‘अक्षत विचार’ दरअसल एक साप्ताहिक अखबार है जो उत्तराखंड से प्रकाशित होता है अखबार के नाम से हमारा यह प्रयास रहा है कि एक ब्लाग भी शुरु किया जाय ऐसे शुरु हुआ अक्षत विचार ब्लाग। जिसमें हम विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित करते हैं। परंतु अब एक और विचार दिमाग में आया है कि जब अखबार में लिखने वाले पत्रकारों के लेख ब्लाग में छापे जा रहे हैं तो क्यों नहीं विभिन्न ब्लाग लिखने वाले लेखकों के लेख भी इस अखबार में प्रकाशित करे जांये। ताकि अखबार पढ़ने वाले लोगों तक भी उनके विचार पंहुचाये जांय। परंतु अक्षत विचार एक छोटा प्रादेशिक अखबार है और इसके पाठकों की संख्या भी फिलहाल कम है। इसलिये इसमें छपने वाले लेखों पर किसी भी प्रकार का पारश्रमिक देना संभव नहीं होगा ज्यादा से ज्यादा अखबार की एक प्रति संबधित लेखक को भेज दी जायेगी और अगर लेखक चाहेंगे तो उनका लेख अक्षत विचार ब्लाग में भी प्रकाशित किया जायेगा। परंतु कौन से लेख और रचनायें प्रकाशित होंगी यह अधिकार पूर्ण रुप से संपादक का होगा। अगर ब्लागर अपने लेख अखबार में प्रकाशित करवाने के इच्छुक हैं तो कृपया निम्न ई–मेल पते पर अपना लेख हमें भेजिये और साथ में अपना पता ताकि आपका लेख छपने पर समाचार पत्र की एक प्रति आपको भी भेजी जा सके। अक्षत विचार अभी अपनी शैशव अवस्था में है और नया अखबार होने के कारण विज्ञापनों से भी वंचित है। परंतु आशा की जा सकती है कि ब्लागरों को भविष्य में उनके लेखों के लिये मानदेय भी दिया जा सकता है। तो महोदय इंतजार किस बात का‚ अधिक लोगों तक अपनी बात पंहुचाने के लिये एक और माध्यम आपका इंतजार कर रहा है।
हमारा ई–मेल पता है- akshatvichar@gmail.com
प्रदीप भाई सुन्दर विचार है
ReplyDeleteजय जय भड़ास
भाई,
ReplyDeleteबधाई और शुभकामना,
मुझे नही लगता की भड़ास परिवार के किसी को मानदेय चाहिए,
आप लेख पसंद करें, या फ़िर लेखक.
भड़ास आपके साथ है.
जय जय भड़ास
उत्साहवर्धन के लिये आपका धन्यवाद।
ReplyDeleteकठैत जी आप का प्रयास वाकई सुन्दर है तो हम सभी इसमें सहर्ष ही जुड़े रहेंगे और अगर वक्त बेवक्त कुछ साहित्यिक सा निकल पड़ा तो आप उसे अक्षत विचार में लेखक से बतिया कर छापिये रही बात मानदेय की तो वैचारिक वमन का भी भला कोई मानदेय होगा :) मुझे अगर मेरी उल्टी की कोई कीमत दे तो मुझे तो अड़चन सी महसूस होने लगेगी।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
वाह अक्षत भाई वाह ,
ReplyDeleteअब मै भी सब को ये बता सकुगा की तुम लोगो का बवकूफ भाई भी अब किसी अख़बार को अपनी गीसी पिटी रचनाये ( जो तुम सुनते भी नही , देखते भी नई) तुम्हे तंग न कर के अक्षत अकबर (अख़बार के संपादक) को तनाव मे लाएगी ..........:) amitjain