बर्खास्तगी पर प्रतिक्रया. ( अतीत के पन्ने से.....)

कल का दिन कुछ तकलीफदेह था, दो की भड़ास सदस्यता समाप्त कर दी गयी, पिछले कई दिनों से चल रहे बहस पर आखिरकार भड़ास संचालक मंडल को निर्णय लेना पड़ा। ये निर्णय अपनेआप में तकलीफदेह था क्यूँकी परिवार से किसी का जाना किसी को भी खुशी नही दे सकता।



भड़ास यानी की एक विचारधारा, एक आयाम जीवन के प्रति समर्पण और सामाजिक दायित्व के साथ बस भड़ास। शीर्षक के साथ संलग्न "अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा..." का मतलब अपने तरीके से निकालने वाले अपने विचार को भड़ास पर नही थोप सकते, ये सर्वविदित है की भडासी सिर्फ़ उल्टियां ही करते हैं मगर ये वो उलटी है जो जहर नही, किसी ने निगला तो विकृति नही अपितु औषधी और तभी तो महाभडासानन्द ने इस शीर्षक से इसे नवाजा।



भड़ास वो परिवार है जिसने हमेशा स्वधर्म से ऊपर राष्ट्रधर्म को जगह दी है, भड़ास परिवार इसका साक्षी है, विचारों की क्रांति ने ही भडास को वो मुकम्मल जगह दी है जहाँ हम भारतीय होने के साथ साथ भडासी होने पर गर्व करते हैं। ना जात ना पात, ना अमीरी ना गरीबी, धर्म और पाखंड से दूरी देश के लिए विचारों की उगली, लोगों के लिए आगे आने की चाह याह सम्मिलित सहयोग, समाज के उपेक्षितों की आवाज बनने से लेकर उनके हक की लड़ाई तक। ये भडास की आवाज है,



तकलीफ में इसलिए नही था की कौन बाहर गया या कौन शामिल हुआ क्योँकी कारवां कभी रुकता नही लोग आते हैं बिछड़ जाते हैं, कारवां अपने राह पर होता है। मगर लोगों की प्रतिक्रियाओं ने लिखने पर मजबूर कर दिया।



कुछ टिपण्णी पर एक नजर :



केवल हिन्दुओं को गाली देना ही सभ्याचार नहीं है......अगर ऐसे ही चलता रहा तो फ़िर भडास का मुख्य उद्देश्य ही ख़तम हो जाता है :- रजनीश परिहारऔर प्रवीण त्रिवेदी जी इन से सहमत हैं।



भाई, हमारे देश में धर्म के अलावे बहुत से मुद्दे हैं, भोजन, वस्त्र, आवास, बाढ़ तो कहीं सुखाड़ और इन सब जगह तंत्र की असफलता पर हमारी भडास भी है और मुहीम भी, जब पेट भरा हो तभी राम, अल्लाह,जीसस सूझते हैं, भडास का धर्म उद्देश्य ना कभी था और ना कभी होगा। हम सभी धर्मून का सम्मान करते हैं और सभी धर्म के लोग हमारे भडास परिवार में हैं, लोगों की माने तो अपने परिवार के सदस्यों को भी हम आतंकी मन लें ? संग ही आपसे दरख्वास्त की चुकी आप शिक्षक हैं नौनिहाल में ये बीज ना डालें।



नारदमुनि के अनुसार मैं कुछ भी लिखूं कोई बात नही लोग लिखे तो आपत्ति सो गोयल जी भडास का इतिहास की चर्चा को सार्थक मुद्दे तक पहुंचाती है और जरुरत पड़े तो विजय के लिए बिगुल भी बजाती , सभी को स्वतन्त्रता कभी किसी पर थोपना नही गया, और ना ही पाबंदी मगर जिस से भारतीय भावना आहत हूँ उससे भडास आहत हुए बिना नही रह सकता, हम देश में विश्वास रखते हैंऔर भारतीय संविधान और मर्यादा का पुरा ख्याल भी।
भाई जे पी की माने तो क्या भड़ास के लिए हिंदू अछूत हैं।



मित्र गले में अटके को उगलो जो लोगों के लिए विष नही दवा बन जाए इसका नाम भडास हैं, हिंदू हिंदू मुस्लिम मुस्लिम करने वाले जिसदिन मनीषा दीदी को बहन मान लेंगे तो और घर में जगह देंगे ये जज्बा हैं भडासी का । चौपाया लोकतंत्र और इस चारो खम्भे की मजबूती लक्ष्य हैं भडास का, समाज की कुरीतियों पर सिर्फ़ उगलना नही अपितु इसको लेकर समाज से लड़ना और सभी को अधिकार दिलाने का जज्बा हैं भडास का।



सिर्फ़ उगलना नही अपितु इसको लेकर समाज से लड़ना और सभी को अधिकार दिलाने का जज्बा हैं भडास का।
तमाम मित्रगण तात्पर्य सिर्फ़ इतना की भडास सभी धर्म में आस्था रखता हैं मगर देश को इन आस्थाओं से ऊपर जगह देता हैं। आप उगलिए जी भर के उगलिए क्योँकी आपके उगले हुए को समेटने के लिए आपकी सारी उलटीयों को समेटने को हम बैठे हैं मगर वो किसी के लिए दवा बन सके, न की जहर। कारवाँ को हमेशा योद्धाओं की जरुरत रहती हैं। भडास को भी हैं। सो योद्धा बनिए।



जय जय भड़ास

सादर, भवदीय

रजनीश के झा

1 comment:

  1. अग्नि बेटा! पुराने दिनों की यादें अभी भी उतनी ही ताज़ा हैं जब भड़ास अपने पुराने शरीर में था लेकिन उस लालची बनिये ने उसकी हत्या कर दी और भड़ास की आत्मा को हमें दूसरा शिशु शरीर देना पड़ा..
    बहुत सारी यादें है
    जय जय भड़ास

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