आज शिक्षा की हालत किसी से छिपी नही है । आजादी के इतने सालों बाद भी लगभग ३५ फीसदी जनसँख्या पढ़ना लिखना नही जानती है । पुरे भारत में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार न होना एक बहुत बड़ी चुनौती है । हम और आप मिलकर कुछ प्रयास कर सकते है । इसी क्रम में मै शिक्षा पर आधारित एक कड़ी की शुरुआत कर रहा हूँ । उम्मीद है आप सबका साथ जरुर मिलेगा ।
आइये कुछ जानते और करते है .....
१९७६ में शिक्षा को समवर्ती सूचि में डाला गया था । इसके साथ ही शिक्षा के प्रसार में काफी प्रगति हुई । लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है । १९४७ में केवल १४ फीसदी लोग ही साक्षर थे जबकि २००१ की जनगणना के अनुसार ६५ फीसदी लोग साक्षर है । आकडे से लगता है की हमने काफी कुछ किया है , पर दुसरे बड़े देशों से तुलना करनेपर पाते है की हम अभी बहुत पीछे है । अगली कड़ी में और बातें होगी ।
शिक्षा व्यवस्था पर शुरुआत के लिए आपको बधाई.
ReplyDeleteजारी रहिये.
जय जय भड़ास