मतगणना प्रारम्भ है, रुझान के साथ परिणाम भी सामने आ रहे हैं और खबरिया चैनल ख़बरों की होड़ में प्रतिस्पर्धा के साथ जुटी हुई है, मगर रुझान और परिणाम ने अगर किसी को तमाचा जडा है तो वो मीडिया मात्र है। अन्तिम चरण के मतदान की समाप्ति के बाद ही एग्जिट पोल और और संभावना को लेकर मीडिया ने व्यापक प्रचार प्रसार किए सारी संभावनाओं पर विवेचना कर डाली मगर क्या मीडिया का फोरकास्ट वास्तविकता से सम्बद्ध था ?
ब्लॉग जगत में अनकही भी अपने सहयोगी के साथ सम्भावना को लेकर उपस्थित था और परिणाम के सन्निकट मीडिया को मात देते हुए ब्लाग ने अपनी सार्थकता और उपयोगिता साबित की। तस्वीरों से जाहिर है कि संभावना के करीब कौन पहुँचा .... मीडिया या अनकही ?
अफवाह और स्वयं विवेचना के बजाय मीडिया का गैरजिम्मेदाराना व्याख्या नि:संदेह लोकतंत्र के लिए प्रश्न छोर रहा है।
बाजारवाद में जिस तरह से मीडिया लोकतंत्र का हनन कर अपने अपने ख़बर को बेचने की कवायद में लोगों के विश्वास को बाजार की भेंट चढा रहे हैं चिंतनीय है।
क्या आने वाले दिनों में मीडिया कि इस हड़कत पर लगाम लगेगी जो लोकतंत्र कि स्वस्थ परम्परा को चोटिल करे ?
परिणाम आने वाला है, सरकार भी बनेगी और देश विकाश कि और अग्रसर भी होगा मगर लोकतंत्र में लोक की आवाज मीडिया अपनी जिम्मेदारी को समझ चौथा खम्भा मजबूत होगा या बाजारवाद पर लोग्तंत्र कि जड़ खोदेगा ?
चुनाव सर्वेक्षण साभार : - इंगेजवोटर डट कॉम
रजनीश जी कुछ दिनों पहले आपने अपनी पोस्ट्स में लगातार नीतीश कुमार के विकास कार्यों से असंतोष प्रकट किया था। हो सकता है आपके क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुए हों . पर इस आधार पर आपने अपने चिट्ठे के माध्यम से लोगों को ऍसा संदेश दिया कि नीतीश जी की सारी विकास की बातें सिर्फ हवा हवाई है।
ReplyDeleteमैंने उस वक्त आपके चिट्ठी पर टिप्पणी की थी कि ये आपका मत हो सकता है। बिहार की जनता क्या सोचती है इस विषय में ये १६ को पता चल जाएगा। और आज जब कि ४० में से ३२ सीटें नीतीश के नेतृत्व वाले गठबंधन के हिस्से में गईं हैं आप समझ सकते हैं कि आपके द्वारा चिट्ठे पर प्रकट जी रही भावनाएँ आम बिहारियों की नहीं थी।
मित्र,
ReplyDeleteआपका प्रश्न वाजिब है. जल्द ही नए पोस्ट जिसमे प्रश्न भी और उत्तर मिलेंगे,
आपका आभार आपने विषय पर ध्यान दिया और प्रश्न उठाये.
बढ़िया समीक्षा,
ReplyDeleteबधाई.
बधाई भाई
ReplyDeletegood good good.
ReplyDeleteshivesh