समसदवा एम॰ए , पी॰एच॰ङी॰ उहैं करत उ चौकीदारी है ॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
उ उतनै बड़ा आफिसर , वहिका जेतनै भारी पौव्वा है।नाही तौ केतनौ पढ़ा लिखा ,मोची है कउनौ नौव्वा है ॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
दाँतन मा पीड़ा बहुत रहै। हम गउवें देखावै अस्पताल ।मुल हमका का मालूम , इहाँ पर ब्याध बिछाये बैठ जाल॥
डॉक्टर हमका का मालूम बहु ङेरवाइस , सौ रुपया गाँठिस झाड़ लिहिस।
हम दाँत बतावा ऊपर कै, उ नीचे केर उखाड़ दिहिस॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
बाराबंकी से टिकस लिहेउँ , कउनौ विधि रेल पर जइस चढ़ेउँ ।पीछे से याक रेला आवा , हम त्रिशंकु अस लटक गएऊ ॥
उई भीड़ मा कउनौ हमरी औ , केतनेव कै जेबिन काटि दिहिस।
इए तिकाश है फर्जी धमकाइस , टीटिव सौ रुपया गाँठि लिहिस॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
मोहम्मद जमील शास्त्री
शास्त्री भाई ने एकदम झक्कास लिखेला है, भिड़ू लोक अगर अबी इच नईं समझा न तो भौत त्रास होने बाला है बापू.....
ReplyDeleteजय जय भड़ास