बिल्ली की छींक से छीका टूटा
अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम् ।उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम॥
-हितोपदेश/पंचतंत्र
यह अपना है,यह पराया-ऐसा विचार छोटे ह्रदय वाले लोग करते है।
उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए समस्त संसार ही एक परिवार है ।
---------------------संस्कृत लोकोक्ति कोश
संपादक-डॉक्टर शशि तिवारी
संस्करण -१९९६
प्रकाशन विभाग -सूचना और प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार
यह श्लोक पंचतंत्र और हितोपदेश से है न की मनुस्मृति से
-सुमन
-loksangharsha
जब ये बिल्ली की छींक की बात मुहावरे में ढल रही होगी तब से अब तक बिल्लियों के लिये जुकाम की कोई सही दवा ईजाद नही हुई क्योंकि बिल्लियां अभी भी छींकती हैं और कई बार मैंने छीके टूटते पाए हैं:)
ReplyDeleteजय जय भड़ास