बिट्टू उसका नाम है । बारहवीं क्लास में है । मेरा छोटा भाई है । उसकी मैथ काफी अच्छी है । मुझसे तो वह है काफी छोटा लेकिन हमलोग खुलकर बात करते है । मेहनत करने से खासकर पढ़ाई में कभी भी जी नही चुराता है । उसकी यही आदत मुझे काफी पसंद है । क्रिकेट का बड़ा शौकीन है .....बताता है की जब इंडिया २००३ के वर्ल्ड कप में हार गई थी तो काफी रोया था । अब उतनी दीवानगी नही है फ़िर भी काफी आंकडें जानता है । इसी तरह उसे फिल्मों का भी शौक है ....उसने लगभग सारी फिल्म देख ली है । कई बार तो हम लोग कई कलाकारों को नही पहचान पाते है तो उससे मदद लेनी पड़ती है ।
गाँव में उसकी छवि पढाकू किस्म के छात्र की तरह रही है । बहुत बातूनी भी है ...खैर दिल्ली में आने के बाद यह आदत काफी कम हो गई है । मैथ बनाने बैठता है तब उसे दुनिया का ख़याल नही रहता । पढ़ाई में न सही पर दुसरे कामों में काफी भुलक्कड़ किस्म का लड़का है । कोई काम कह देने पर हाँ कर बाद में भूल जाता है ।
आज तो उसने हद ही कर दी कुकर में चावल बैठाया और पानी डालना भूल मैथ लगाने बैठ गया बाद में चावल उतारा तो चावल राख हो चुका था । उम्मीद है की धीरे धीरे इस तरह की आदतें सुधर जायेगी । अभी ऐसा भी हो सकता है की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने की वजह से ये प्रोब्लम हो । कभी कभी एक थिंकर की तरह खोया रहता है । बाद में वापस आता है । ऐसा भी सुनाने में आया है की अपने मित्रों के बिच नेता टाइप की इमेज बना रखीहै ।
जो भी हो अभी उसको आई आई टी की तैयारी करवानी है । शुरुआत कर भी दिया है । उम्मीद है ....आगे जरुर कामयाब होगा ।
चावल बैठाया.......मैथ लगाने बैठ गया.........चावल उतारा ....
ReplyDeleteक्या है ? ये सब ...... घर की बात घर में रखो भाई ....
इतना टाइम नहीं है ये सब पड़ने के लिए . भडास का मंच घर के किस्से सुनाने के लिए नहीं है.
Bhagwan kare wah apne sapno ko sakar kare....meri subhkamnayein sath hain.
ReplyDeleteघर से बाहर निकल कर कभी देश-दुनिया के बारे में भी कुछ सोचा करो..."चावल बैठाया मैथ लगाने बैठ गया" ये अखरता है... हिंदी-भाषी हो तो हिंदी में भी जरा सुधार करो...
ReplyDelete@RAJIV MAHESHWARI
ReplyDeleteबेटा ढक्कन पाखंडी तुम वही हो न जिसकी तारीफ़ में एक पोस्ट हाल ही में लिखी गयी थी, भड़ास का मंच तुम्हारे जैसे धूर्त और मुखौटाधारी शराफ़त का ढोंग करके समाज में भोले बने रहने वालों के लिये भी नहीं है।
बिट्टू के साथ मेरी शुभकामनाएं हैं एक दिन वो जरूर सपनों पर पूरा उतरेगा।
छिछोरे पर मेरी नई पोस्ट पर नजर डालिये
जय जय भड़ास
मार्कण्डेय भाई बिट्टू जैसे बहुत सारे बच्चे हमारे बीच हैं जिन्हें सही तरीके से दिशा देने वाले गुरू और उनके मन को समझ पाने वाले बड़ॊ की आवश्यकता होती है लेकिन इनके अभाव में वे बिखर जाते हैं। बिट्टू के लिये हार्दिक शुभेच्छाएं।
ReplyDelete@प्रदीप जी,हिंदी के बहुत सारे क्षेत्रीय रंग हैं उनमें से बुंदेलखंडी और बघेलखंडी तो मैं ही कभी-कभी लिखता हूं कभी अवधी और कभी बम्बईया.... आप स्थानीय बोली के प्रभाव को नकारिये मत और न ही हिंदी पर स्थानीय शैली की सुंदरता से गुरेज़ करिये इससे तो भाषा की सुग्राह्यता का पता चलता है। हिंदी भाषा में स्थानीय प्रभाव की प्रचुरता ही उसे अधिकाधिक स्वीकार्य बनाती है।
जय जय भड़ास
aap sabako ...comment ke liye dhanyabad...
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