दिल्ली !!! हमारे देश की राजधानी, चमचमाती कोलतार की काली पट्टी पर सरपट दौड़ती रंग-बिरंगी गाडियां! सत्ता-विपक्ष और आम आदमी का केन्द्र-बिन्दु जहाँ से सबको कुछ न कुछ उम्मीद जरुर रहती है। दिल्ली के बारे में सैकड़ों कहानिया और किम्वदंतियां सुनने को मिल ही जाती हैं। सरकारी इमारतों और एतिहासिक साछ्यों की समृद्ध विरासत का नाम है दिल्ली! दिल्ली के बारे में ये भी कहा जाता है की दिल्ली का कोई भी अपना नही है और दिल्ली सबकी है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो दिल्ली के दिल के बहुत करीब हैं और सैकड़ों सालों से चुपचाप दिल्ली की शान में चार-चाँद लगा रहे हैं। मगर आज वे ही उपेक्षित और तिरस्कृत हो चुके हैं। वातावरण और हरियाली को मुख्य मुद्दा मानते हुए आधुनिक दिल्ली की नीव रखी गई थी। दुनिया भर के पर्यटक और अपने देश के लोग दिल्ली की हरियाली पर रीझ से जाते हैं। मगर आज यही हरियाली खतरे में पड़ चुकी हैं। सरकार नए-नए प्लांट लगाने की फिराक में करोड़ों तो लुटा रही है , मगर पुरानी चीजों को सहेज पाने में पुरी तरह असमर्थ दिख रही हैं। आपको ज्ञात होगा की दिल्ली एक वेल-प्लान्ड शहर है जिसके हर चौराहे, सड़क और गलियां पुरी योजना के साथ बनाये गए थे। और इन्ही में से एक है दिल्ली की हरियाली ....आप नई दिल्ली की सड़कों पर निकलिए तो आपको यह आभास हो जाएगा क्यूंकि हर सड़क पर लगाये गए पेडो की जात एक ही है। आप मुथुरा रोड पर निकलिए तो दोनों तरफ़ आपको जामुन के पेड़ ही नज़र आएंगे, सुप्रेम कोर्ट रोड पर निकलिए तो इमली ही इमली नज़र आयेगी, मतलब ये है की हर सड़क पर लगभग एक ही तरह के पेड़ लगाये गए हैं। इन्ही में से एक है अर्जुन नामक पेड़ जिसके बारे में ये कहा जाता है की ये बहुत ही औषधीय पौधा है। लेकिन आज से समय में इसी अर्जुन पेड़ का अस्तित्व खतरे में हैं। क्यूंकि ये पुरी लाइन सूखनेके कगार पर पहुँच चुकी हैं। स्थानीय लोग बताते हैं की अर्जुन की छाल ह्रदय रोगियों के लिए लाभकारी हैं , बस फिर क्या था हर दूसरा आदमी अर्जुन की छाल को छिलता चला गया और आज आलम ये है की अर्जुन ख़ुद बीमार पड़ गया है या यूँ कहिये की मरने के कगार पर पहुँच चुका है। आम लोगों की तरह ही सरकार और महानगरपालिका भी इस पर कोई ध्यान नही दे रही है। अब वह दिन भी दूर नही जब दिल्ली से अर्जुन का जनाजा निकल जाएगा और सरकारी विभाग इसके मरने पर भी करोड़ों की चपत लगायेगा। लेकिन हमारी गुजारिश आम दिल्ली वासियों से है की अपने अर्जुन को बचाएँ !!!! अर्जुन को शायद वर्षों से पानी भी नही दिया गया है..लेकिन शहरी राईस न जाने कितना पानी अपनी गाड़ियों पर उडेल देते हैं..और ह्रदय रोग होने पर बेचारे अर्जुन की छाल को नोच डालते हैं , पर क्या उनका कर्तव्य ये नही बनता की एक गिलास पानी अर्जुन की जड़ों में डाल दे जिससे आने वाले समय में अर्जुन मुस्कुराते हुए अपनी छाल उतरवा सके!~!!
जय भड़ास जय जय भड़ास
भाई यकीन मानिये कि लोग ऐसे ही है कि चाहे अर्जुन की छाल हो या पूजा के फूल बिना पानी दिये ही लेने के चक्कर में रहते हैं और ये वो लोग हैं जो कि मौका लगने पर इंसान की खाल भी जरूरत पड़ने पर बिना किसी मुरव्वत के छील डालें...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
सभी शहरों में यही हाल है भाई अर्जुन ही क्या तमाम वनस्पतियो को मैंने दिल्ली में बुरी सी हालत में पाया जबकि उन्हें यदि सही संरक्षण दिया जाए तो ये पेड़-पौधे जीवनदायी हैं...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
bhaye yesha hi kuch esh desh me hai,
ReplyDeleteakshi
ham ab maanaw se dusari taraf badh rahe hai ....aap samajh gaye hoge mera isaara...
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