वरुण गाँधी का आपत्तिजनक बयान विवादास्पद होना ही था और मिलना था राजनीति को एक नया रंग और सनसनी के लिए विख्यात मिडिया के लिए एक एक्सक्लूसिव, हुआ भी कुछ ऐसा ही।
बयान को चुनाव आयोग ने विवादास्पद और अलोकतांत्रिक करार दिया और दे डाली सलाह भाजपा को कि वरुण को उम्मेदवार ना बनायें मगर भाजपा के उल्टे तेवर ने जहाँ आयोग की अहमियत पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया वहीँ भारतीय संविधान को भी खोखला बता गया संग ही कह गया कि भारतीय लोकतंत्र पर राजनेता हावी हैं, राजनीति हावी है और देश के लोक बस इन चोंचले में पिसने वाले हैं।
आइये जानते हैं इस से जुड़े कुछ तथ्य................
१) वरुण अलोकतांत्रिक बयानबाजी के दोषी, भाजपा उम्मेदवार न बनाये :- चुनाव आयोग
२) दोष साबित होने के बावजूद कानून के बिना बेबस चुनाव आयोग :- पूर्व चुनाव आयुक्त
३) राहुल की पीलीभीत से उम्मीदवारी बरकरार :- खबरिया चैनल और भाजपा
४) भाजपा चुनाव आयोग की राय मानने को बाध्य नही :- कानुनी जानकार
५) गांधी और उनके विचार देश के लिए बेमानी, देश के साथ धोखा :- वरुण गाँधी
६) आयोग का निर्णय असंवैधानिक :- भाजपा ( बलबीर पुंज)
७) पीलीभीत लोकसभा संसदीय क्षेत्र में बदलाव के कारण भाजपा की रणनीति :- मनोरंजन भारती और कमाल खान
तो क्या हमारे देश में आयोग का मतलब सिर्फ़ राजनीति और राजनेता की अपनी महत्वाकांक्षा को पुरा करना है, अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना है। अगर ये ही आयोग लोक हित की बात करे, देश हित कि बात करे तो असंवैधानिक ? २००४ के चुनाव में केरल से सांसद पी सीई थॉमस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था और हमारी लुंज पुंज कानून और न्याय व्यवस्था के कारण इस पर सधे चार साल बाद निर्णय आया वोह भी मात्र वोट के अधिकार के बाबत, थामस महाराज लोकतंत्र कि धज्जियाँ उडाते देश के पैसे का बखूबी इस्तेमाल करते रहे।
क्या ये ही हमारे लोकतंत्र का भविष्य है ?
क्या ये ही हमारे देश के राजनेता हैं?
क्या ये ही राजनितिक पार्टी और मिडिया कि जवाबदेही है ?
बयान को चुनाव आयोग ने विवादास्पद और अलोकतांत्रिक करार दिया और दे डाली सलाह भाजपा को कि वरुण को उम्मेदवार ना बनायें मगर भाजपा के उल्टे तेवर ने जहाँ आयोग की अहमियत पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया वहीँ भारतीय संविधान को भी खोखला बता गया संग ही कह गया कि भारतीय लोकतंत्र पर राजनेता हावी हैं, राजनीति हावी है और देश के लोक बस इन चोंचले में पिसने वाले हैं।
आइये जानते हैं इस से जुड़े कुछ तथ्य................
१) वरुण अलोकतांत्रिक बयानबाजी के दोषी, भाजपा उम्मेदवार न बनाये :- चुनाव आयोग
२) दोष साबित होने के बावजूद कानून के बिना बेबस चुनाव आयोग :- पूर्व चुनाव आयुक्त
३) राहुल की पीलीभीत से उम्मीदवारी बरकरार :- खबरिया चैनल और भाजपा
४) भाजपा चुनाव आयोग की राय मानने को बाध्य नही :- कानुनी जानकार
५) गांधी और उनके विचार देश के लिए बेमानी, देश के साथ धोखा :- वरुण गाँधी
६) आयोग का निर्णय असंवैधानिक :- भाजपा ( बलबीर पुंज)
७) पीलीभीत लोकसभा संसदीय क्षेत्र में बदलाव के कारण भाजपा की रणनीति :- मनोरंजन भारती और कमाल खान
तो क्या हमारे देश में आयोग का मतलब सिर्फ़ राजनीति और राजनेता की अपनी महत्वाकांक्षा को पुरा करना है, अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना है। अगर ये ही आयोग लोक हित की बात करे, देश हित कि बात करे तो असंवैधानिक ? २००४ के चुनाव में केरल से सांसद पी सीई थॉमस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था और हमारी लुंज पुंज कानून और न्याय व्यवस्था के कारण इस पर सधे चार साल बाद निर्णय आया वोह भी मात्र वोट के अधिकार के बाबत, थामस महाराज लोकतंत्र कि धज्जियाँ उडाते देश के पैसे का बखूबी इस्तेमाल करते रहे।
क्या ये ही हमारे लोकतंत्र का भविष्य है ?
क्या ये ही हमारे देश के राजनेता हैं?
क्या ये ही राजनितिक पार्टी और मिडिया कि जवाबदेही है ?
aapne ekdam sahi mudde ko uthaya hai ... chunaaw aayog ko yah adhikar hi nahi hai ki wah kisi ummidwaar ko aachaar sanhita ke ullaghan ke karan rok de yah waastaw me hamaare loktantre ke liye sharm ki baat hai ... sambidhaan me aisa prawadhan hona chahiye jisase ki aayog aise faisele le sake...
ReplyDeleteरजनीश भाई सच तो ये है कि हम लोगों को जो (अ)व्यवस्था शासन-प्रशासन की बतायी गयी है वह लोकतंत्र नहीं बल्कि एक छद्मलोकतंत्र है जो कि मात्र लोकतंत्र होने का दिखावा करता है वरना हमारे यहां भी स्टेट हेड यानि गवर्नर और नेशन हेड यानि प्रेसिडेंट का चुनाव सीधे पब्लिक मैन्डेट्स से कराया जाता तब जाकर देश की प्रगति की दर अमेरिका जैसी होती। ये तो हमारे देश की स्वतंत्रता के समय के हरामी राजनेताओं ने अंग्रेजों की दी हुई प्रणाली को अपने ही हित में अपना लिया क्योंकि वे जानते हैं ये चूतियों का देश है यहां लोग जाति धर्म और भाषा के आधार पर ही वोट देंगे। जनता के दिमाग की बनावट सामंतवाद के ही अनुरूप है ये देश तो मात्र एक भौगोलिक संरचनाओं का समूह है अभी इसे "राष्ट्र" बनने में शायद हजार साल लगेंगें। आज दिमाग भन्नाया हुआ है
ReplyDeleteजय जय भड़ास
इस बारे में गहराई से जानने के लिये आप सबको आजादी के संघर्ष के समय में जाकर इतिहास के दस्तावेजों को खंगालना होगा तब आप जान पाएंगे कि कांग्रेस की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई और उसके कर्णधारों ने किस तरह के भारत का सपना देखा था.....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
रजनीश भाई क्या चुनाव आयोग और क्या लोक तंत्र सब लूट घसोट के ज़रिये हैं इन राजनितिक दलालों की सुविधाओं के लिए बनाये गए हैं इन सालों के लिए भी जब तक कोई भगत सिंह नहीं आयेगा तब तक ये सेल देश को नीलाम करते रहेंगे.......अच्छा मुद्दा बहस के लिए चुना आपने.
ReplyDeleteआपका हमवतन भाई ..गुफरान..अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद