कल मुझे पता चला कि लोगों को भड़ास के दो फाड़ होने की जानकारी ही नहीं है , हिंदी ब्लाग जगत के पाठक व स्वयं ब्लागर्स भी बस अपनी अपनी पेले रहने में ही लगे रहते हैं और रही बात टिप्पणीकारों की तो डा.सुभाष भदौरिया के शब्दों में इन टिप्पणीकारों गिरोह हैं जो अधिकतर जगहों पर एक-दो लाइन लिख कर खुद को अति सक्रिय बताते-जताते रहते हैं ताकि अपना अस्तित्त्व बनाए रख सकें। दुनिया के सबसे बड़े हिंदी ब्लाग होने का दावा करने वाले ब्लाग "भड़ास" से जब यशवंत सिंह की कुटिलताओं को न स्वीकारने के कारण जब डा.रूपेश श्रीवास्तव ने विरोध जताया तो तकनीकी तानाशाही से उन्हें व उनसे सहमत सारे लोगों को हटा दिया गया। कोई चर्चा नहीं करी गयी और न ही किसी ने कुछ चूं-चां करी। डा.रुपेश श्रीवास्तव के बारे में तमाम लोग जानते हैं चाहे वो कभी खुल कर लिख न सकें जैसे कि अनिल रघुराज(हिंदुस्तानी की डायरी नामक ब्लाग वाले), बोधिसत्व(विनय पत्रिका ब्लाग वाले),अभय तिवारी(निर्मल आनंद ब्लाग वाले)........। एक दिन अचानक "भड़ास" का नाम 'भड़ास blog' रखना पड़ा और blog शब्द लगा कर जताना पड़ा कि इसे ब्लाग ही समझो, ऐसा क्यों हुआ? सीधी बात है डा.रूपेश श्रीवास्तव ने "भड़ास" के मूल दर्शन के आधार पर स्वतंत्र ब्लाग बना लिया जिसका यू.आर.एल. कदाचित भिन्न था लेकिन नाम भड़ास ही था लेकिन आगे चल कर ये समस्या भी हल हो गयी अब तो यू.आर.एल. भी वही और अत्यंत छोटा मिल गया ... bhadas.tk ; अब यशवंत सिंह और डा.रूपेश श्रीवास्तव में जो नजदीकियां थी वो मात्र यशवंत सिंह के मुखौटॆ के कारण थीं बनियागिरी का असली चेहरा सामने आते ही विरोध शुरू हो गया और भड़ास को 'भड़ास blog' बनाना पड़ा क्योंकि भड़ास का मालिक तो कोई और ही था और वो हैं हमारे डा.रूपेश श्रीवास्तव। मुझे यकीन है कि अधिकांश भड़ासियों को ये बात पता ही नहीं है।
जय जय भड़ास
jankari hai par thodi late hai,vaise aap bhadas nikal rahe hain ya piche pade hain.
ReplyDeletejai jai bhadas
aise man kaise halka hoga bhai
मयूर जी इन बातों को अगर इतनी सरलता से छोड़ दिया जाए तो फिर आदर्श और आदर्शवादिता के मुखौटों में अंतर कहां रह जाता है इस लिये पीछे पड़ कर इन जैसे धूर्तों का असली चेहरा सामने लाना एक मुहिम है....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
बस उन नये ब्लागरों को पता नही है जो अनजाने में उसे भड़ास समझ कर जुड़ रहे हैं जबकि वह है बनिया की दुकान। पता सबको है लेकिन इस विषय पर लिखने की किसी में हिम्मत नहीं है...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
अपुन को भी मालुम नहीं था
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