धर्म
जो दुष्ट मनुष्य पशुओं, भेड़ो अन्य चौपायों की अनीतिपूर्ण हत्या करता है, उसके अंगोपांग तोड़कर छिन्न-भिन्न किये जाएँगे | -जैन्द अवेस्ता

सिक्ख धर्म
1. जो व्यक्ति मांस, मछली और शराब का सेवन करते हैं, उसके धर्म, कर्म, जप, तप, सब नष्ट हो जाते हैं |
2. क्यूं किसी को मारना जब उसे जिन्दा नहीं कर सकते?
3. जे रत लागे कापड़े, जामा होई पलीत | ते रत पीवे मानुषा, तिन क्यूं निर्मल चीत || (जिस खून के लगने से वस्त्र-परिधान अपवित्र हो जाते हैं, उसी रक्त को मनुष्य पीता है | फिर उसका मन निर्मल कैसे हो/ रह सकता है? - गुरुनानक साहब

यहुदी धर्म
पृथ्वी के हर पशु को और उड़ने वाले पक्षी को तथा उस हर प्राणी को जो धरती पर रेंगता है, जिसमें जीवन है, उन सबके लिए मैंने मांस की जगह हरी पत्ती दी है | जब तुम प्रार्थना करते हो, तो मैं उसे नहीं सुनता यदि तुम्हारे हाथ खून से रंगे हैं |


अब अनूप मंडल इन सारे धर्म गरन्थो को भी झुठला सकता है क्या , या इन सभी प्राचीन और पौराणिक पुस्तकों को भी जैन वंश ने बदल कर लिखवा दिया है ?सिर्फ़ बोलो मत अनूप उस को सिद्ध भी करो , पर किसी कातिल की किताब से नही

अनूप मंडल , अभिषेक मिश्रा , , सतीश कुंदन ,पूर्णिमा बर्मन, जैश्री वर्मा ,को भी जवाब दे दो

दोस्तों अनूप मंडल अब खिसिया रहा है ,

जो भी उन से कोई सवाल करता है उसे या तो बच्चा कह देते है ,

या चुप चाप रहने की धमकी देते है

या वहा से कुन्नी ही काट लेते है ,जैसे अरविन्द की बातो का कोई जवाब नही दिया ,

मै वो सारे कमेन्ट लिंक के साथ दे रहा हु /

कहा है इन सारी बातो का जवाब ?

या सिर्फ़ अनूप बण्डल को सिर्फ़ बोलना आता है की हजार बार झूठ बोलो

तो हिटलर ने कहा है की वो सच जैसा लगने लगता है ,

या जैसा की अभी अभी इन्होने पोस्ट किया है

पूर्णिमा वर्मन जी चूंकि सत्य से अपरिचित हैं जो ये मानती हैं कि हम अनूप मंडल वाले अमेरिका पर लादेन द्वारा कराये गए हमले के लिये भी जैनों को दोषी ठहराएंगे तो जरा इस हमले की हकीकत हमारे एक खोजी पत्रकार भाई श्री प्रवीण जाखड़ के ब्लाग की पोस्ट पर श्रंखलाबद्ध लेख पढ़ें http://praveenjakhar.blogspot.com/2009/06/911.html फिर उसके बाद यदि सत्य स्वीकारने का साहस है तो अवश्य चर्चा करें वरना शान्ति से हमारे प्रयास को सहयोग करें यदि सहयोग न कर सकें तो तटस्थ रह /

बड़ी ही शातिराना अंदाज मे अनूप बण्डल पूर्णिमा जी को धमका रहा है की आप भोली है ,

नादाँ है , अपना भोला पण ,नादानी हमारे भाई परवीन से दूर करवा लो और चुप बैठ जाओ or शान्ति से हमारे प्रयास को सहयोग करें

यदि सहयोग न कर सके तो तठस्त रहे

/ मतलब अब भड़ास लगता है अनूप मंडल का बंधुआ हो गया है जो कोई अपने मन की बात भी यहाँ नही कह सकता / उसे या तो अनूप की बातो से सहमत होना ही पड़ेगा या चुप रहना पड़ेगा


अब वो कमेन्ट जिस मे अरविन्द =ने सवाल किए पर उस का कोई जवाब नही आया / पुरा विवरण पढने के लिए कही भी क्लिक्क कर के आप पोरी प्पोस्त पढ़ सकते है , ये बात मै इस लिए लिख रहा हु की अनूप फ़िर से सब को पागल न बना पाए की पोस्ट कुछ और है और कमेन्ट कुछ और

अनोप मण्डल के सत्य की फाइलो के बण्डलो में जो भी जिनवंश फस गया वह तडफ तडफ कर मरता है--- जवाब चौथा




4 comments:

anop, June 22, 2009 8:54 AM

बालक अभी पके नहीं हो तुम एकदम कच्चे हो इसलिये ऐसी बात कर रहे हो। तुम शब्दकोशों के प्रमाण की बात करते हो अभी तो भड़ास पर ये शुरूआत की शुरूआत है इतने प्रमाण डेढ़ सौ सालों की लड़ाई में जुटा लिये हैं कि तुम उन्हें देखते- समझते बुढ़ा जाओगे। धीरज रखो बच्चे!हम खूब जानते हैं कि हमने जो लड़ाई शुरू करी है अगर बिना सबूत,साक्ष्य प्रमाण के करी तो हमें भी कानून का डंडा घुसा दिया जाएगा तो जो बिना सबूत के अगर हम लिखेंगे तो सबसे पहले तो मानहानि का दावा बनता है हम पर ठोक देना चाहिए। और जो बस कोरी बकवास करी तो चार दिन बाद खुद ही अपनी हंसी करा कर इज्जत की भद्द करा लेंगे, है न सत्य? जो बात करी जाएगी उसका हवाला देकर लिखा जाएगा आपका दोष नहीं है इनके षडयंत्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि आप जैसे मासूम लोगों का भ्रमित हो जाना स्वाभाविक है। प्रतीक्षा करिये जरा सी.....
जय जय भड़ास
जय नकलंक

ARVI'nd, June 22, 2009 11:00 AM

तुम्हारी बातो से लगता है की एक दम ही बेशरम आदमी हो जो किसी धर्म को ,या परसिद्ध आदमी को गाली दे कर अपना नाम करना चाहते हो , जैसे मायावती अपना वोट बैंक बचाने के लिए रास्त्र पिता को बुरा भला कह रही है , उसी तरह तुम भी बिना सर पैर की बात कर के जैन धर्म की बुराई कर रहे हो जबकि तुम्हारे पास कोई सबूत नहीं है , मैंने जानना चाह तो मै बच्चा हो गया , जिसे समझने मे बुढापा आ जायेगा / तुम लोग ढोगी हो जो सब लोगो का बेव्खुफ़ बना रहे हो / जो बोले वो तुम्हारे लिए दुश्मन है , raksah है ,महावीर सेमलानी को तुम अमित का हिमायती बताते हो , तुम भी तो बताओ की तुम लोगो का क्या काम धंधा है , क्या करते हो , क्यों तुम्हारे phiswade मे किसी दुसरे का काम देख कर आग लगती है , तुम ने कोण सा देश आजाद कराया है , किसी हत्यारे की तथाखाथित किताब को दिखा कर क्या साबित करना चाहते हो ?

यहां लिख कर पोस्ट copy-paste करें

हिन्दी On-Screen Keyboard

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,या उम को भोला भला बता कर झासा देने की बात करते रहो , पर सही बात का जवाब कभी नही दे पाए , मुझ पर आरोप है जी मे भड़ास के मोद्रेतोर्स को भी चुटिया बना रहा हु , जवाब मे मई २० जून की पोस्ट को पुरा कॉपी कर के अभी अभी पोस्ट कर चुका हु , अब तो ये बात बिल्कुल साफ़ हो गई है की अनूप मंडल कुछ लालूओ के ग्रुप का नाम है अरे अगर उमहरी बात मे दम है तो उसे सिद्ध करो न की कुते की तरह भोकते रहो , तुम्हारे बंडल मे मतलब फिलो मे अब तक किस जैनी की जान ली है जरा उस का नाम बताओ , फ़िर देखते है कितना गरूर है तुम्हे अपनी इस लाइन पर की तुम्हारी फिलो के ढेर मे जो जिन वंश फाश गया वो तड़प तड़प कर मरता है , अब इन कॉमेंट्स का जवाब भी दे दो अनूप या चुप रह कर फ़िर कोई नया ढोंग करोगे



श्री अनूप मंडल द्वारा उठाये गए सवाल काफ़ी हद तक सही है । भाषा यदि सही कर दी जाए तो यह महत्वपूर्ण आलेख है । हम इस सन्दर्भ में कुछ लोगो के पास गए और अनूप मंडल द्वारा उठाई गई बातो को उनके सामने रखा, उसकी पुष्टि हुई । इस लिए अनूप मंडल बधाई के पात्र है । कोई भी धर्म अपने मानने वालो से नकली दवाएं बेचने के लिए ,मिलावट करने के लिए निर्दोष लोगो की जान लेने के लिए नही कहता है । लेकिन अब यह देखने में आ रहा है की धर्म के अगुवाई करने वाले लोग अपने समर्थको से नही कहते है की इमानदारी से जीवन यापन करो , नौकरी कर रहे हो तो घूस मत खाओ, शिक्षक हो तो शिक्षा माफिया मत बनो, वकील हो तो दलाली मत करो । honesty is the best policy यही जीवन का मूल मन्त्र अगर बन जाए तो काफ़ी कुछ समस्यायें हल हो सकती है लेकिन परउपदेश कुशल बहुतेरो का जमाना है ।
अनूप मंडल को पुनः नमस्कार ।

10 comments:

anop, June 24, 2009 8:06 AM

सुमन साहब बड़ा ही सुखद आशचर्य है कि आप खुल कर सामने आ रहे हैं क्योंकि आप जान पाए होंगे कि अब तक हमारी बातों को किस कदर मीडिया ने दबाकर रख दिया था। रही बात भाषा की तो बोली-भाषा में तो हमें गंवार अनपढ़ और तोतला हकला मान लीजिये लेकिन मूल भाव पर ध्यान दें तो आपको समस्या की जड़ दिखाई देने लगेगी। जैन खुद को हिंदू नहीं कहते लेकिन विश्वहिंदू परिषद और बजरंग दल जैसी संस्थाओं में घुसपैठ बराबर बनाए रखते हैं और ऐसा ही अन्य धर्मों को मानने वालों से भी मीठे बने रहते हैं लेकिन उन्हें आपस में लड़ाने का काम भी ये ही करते हैं। हम अनूप मंडल के सब गरीब जन भड़ास परिवार और भड़ास के निर्भीक संचालकों का दिल से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने किसी प्रलोभन में आए बिना हमारी बातों को दुनिया के मंच पर लाया है। अभी तो शुरूआत है बहुत पोलें खोलनी हैं। आपका सहयोग और प्रेम बना रहे।
सादर नमन
जय जय भड़ास
जय नकलंक
जय लोकसंघर्ष

Abhishek Mishra, June 24, 2009 10:58 AM

आप को अनूप मंडल ने कितने मे ख़रीदा है, क्योकि अनूप मंडल पर कोई भी सही टिप्पणी करेगा तो वो बिका हुआ माना जायगा

satish 'kundan', June 24, 2009 11:10 AM

अबे पगला गए हो क्या इन लोगो की उलटी सीधी बातो से

पूर्णिमा वर्मन, June 24, 2009 11:22 AM

पत्रिका का कोई जानकर अनूप मंडल मे भी है क्या ?
मेरे कहने का मतलब की किसी धर्म को बदनाम करने वालो के साथ ये पत्रिका दे बड़ा ही आश्चर्य हो रहा है .
अनूप ने अब तक सिर्फ किसी न किसी रूप मे सभी बुरायीओ के लिए सिर्फ जैन लोगो को ही जिमेदार ठराया है , क्या बाकि सभी धर्म के लोग ढूध के धुले है , मुझे तो लगता है कुछ ही दिनों मे ये पागल लोग अमेरिका पर हुए लादेन के हमले के लिए भी घुमा फिर कर जैन लोगो को ही जिमेदार बना देगे की किसी जैन ने ही पैसे दे कर ये हमला करवाया है

Jayshree Varma, June 24, 2009 11:28 AM

अनोप मंडल के सब गरीब जन, बातो को घुमा फिर क्यों रहे हो , सीधे सीधे बताओ की जैन फेरबदल करवाने में माहिर हैं और शब्दकोशों के शब्दों में हेराफेरी कर देते हैं तो इस बारे में ठोस प्रमाण क्या है ?

अमित जैन (जोक्पीडिया ), June 24, 2009 11:40 AM

डॉ साहब रजनीश भाई का ये कमेंटJune 22, 2009 7:28 am को ----- अनूप मंडल का बन गया बण्डल भाग -३ ---- से पहले वाली पोस्ट मे किये है आप वहा से इस बात की पुस्ती कर सकते है , वासी वो पूरी पोस्ट कमेन्ट के पहले लिखे हुई है

अमित जैन (जोक्पीडिया ), June 24, 2009 11:41 AM

अरे कही का कोमेंट कही लग गया

Suman, June 25, 2009 1:37 AM

sriman ji,
dharm ka arth hai dharan karne yogy agar dharm ki dharmik kitabo mein likha bahut accha accha ho aur aur unke samarthko ka acharan vyavhaar mein yah ho . usko kya kaha jayega .rahi meri baat main anoop mandal ya kisi bhi blogger ko vyaktigat roop se janta hi nahi hoon khareed farokht karna bada asaan hai lekin mandal sahab ki taraf se jo bhi baatein uthai gayi hai uska bhi koi spastikaran nahi diya gaya hai . aur na koi uska spatikaran ho sakta hai dharm bhaavnatamak savaal hai astha ka savaal hai . mai kisi ki bhavna aur astha ko thes nahi pahuchana chahta hoon lekin sri anoop sahab ki kaafi baatein saty hai .nayi jankariyo k liye aur saty k shodhan k liye yah prakriya avashyak hai .

sadar
suman

HEY PRABHU YEH TERA PATH, June 25, 2009 2:13 AM

पूर्णिमा वर्मन जी, Jayshree Varma,जी,Abhishekजी, Mishra,अमित जैन (जोक्पीडिया ), आपकी बातो से सहमत होते हुऐ बता रहा हू कि कुछ लोग बिना कोई ठोस प्रमाण दिऐ जैन धर्म के प्रति रोष बनाऐ हुऐ है। इसका अर्थ यह है कि उनके मन मे द्वैश जन्म से भरा गया है इतिहास के नगण्य जानकार है ।

अनुपमडल नाम का सगठन का इतिहास कोई लम्बा नही है करीब २०-२५ वर्षो से राजस्थान के सुमेरपुर एवम सिरोही जिले से शुरु हुआ यह मण्डल धिरे धिरे जोधपुर एवम कुछ सदस्य मुम्बई मे है। कई वर्षो से जैन धर्म का विरोध करते आऐ है। यह किस इतिहास कि बाते करते है ? उनका क्या इतिहास है ? जैन को यह राक्षक्ष बता रहे है ? सर्व कराऐ देश भर मे कि राक्षस कोन है ? पता चलेगा। मनगढत इतिहास रचने से कोई इतिहासिक नही होता है। पहले स्कुल जाकर अध्यन करे ।

दीनबन्धु, June 25, 2009 7:15 AM

अरे मुनिवर महावीर सेमलानी पधारे.... मन में जन्म से द्वेष कैसे भरा है क्या ये जन्म के समय अनूप मंडल के लोगों का ETG निकलवाते हैं जिससे इन्हें पता चल जाता है। सत्य की प्राचीनता और नवीनता के ऐतिहासिक तराजू में नापतौल करने आए हैं मुनिवर अपनी ब्लाग गैजेट्स की दुकान छोड़ कर। अरे कपट मुनि!अब तक आप उस मुद्दे पर क्यों चूं नहीं करे जहां से ये बात शुरू हुई थी,डा.रूपेश ने दो तस्वीरें एक सवाल के साथ डाली थी जो कि सवाल मुनेन्द्र सोनी भाई का था शायद। उस पर एक भी शब्द बोलने की बजाए दुनिया भर का प्रपंच कर रहा है और बता रहा है कि हमारा इतिहास पुराना है इसलिये हम अच्छे हैं तो मुनि महाराज तुमसे ज्यादा अच्छे तो डायनासोर थे उनका इतिहास तुमसे ज्यादा पुराना था और सांप भी तुमसे ज्यादा पुराने हैं। स्कूलों और धर्म की पुस्तकों में तो तुम लोगों ने अपनी कपटलीला छिपा रखी है। अब तुम्हारी बखिया उधेड़ी जा रही है तो अनूप मंडल का इतिहास बताने आ गये। अब राजस्थान से मुंबई होते हुए ये सच के गरीब रखवाले पूरे संसार में फैलेंगे और तुम जैसों की फटेगी। तुम पाखंडी हो पहले डा.साहब की पोस्ट का उत्तर दो बाद में नाटक करो
जय जय भड़ास

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अनूप मंडल सब लोगो को बव्खुफ़ मत बनाओ पुरी पोस्ट फ़िर पढ़ लो

अनूप मंडल सब लोगो को बव्खुफ़ मत बनाओ पुरी पोस्ट फ़िर पढ़ लो



Saturday, June 20, 2009

भाई दीनबंधु आप का लिखी हुई पोस्ट अभी अभी पढ़ी ,

भाई दीनबंधु ,
आप का लिखी हुई पोस्ट अभी अभी पढ़ी ,
दोस्त मैंने तो सिर्फ़ अपनी तीन पोस्ट मे से सिर्फ़ ३ लाइन मे ही संयम खोया है ,
क्या करू मानव जीवन मे कही बार कुछ भावुक पल भी आ ही जाते है ,
परन्तु मित्र उन पलो मे भी मैंने किसी भी रूप मे जातिसूचक सब्द ( चमार ) का पर्योग नही किया है ,
रहे बातपुस्तैनी काम की तो वो तो किसी भी काम मे हो सकता है ,
"शठे शाठ्यम समाचरेत" पर यदि मेरा विश्वाश होता तो मै कभी भी इस मंच पर अनूप मंडल को भाई का सम्भोधन नही देता ,
जबकि वो मुझे
राक्षसी प्रव्रत्ति का सिद्ध करने मे लगे है /
मै अपनी सीमा को जनता हु जनाब इसलिए धर्म पर आधारित सवालो का जवाब भी वही तक ही दे रहा हु/

मैंने कल अपनी पोस्ट

मंडल का बन क्या बण्डल भाग -२

सिर्फ़ ये बताने के लिखी थी
की यदि मे अनूप मंडल से उन की ही भाषा मे बात करू
तो वो इस का क्या जवाब देगे

आप की बातो से लगता है लोकतंत्र सिर्फ़ मेरे लिए ही आया है ,
मेरे पोस्ट मे लिखा था

संत पर कीचड़ उछालना तो आप जैसो का परम कर्तव्य है महात्मा को गाली दे सकते हो ये बात ही तुम्हरी जाती बता सकती है , समझ जाओ ,और जा कर अपना पुस्तैनी काम करो

इस मे आप ने अपने विषय मे कहा से ढूढ़ लिया


अनूप मंडल आप ने अब तक

आत्मन अनूप मंडल से करबद्ध निवेदन है कि अमित जी ने आपके समक्ष जो बातें रखी हैं उन्हें व्यवहारिक तरीके से यदि सामने लायी जाएं तो ये एक अत्युत्तम विकल्प है। आप इस बात का स्पष्टीकरण अवश्य करें कि आपने जिन शब्दों के आपत्तिजनक अर्थ बताए हैं उनका आधार कौन सा शब्दकोश है और किसने लिखा व कहां से प्रकाशित हुआ है। यदि आपके अनुसार जैन फेरबदल करवाने में माहिर हैं और शब्दकोशों के शब्दों में हेराफेरी कर देते हैं तो इस बारे में ठोस प्रमाण भड़ास के मंच पर लाइये ताकि आपकी बात की पुष्टि हो सके। भाषा व उसके व्याकरण में उलझ कर मुख्य मुद्दा जिसमें कहा गया था कि जैन राक्षस होते हैं वो तो कहीं गुम होता प्रतीत हो रहा है। मेहरबानी करके सभी बातों को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत करें।

सनूप मंडल आप ने मुनांदर सोनी जी , और मेरी बात का जवाब नही दिया है / किर्पया बाद की बात बाद मे करेगे / पहले सिर्फ़ इस बात का ही जवाब दे / फ़िर आप

मंडल का बण्डल भी बन सकता है


मंडल का बन क्या बण्डल भाग -2

मंडल अब देख कैसे बजता है तेरा बण्डल भाग -१

का जवाब देने की तयारी करे / फ़िर और भी सवाल आप की पोस्ट से आ रहे है , उन को बताये / फ़िर कोई नई बात करे

2 comments:

दीनबन्धु, June 20, 2009 12:29 PM

मेहरबानी करें अनूप मंडल के भाई-बंधु कि अगली पोस्ट में जरा इन बातों को साफ़ कर दें जो अमित भाई के सवाल हैं या जो मुनेन्द्र भाई ने कहा है। यदि आप अपनी बातों को बिना प्रमाण के रखेंगे तो सब हवाहवाई हो कर रह जाएगा। जरा ठोस बात रखें
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha), June 22, 2009 7:28 AM

बात तो सही है,
केवल बकार्चुदई करने से काम नहीं चलने वाला है,
तथ्यों के साथ पुष्ट बातें रखें,
जय जय भड़ास

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जैन राक्षसों ने भड़ास पर भी पुरानी चाल अपनाना शुरू कर दी है भ्रमित न हों....

अमित की इस पोस्ट में भाई रजनीश झा की एक टिप्पणी चिपकाई गयी है जिस पर डा।रूपेश श्रीवास्तव ने कमेंट करके जानना चाहा कि भाई रजनीश ने ये कमेंट कब और किस प्रसंग में दिया है। देखिये खुल गई इनकी पोल कि ये भड़ा़स के माडरेटर्स को भी चूतिया बनाना चाहते हैं शब्दों में उलझा कर।
अब जब पोल खुल गयी डा. साहब के सामने तो गोबर की लीपापोती कर रहा है ये पट्ठा
अरे अमित!ये जो कमेंट के विषय में बात लिख रहे हो कि कहीं का कमेंट कहीं लग गया है तुम जिन,भूत,पिशाच,राक्षसों के भक्त मिल कर ये झांसा किसी भी मासूम और तुम्हारी राक्षसी साजिशों से अन्जान अभिषेक मिश्रा,पूर्णिमा वर्मन,सतीश कुंदन या जयश्री वर्मा को दे सकते हो हमें तो हरगिज नहीं। यही तो तुम्हारी वो साजिश है जिसका हम पर्दाफाश कर रहे है तुम राक्षसों ने अपने छापेखानों में हिंदुओं के धर्मग्रन्थों में ऐसे ही थोड़े-थोड़े बदलाव हर पांच दस साल में करते करते आज ये स्थिति ला दी है कि पच्चीसों रामायण हैं सब अलग-अलग बातें कहती हैं और एक सामान्य भक्त यही सोचता भ्रमित होता रहता है कि वो तो मूरख है और ये ग्रन्थ तो विद्वानों के लिखे हैं तो शायद यही सत्य होगा लेकिन बेचारा नहीं जानता कि ये कितनी बड़ी साजिश है। जो भी लोग इस बात का प्रमाण चाहते थे कि ये जैन राक्षस शब्दों में हेराफेरी करते हैं वो अक्ल के अंधे देख सकते हैं कि ये कुटिल राक्षस भड़ास पर भी ये काम करने में जुटा है ताकि भ्रम पैदा कर सके और इसका सरपरस्त वो पाखंडी महावीर सेमलानी अब सामने न आएगा इस बात के स्पष्टीकरण के लिये। पूर्णिमा वर्मन जी चूंकि सत्य से अपरिचित हैं जो ये मानती हैं कि हम अनूप मंडल वाले अमेरिका पर लादेन द्वारा कराये गए हमले के लिये भी जैनों को दोषी ठहराएंगे तो जरा इस हमले की हकीकत हमारे एक खोजी पत्रकार भाई श्री प्रवीण जाखड़ के ब्लाग की पोस्ट पर श्रंखलाबद्ध लेख पढ़ें http://praveenjakhar.blogspot.com/2009/06/911.html फिर उसके बाद यदि सत्य स्वीकारने का साहस है तो अवश्य चर्चा करें वरना शान्ति से हमारे प्रयास को सहयोग करें यदि सहयोग न कर सकें तो तटस्थ रहें और ध्यान रखिए कि भाई प्रवीण जाखड का अनूप मंडल से अब तक कोई संबंध नहीं है। लोक संघर्ष के भाई सुमन जी ने जो भी लिखा है क्या आप सबको लगता है कि वह किसी स्वार्थ,लालच या दबाव में लिखवाया गया है? अरे मेरे मासूम भाई-बहनों ! सुमन जी कोई बच्चे नहीं है कि उन्हें हमने लालीपाप या चाकलेट देकर बहका लिया है। भाई सुमन जी ने जो लिखा है पूरे विवेक से लिखा है। अनूप मंडल सत्य स्वीकारने और सत्य के साथ खड़े होने के इस साहस के लिये भाई सुमन जी को सादर नमन करता है। जिस राक्षसी कुकर्म का हम खुलासा कर रहे हैं वो दो चार दिन का नहीं है हजारों सालों से दैत्य,दानव,राक्षसों द्वारा बड़े ही छिपे तरीके से करा जा रहा है इसलिये आप लोग अधीर न हों हर चाल खोली जाएगी इन दुष्टों की फिर देखना आप ही इन्हें जूते मारेंगे जब आप इनकी अहिंसा के ढकोसले को जान जाएंगे।
जय जय भड़ास
जय लोकसंघर्ष
जय नकलंक

लो क सं घ र्ष !: अब चेतन सी लहराए...


शशि मुख लहराती लट भी,
कुछ ऐसा दृश्य दिखाए।
माद्क सुगन्धि भर रजनी,
अब चेतन सी लहराए॥

मन को उव्देलित करता,
तेरे माथे का चन्दन।
तिल-तिल जलना बतलाता
तेरे अधरों का कम्पन ॥

पूनम चंदा मुख मंडल,
अम्बर गंगा सी चुनर।
विद्रुम अधरों पर अलकें,
रजनी में चपला चादर॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

लो क सं घ र्ष !: राष्ट्रिय हितों के सौदागर है ये निक्कर वाले....तो यह हाल तलवार भाजने वाले लौहपुरुष और योद्धाओ का है ।


क्या कांग्रेस फैसले में शामिल थी? देखो ,ख़ुद अडवानी ने 24 मार्च 2008 को शेखर गुप्ता को दिए गए इन्टरव्यू में क्या कहा था। अडवानी , "मुझे ठीक तरह से याद नही है की सर्वदलीय बैठक में कौन-कौन था। लेकिन मोटे तौर पर सरकार को सलाह दी गई थी की संकट ख़त्म करने के लिए सरकार फ़ैसला करे। यह भी कहा गया था की यात्रियों की रिहाई को सबसे ज्यादा तरजीह दी जानी चाहिए। " इस पर शेखर ने पुछा ,"क्या कांग्रेस ने भी ऐसा कहा था?" अडवानी का जवाब था, "मुझे वह याद नही, लेकिन आमतौर से यह बात कही गई थी।" अडवानी के इस साफ़ बयान से कांग्रेस को संदेह का लाभ मिलता है । कांग्रेस प्रवक्ताओ के इस सवाल में बड़ा दम है और आखिर अडवानी किस तरह के "लौहपुरुष " है की उन्हें बहुत ही संवेदनशील फैसलों से दूर रखा गया और क्या प्रधानमन्त्री वाज़पेई उन पर भरोषा नही करते थे ? अगर अडवानी इतना ही अप्रसन्न थे तो पद त्याग करने का सहाश क्यों नही कर पाये । लाल बहादुर शास्त्री ने एक रेल दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे दिया था । विश्वनाथ प्रताप सिंह ने डाकुवो के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था । जवाहरलाल नेहरू ने पुरुषोत्तम दास टंडन और डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जैसे नेताओं से नीतिगत विवादो पर इस्तीफे की पेशकश कर डाली थी। यहाँ तो अभूतपूर्व राष्ट्रिय सुरक्षा और स्वाभिमान का संकट था।

ख़ुद अडवानी की किताब "मई कंट्री मई लाइफ" से निष्कर्ष निकलता है की वह और उनके सहयोगी सकते में आ गए थे, जो कुछ हुआ वह राजनितिक फैसला था और प्रशासकीय सलाहकारों से जरूरी मशविरा नही किया गया। अडवानी लिखते है (पेज 623) : "विमान यात्रियों को छुडाने के लिए एक विकल्प सरकार के पास यह था की विमान से कमांङो और सैनिक कंधार भेज दिए जाएँ । लेकिन हमें सूचना मिली की तालिबान अधिकारियो ने इस्लामाबाद के निर्देश पर हवाई अड्डे को तनको से घेर लिया है। हमारे कमांडर विमान के अन्दर अपर्ताओ को निहता कर सकते थे। लेकिन विमान के बहार तालिबानी सैनिको से साशस्त्र संघर्ष होता और जिनकी जान बचाने के लिए यह सब किया जाता,वे खतरे में पड़ जाते ।" (अडवानी के इस कदम का पोस्त्मर्तम करें । किस सुरक्षा विशेषज्ञ ने सलाह दी थी की कंधार में कमांडो कार्यवाही सम्भव है? अगर तालिबान टंक न लगाते टू क्या कमांडो कार्यवाही हो जाती? कमांडर!(please do not change it to commando. advaani has issued the term commandor) विमान के अन्दर अपर्ताहो को निहत्था करने के लिए पहुँचते कैसे? कंधार तक जाते किस रास्ते ?पकिस्तान अपने वायु मार्ग के इस्तेमाल की इजाजत देता नही । मध्य एशिया के रास्ते आज तो कंधार पहुचना सम्भव है । तब यह सम्भव नही था। कल्पना करें की कंधार तक हमारे कमांडो सुगमतापूर्वक पहुँच भी जाते ,तब वे किसे रिहा कराते ? क्योंकि इस बीच आइ .एस.आइ यात्रियों और अपर्थाओ को कहीं और पहुंचवा देती ।
१९६२ में चीन के हाथो हार के बाद कंधार दूसरा मौका था जब भारत की नाक कटी । उस त्रासद नाटक के मुख्य पात्र अडवानी इस घटना के बारे में कितना गंभीर है है इसका अंदाजा यूँ लगाइए की घटना के कई साल बाद किताब लिखी और उसमें पूरे मामले का सरलीकरण कर दिया। पर तो परदा पड़ा ही हुआ है । नाटक के एक बड़े पात्र जसवंत सिंह ने अपनी किताब "A call to owner: in service of imergent India" में कोई खुलाशा नही किया । बल्कि बड़े गर्व से कह रहे है की भविष्य में कंधार जैसा फिर कोई हादसा हुआ तो वह वाही करेंगे, जो पिछली बार किया था । तो यह हाल तलवार भाजने वाले लौहपुरुष और योद्धाओ का है ।

सी॰टी॰बी॰टी : परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने वाली इस संधि पर बीजेपी के रुख की कहानी बहुत दिलचस्प है। कांग्रेस सरकारों ने बम बनाये। लेकिन पोखरण -२ के जरिये बीजेपी ने अपने महान राष्ट्रवाद का परिचय देने की कोशिश की। मनमोहन सिंह की सरकार जब अमेरिका से परमाणु समझौता कर रही थी,तब बीजेपी के विरोध की सबसे बड़ी वजह यह थी की भारत परमाणु विश्फोतो के अधिकार से वंचित हो जाएगा। सच यह है की भारत को निहता करने में वाजपेई सरकार ने कोई कसार नही छोडी थी और इस त्रासद की कहानी के खलनायक थे विदेशमंत्री जसवंत सिंह।
एन डी ए शाशन के दौरान अमेरिका में विदेशी उपमंत्री स्ट्राब टैलबॉट ने अपनी किताब "एनगेजिंग इंडिया :डिप्लोमेसी ,डेमोक्रेसी एंड द बोम्ब " में वाजपेयी सरकार की कायरता पूर्ण और धोखेबाज हरकतों का खुलासा किया है। टैलबॉट ने पेज १२१ पर लिखा है, "जसवंत क्लिंटन के नाम वाजपेयी का पत्र लेकर वाशिंगटन पहुंचे , जो उन्होंने मेरे कक्ष में मुझे दिखाया । इस पर नजर डालते हुए सबसे महत्वपूर्ण वाक्य पर मेरी निगाह रुकी । यह था, "भारत सितम्बर 1999 तक सी॰टी॰बी॰टी पर स्वीकृति का निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण वार्ताकारों से रचनात्मक वार्ता करता रहेगा।" बाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारी सैंङी बर्गर से बातचीत के दौरान जसवंत ने कहा की वाजपेयी सी॰टी॰बी॰टी पर हस्ताक्षर करने का अन्पलत निर्णय कर चुके है । यह बस वक्त की बात है की इस निर्णय को कब और कैसे सार्वजानिक किया जाए। "

पेज 208 पर टैलबॉट बताते है की सरकार से उनके हटने के पहले जसवंत से आखिरी मुलाकात में एन डी ए सरकार के इस वरिष्ठ मंत्री ने सी॰टी॰बी॰टीपर दस्तखत का वादा पूरा न करने पर किस तरह माफ़ी मांगी। "जसवंत ने मुझसे अकेले मुलाकात का अनुरोध किया,जिसमें सी॰टी॰बी॰टी पर संदेश देना था। जसवंत ने वादा पूरा न करने पर माफ़ी मांगी। मैंने कहा की मालूम है कि आपने कोशिश की, मगर परिस्तिथियों ने साथ नही दिया। "

तो यह है संघ परिवार के सूर्माओ का असली चरित्र । कश्मीर,कंधार और सी॰टी॰बी॰टी पर अपने काले कारनामो का उन्हें पश्चाताप नही है। यह सब सुविचारित नीतियों का स्वाभाविक परिणाम है। इन तीन घटनाओ से यह नतीजा भी निकलता है कि बीजेपी को अगर कभी पूर्ण बहुमत मिला तो हम जिसे भारत राष्ट्र के रूप में जानते है, उसे चिन्न-भिन्न कर डालेगी ।

प्रदीप कुमार
मोबाइल :09810994447